ग्रे मार्केट प्रीमियम – समझें और लागू करें
जब कोई कंपनी ग्रे मार्केट प्रीमियम, IPO आधिकारिक रूप से निकले पहले, शेयरों की संभावित कीमत पर निवेशकों की अतिरिक्त मांग का प्रतिशत, भी अक्सर नीलामी प्रीमियम कहा जाता है, तो यह संकेत देता है कि बाजार उस स्टॉक को कैसे देख रहा है। इसका मूल सिद्धांत सरल है: अगर प्रीमियम ज्यादा है, तो निवेशकों को लगता है कि कंपनी का मूल्य अंत में तय मूल्य से ऊपर जाएगा। यहाँ IPO, प्राथमिक सार्वजनिक प्रस्ताव, यानी कंपनी पहली बार शेयर बाजार में प्रवेश करती है भी जुड़ा रहता है, क्योंकि ग्रे मार्केट प्रीमियम अक्सर IPO की बुक‑बिल्डिंग प्रक्रिया के दौरान देखी जाती है। वहीँ ग्रे मार्केट, स्ट्रॉन्गली रेगुलेटेड नॉन‑ऑफिशियल ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म जहाँ निवेशक आधिकारिक कीमत तय होने से पहले शेयर खरीदते‑बेचते हैं भी इस गणना में अहम भूमिका निभाता है।
मुख्य कारण और असर
ग्रे मार्केट प्रीमियम का आकार तीन मुख्य कारकों पर निर्भर करता है—डिमांड, सप्लाई और कंपनी की भविष्य की संभावनाएँ। अगर एक नई टेक‑स्टार्टअप या हाई‑ग्रोथ सेक्टर की कंपनी का प्रीमियम 30‑40% तक पहुँच जाता है, तो यह बताता है कि बाजार में मौजूदा निवेशकों की उत्सुकता बहुत अधिक है, जिससे प्रारंभिक शेयर मूल्य में संभावित उछाल की आशा बढ़ती है। दूसरी ओर, अगर प्रीमियम कम या नकारात्मक है, तो यह संकेत देता है कि निवेशकों को कंपनी की वित्तीय स्थिरता या व्यापार मॉडल पर संदेह है। इस प्रीमियम को सही‑सही पढ़ना निवेशकों को बुक‑बिडिंग के दौरान बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है, जैसे अधिक या कम शेयर के लिए बोली लगाना। इसके अलावा, ग्रे मार्केट प्रीमियम अक्सर सार्वजनिक डेटा से अलग रहता है, इसलिए इसका विश्लेषण करने के लिए ट्रेडिंग‑वॉल्यूम, आधिकारिक बिड‑रेंज और इंडस्ट्री बेंचमार्क को मिलाना पड़ता है। यह प्रक्रिया न केवल प्रारंभिक निवेशकों के लिए बल्कि उन ट्रेडर्स के लिए भी उपयोगी है जो पोस्ट‑IPO लिस्टिंग पर कीमतों का अनुमान लगाते हैं।
इन लेखों में आप देखेंगे कि कैसे ग्रे मार्केट प्रीमियम विभिन्न सेक्टर्स—जैसे सोना (गोल्ड) की कीमत, सेंसैक्स की गिरावट, या नई IPO जैसे "Sun Pharma" या "Atlanta Electricals"—पर असर डालता है। वहीं, आप जान पाएँगे कि जब प्रीमियम 50% से ऊपर जाता है तो अक्सर अगले महीने में शेयर की कीमत में 10‑15% की उतार‑चढ़ाव देखी गई है। इस टैग की सामग्री में स्टॉक‑मार्केट सिटिटेशन्स, बुक‑बिल्डिंग तकनीकें और ग्रे‑मार्केट के साथ जुड़े जोखिम भी विस्तृत रूप में मिलेंगे। नीचे की सूची में आप उन सभी लेखों को पढ़ सकते हैं जो ग्रे मार्केट प्रीमियम के विभिन्न पहलुओं—जैसे मूल्य निर्धारण, निवेश रणनीति और बाजार‑विहीन संकेत—पर ध्यान देती हैं।
LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया IPO: 54× सब्सक्रिप्शन, 30% ग्रे मार्केट प्रीमियम
LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया के OFS IPO ने 54× सब्सक्रिप्शन और 30% ग्रे मार्केट प्रीमियम के साथ भारत के 2025 के तीसरे बड़े IPO की चौकट बनाई, जिससे निवेशकों को आकर्षक रिटर्न का अवसर मिला।
Tata Capital IPO पर 75% सब्सक्रिप्शन, ग्रे मार्केट प्रीमियम में गिरावट
Tata Capital ने 6 अक्टूबर को ₹15,512 करोड़ के IPO की बिडिंग शुरू की, दूसरे दिन 75% सब्सक्रिप्शन हासिल कर ग्रे मार्केट प्रीमियम में गिरावट देखी। कंपनी का लक्ष्य फंड्स से Tier‑I पूँजी बढ़ाना है।