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विझिंजम में भारत का पहला डीप-सी ट्रांसशिपमेंट हब: मोदी ने किया उद्घाटन, अब नहीं होगी विदेशों पर निर्भरता

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 3 मई 2025    टिप्पणि(7)
विझिंजम में भारत का पहला डीप-सी ट्रांसशिपमेंट हब: मोदी ने किया उद्घाटन, अब नहीं होगी विदेशों पर निर्भरता

विझिंजम पोर्ट: भारत का व्यापारिक नजारा बदलने की शुरुआत

भारत के इतिहास में यह मौका बड़ा खास है। पीएम नरेंद्र मोदी ने 2 मई 2025 को केरल के विझिंजम पोर्ट का उद्घाटन करके देश को उसका पहला डीप-सी ट्रांसशिपमेंट हब सौंपा। करीब 8,900 करोड़ रुपये की लागत से बना यह बंदरगाह अब विदेशी पोर्ट्स के मुकाबले भारत की स्थिति मजबूत करेगा। खास बात यह है कि अब भारतीय व्यापारियों को कोलंबो, दुबई, सिंगापुर जैसे विदेशी पोर्ट्स पर अपना माल चढ़ाने-उतारने की जरूरत नहीं होगी। पहले भारत का 75% कंटेनर ट्रांसशिपमेंट ऐसे ही विदेशी हब्स के जरिए होता था, लेकिन अब यह कमाई देश के अंदर ही बचेगी।

यह पोर्ट तिरुवनंतपुरम के पास, समुद्र के ठीक किनारे बसा है। इसकी प्राकृतिक गहराई लगभग 20 मीटर है, जिससे दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर शिप भी आराम से यहां आ सकते हैं। हाल ही में MSC Türkiye नामक विशाल कार्गो जहाज—जिसकी क्षमता 24,000 कंटेनर्स की है—यहां सफलतापूर्वक उतरा था। इससे यह साफ हो गया कि पोर्ट अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं और सुरक्षा मानकों पर पूरी तरह खरा उतरता है।

नया बंदरगाह, नई संभावना: भारत बनेगा शिपिंग हब

पोर्ट की 1,800 मीटर लंबी बर्थ पर हर साल 1.5 मिलियन TEU (ट्वेंटी-फुट इक्विवेलेंट यूनिट) संभाले जा सकते हैं। यानी भारत अब सिर्फ अपने माल का ही नहीं, दक्षिण एशिया के कई देशों के ट्रांसशिपमेंट का भी केंद्र बन सकता है। इस प्रोजेक्ट का संचालन अडाणी समूह की कंपनी APSEZ देख रही है, जबकि केरल सरकार की इसमें बहुमत हिस्सेदारी है। यह साझेदारी अपने आप में मिसाल है कि सरकारी प्रशासन और निजी व्यवसाय की ताकतें मिलकर दुनिया के मानचित्र पर भारत को प्रमुख समुद्री राष्ट्र बना सकते हैं।

मोदी ने इस उद्घाटन के मौके पर खासतौर से इस बात को रेखांकित किया कि अब ट्रांसशिपमेंट पर जाने वाली भारी भरकम विदेशी मुद्रा देश में ही रहेगी। इससे स्थानीय इकोनॉमी को फायदा होगा, रोज़गार बढ़ेगा और केरल के व्यापारी भी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। वैसे भी भारत की ये कोशिश लंबे समय से थी कि व्यापार के मामले में एक मजबूत समुद्री हब बनकर उभरे। विझिंजम पोर्ट की लोकेशन इतनी खास है कि समुद्री मार्ग से गुजरने वाले ज्यादातर बड़े कंटेनर शिप इसी क्षेत्र के करीब से गुजरते हैं। अब विश्व की बड़ी शिपिंग कंपनियां सीधे भारत को अपने कारोबार का मुख्य केंद्र बनाने को मजबूर होंगी।

पोर्ट के तैयार होने से न सिर्फ लॉजिस्टिक्स में तेजी आएगी, बल्कि उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच आसान होगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बंदरगाह आने वाले समय में भारत की अर्थव्यवस्था को एक नई ऊंचाई पर ले जा सकता है। एक समय था जब व्यापार के बड़े हिस्से में भारत की भूमिका सीमित थी, लेकिन अब विझिंजम का नाम दुनिया के बड़े पोर्ट्स–शायद सिंगापुर, शंघाई, रॉटरडैम–के साथ लिया जाएगा।

7 टिप्पणि

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    UMESH DEVADIGA

    मई 5, 2025 AT 10:32
    ये पोर्ट तो बस एक बंदरगाह नहीं, ये तो भारत की आत्मनिर्भरता की नई कहानी है। मैंने कोलंबो जाकर अपना कंटेनर चढ़ाया था, तीन दिन लग गए, यहां एक दिन में हो जाता है। अब दुबई के लोग भी हमारे पास आएंगे। 🤝
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    Roshini Kumar

    मई 6, 2025 AT 13:17
    ohhhkkk so now we are the new singapore?? pfft. 20 meter depth? bhaiya ye to kerala ke kuchhi khal mein bhi hai. aur jahaan 1.5 million TEU handle karega wahaan 50% kaam to ghar pe hi ho jata hai. aur apsez? arre yeh to apne hi ghar ka bandar hai na? 😏
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    Siddhesh Salgaonkar

    मई 8, 2025 AT 04:46
    Brooo 🤯 this isn't just a port-it's a CIVILIZATIONAL MOMENT. Imagine: Indian ships, Indian cargo, Indian profits. No more begging Dubai for space. And guess what? The real winners? Not Modi, not Adani... it's the chai-wallahs of Kollam who'll now get global contracts. 🌍🇮🇳✨
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    Arjun Singh

    मई 9, 2025 AT 05:46
    Let’s cut through the noise. This isn't about infrastructure-it's about supply chain sovereignty. 24K TEU vessels docking? That’s not just capacity, that’s geopolitical leverage. You think Singapore doesn’t sweat now? They’re already recalculating their port tariffs. This is blue ocean strategy in action. 🚢
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    yash killer

    मई 9, 2025 AT 11:08
    Finally someone did it. No more begging at foreign ports. This is not a project. This is a WAR CRY. Every rupee saved on transshipment is a bullet in the chest of colonial economics. Vizhinjam is not a port. It's the new Surya Namaskar of Indian pride. JAI HIND
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    Ankit khare

    मई 10, 2025 AT 04:41
    Everyone’s cheering but no one talks about the 12000 workers who got displaced for this ‘glory’. And the mangroves? Gone. The fisherfolk? Silent. This isn’t progress. It’s a glittering trap. We call it development but it’s just another corporate takeover dressed as nationalism. The real cost? We don’t talk about it. 🤷‍♂️
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    Chirag Yadav

    मई 11, 2025 AT 19:55
    I get why some are skeptical. But I also met a fisherman from Kollam last week who said his son got a job at the port’s logistics hub. He’s learning container tracking software now. Maybe it’s not perfect. Maybe there’s a cost. But for once, let’s not just tear it down. Let’s see if we can fix the cracks as we go. We owe that to ourselves.