यौन उत्पीड़न: समझें, रोकें और सही सहायता पाएं
हर दिन कामकाजी जगह, स्कूल या सार्वजनिक स्थान पर यौन उत्पीड़न की खबर सुनते हैं। अक्सर लोग सोचते हैं कि यह सिर्फ दूसरों का मामला है, लेकिन अगर आप या आपका कोई जान‑पहचान वाला इसका शिकार बन जाए तो क्या करें? इस लेख में हम आसान भाषा में बतायेंगे कि उत्पीड़न के कौन‑कौन से रूप होते हैं, कब कदम उठाना चाहिए और कानूनी मदद कैसे ले सकते हैं।
यौन उत्पीड़न के मुख्य रूप
आमतौर पर उत्पीड़न दो बड़े भागों में बाँटा जाता है – शारीरिक और मौखिक. शारीरिक में अनचाहे स्पर्श, गले लगना या किसी भी तरह की अस्वीकृत बॉडी कॉन्टैक्ट शामिल है। मौखिक में अपमानजनक टिप्पणी, अनुचित सुझाव, संदेश या फोटो भेजना आते हैं। कुछ मामलों में काम‑या-पढ़ाई के बदले ‘लॉभ’ देना या नज़रअंदाज़ करना भी उत्पीड़न माना जाता है।
ध्यान रखें – अगर आपको असहज महसूस हो रहा है तो वह अक्सर उत्पीड़न की निशानी होती है, चाहे सामने वाला कुछ कहे कि "बस मज़ाक था".
उपचार और सहायता: कब और कैसे कदम बढ़ाएँ
पहला कदम – सुरक्षित जगह पर जाएँ। अगर आप ऑफिस में हैं तो तुरंत अपने भरोसेमंद सहकर्मी या एचआर को बताएं। स्कूल‑कॉलेज में प्रिंसिपल, क्लास ट्यूटर या काउंसलर से बात करें। सार्वजनिक स्थान में पुलिस या पास के सुरक्षा गार्ड की मदद ले सकते हैं।
दूसरा कदम – सबूत इकट्ठा करना जरूरी है। संदेश, ईमेल, स्क्रीनशॉट, आवाज़ रिकॉर्डिंग या किसी भी फ़ोटो को सुरक्षित रखें। अगर संभव हो तो घटना का समय, स्थान और गवाहों के नाम लिखें। ये दस्तावेज़ बाद में शिकायत दर्ज करने में मदद करेंगे।
तीसरा कदम – आधिकारिक शिकायत दर्ज करें। भारत में यौन उत्पीड़न के खिलाफ कई कानून हैं – जैसे हिंसा रोक थाम अधिनियम (विचलन), कामगार सुरक्षा अधिनियम और आपराधिक न्याय कोड (IPC) की धारा 354, 376 आदि। आप नजदीकी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कर सकते हैं या ऑनलाइन पोर्टल (nationalcrimereport.gov.in) पर रिपोर्ट कर सकते हैं। यदि आपका मामला कार्यस्थल से जुड़ा है तो कंपनी के ‘आंतरिक शिकायत समिति’ को भी लिखें।
चौथा कदम – मदद के लिए संस्थाओं की ओर रुख करें। कई NGOs, महिला हेल्पलाइन (1091), राष्ट्रीय हॉटलाइन (181) और राज्य‑स्तरीय काउंसलिंग सेंटर मुफ्त कानूनी सलाह देते हैं। इनसे संपर्क करके आप मनोवैज्ञानिक समर्थन भी ले सकते हैं, जो आगे बढ़ने में बड़ा सहारा बनता है।
पाँचवां कदम – खुद का ख्याल रखें। तनाव और डर से बचने के लिए रोज़ थोड़ा व्यायाम करें, गहरी साँसें लें और भरोसेमंद दोस्तों या परिवार से बात करें। याद रखें, आप अकेले नहीं हैं; मदद माँगना कमजोरी नहीं बल्कि साहस है।
अगर आप किसी को जानते हैं जो उत्पीड़न का शिकार हो रहा है, तो बिना जज किए सुनें, उसे सुरक्षित जगह ले जाएँ और ऊपर बताए गए कदमों में मदद करें। छोटे‑छोटे समर्थन के काम बड़े बदलाव ला सकते हैं।
मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न की चौंकाने वाली सच्चाई: हेमाजी कमेटी रिपोर्ट का खुलासा

हेमाजी कमेटी रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न और शोषण की भयावह स्थिति को उजागर किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कई महिला कलाकारों का करियर शुरू होने से पहले ही उनसे अनुचित मांगें की जाती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, एक ताकतवर समूह उद्योग में कास्टिंग और करियर के अवसरों को नियंत्रित करता है, जिससे महिलाओं को सशक्तिकरण की दिशा में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।