मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न की सच्चाई: हेमाजी कमेटी रिपोर्ट
हाल ही में हेमाजी कमेटी द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न और शोषण की भयावह स्थिति को उजागर किया है। यह रिपोर्ट 2017 में अभिनेता दिलीप के शामिल एक हमले के मामले की जांच के दौरान बनाई गई थी। जांच पैनल में पूर्व हाई कोर्ट न्यायधीश जस्टिस हेमाजी, वरिष्ठ अभिनेता शारदा, और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी केबी वलसला कुमारी शामिल थे। रिपोर्ट में बताए गए तथ्य सबसे पहले लड़खड़ाते हुए, फिर धीरज के साथ, फिर बड़े झटके के रूप में आया कुछ-कुछ ऐसा जैसे कि दर्द का स्पाइस कैप्सूल।
कमेटी रिपोर्ट का गठन
यह कमेटी 2017 में तब बनाई गई थी जब मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेता दिलीप के शामिल एक हमले के मामले ने पूरे उद्योग को हिला कर रख दिया था। जांच के दौरान, पैनल ने फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के प्रति हो रहे यौन शोषण और उत्पीड़न के मामले में कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए। रिपोर्ट ने यह साफ किया कि महिलाएं बिना काम शुरू किये ही अनुचित मांगों का सामना करती हैं। उन्हें 'एडजस्टमेंट' और 'कंप्रोमाइज' करने के लिए मजबूर किया जाता है, जिसमें यौन संबंध भी शामिल होते हैं।
महिला कलाकारों का शोषण और अनुचित मांगें
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जो महिलाएं इन मांगों के आगे झुक जाती हैं, उन्हें 'कोड नाम' दे दिए जाते हैं, जबकि जो इसका विरोध करती हैं, उन्हें फिल्म इंडस्ट्री से बाहर कर दिया जाता है। कभी-कभी उन्हें डराया-धमकाया भी जाता है, जिससे वे मामलों की पुलिस में शिकायत करने से कतराती हैं। इस तरह का उत्पीड़न सार्वजनिक तौर पर धमकी देने, बदनाम करने और साइबर अटैक के रूप में भी सामने आता है।
शक्तिशाली समूह का नियंत्रण
रिपोर्ट में एक शक्तिशाली समूह का भी जिक्र किया गया है, जो लगभग 10-15 पुरुषों का होता है। यह समूह ही फिल्म इंडस्ट्री में कास्टिंग और करियर के अवसरों का नियंत्रण करता है। शायद यही कारण है कि महिला कलाकारों का शोषण हो रहा है और उनकी सुरक्षा खतरे में है। प्रदत्त जानकारी के अनुसार, कई महिलाएं अपनी कमरे में ताले लगाकर रहती हैं क्योंकि कुछ नशे में धुत लोग उनके कमरे के दरवाजे खटखटाते रहते हैं।
कानूनी कार्रवाई की मांग
इतनी गंभीर आरोपों के बीच, कानूनी विशेषज्ञों ने इस मामले की विस्तृत जांच के लिए एक विशेष जांच टीम गठित करने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा है कि इन मामलों की आपराधिक जांच होनी चाहिए और शोषण के इन मामलों को रोकने के लिए एक ठोस कानून बनाने की भी आवश्यकता है।
रिपोर्ट का सार्वजनिक होना
कमेटी रिपोर्ट का सार्वजनिक होना भी एक लंबी प्रक्रिया के बाद संभव हो पाया है। केरल हाई कोर्ट के आदेश के बाद इसे सार्वजनिक किया गया, लेकिन कुछ लोगों ने इसकी गोपनीयता को लेकर भी चिंता व्यक्त की है। केरल सरकार से उम्मीद जताई जा रही है कि वे इस रिपोर्ट के सुझावों पर सख्त कार्रवाई करेंगे और पीड़ितों को न्याय दिलाएंगे।
लिहाजा, हेमाजी कमेटी की रिपोर्ट ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के एक काले रूप को सामने लाया है। मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ हो रहे इस तरह के अमानवीय बर्ताव और शोषण को अब अनदेखा नहीं किया जा सकता। इस रिपोर्ट के बाद उम्मीद जताई जा सकती है कि न सिर्फ मलयालम फिल्म इंडस्ट्री बल्कि पूरे भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर नए कदम उठाए जाएंगे।
Sagar Jadav
अगस्त 20, 2024 AT 08:02saurabh vishwakarma
अगस्त 21, 2024 AT 19:09यह बस एक फिल्म उद्योग की बात नहीं, यह तो पूरे समाज की बीमारी है।
हम सब इस बात को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं कि जब एक महिला अपने घर से बाहर निकलती है, तो उसे अपनी इज्ज़त के लिए लड़ना पड़ता है।
क्या आपने कभी सोचा है कि एक अभिनेत्री जो बिना किसी शर्त के अपना काम करना चाहती है, उसे दिनभर अपने दरवाज़े पर टेंशन देने वालों से कैसे बचना पड़ता है?
ये लोग जो अपनी पावर का इस्तेमाल करते हैं, वो न सिर्फ अपराधी हैं, बल्कि एक पूरे पीढ़ी के भविष्य को भी बर्बाद कर रहे हैं।
मैं इस रिपोर्ट के लिए आभारी हूँ, क्योंकि अब कोई भी बोल सकता है कि ये सब असली है।
लेकिन अगर हम इसे बस एक रिपोर्ट के रूप में छोड़ देंगे, तो ये सब फिर से भूल जाएगा।
हमें इसके खिलाफ एक आंदोलन चलाना होगा, न कि बस एक शिकायत दर्ज करना।
हर एक अभिनेत्री जिसे इस उद्योग में अपनी आवाज़ देने का मौका मिला, उसने अपनी जान जोखिम में डाली है।
हम उनके लिए खड़े होने का फैसला करें, या फिर अपनी चुप्पी को बर्बरता का नाम दे दें।
MANJUNATH JOGI
अगस्त 23, 2024 AT 09:13कास्टिंग कॉल के तहत जो नॉन-कंप्लायंस वाले इंटरव्यू और एक्सप्लोइटेशन के मॉडल्स चल रहे हैं, वो एक इंडस्ट्रियल डॉमिनेंस के रूप में काम करते हैं।
महिला कलाकारों के लिए ये एक ब्लैकलिस्टिंग सिस्टम है, जहां रिजेक्शन को एक फॉर्मल ट्रांसफर ऑफ पावर के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
ये सिस्टम बस एक फिल्म इंडस्ट्री का नहीं, बल्कि एक पूरे सामाजिक अभिनय का हिस्सा है।
हमें इसे एक डिस्क्रिमिनेशन इंडेक्स के रूप में मैप करना होगा, और फिर इसके खिलाफ एक इंस्टिट्यूशनल रिफॉर्म लाना होगा।
Sharad Karande
अगस्त 23, 2024 AT 19:09जांच पैनल के सदस्यों की विविधता - एक न्यायाधीश, एक अभिनेत्री, और एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी - इसे एक बहुआयामी विश्लेषण की अनुमति देती है।
यह एक आंतरिक विकास के बजाय एक बाहरी नियंत्रण के रूप में काम करता है।
महिलाओं के लिए 'कोड नाम' का उपयोग एक डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम की तरह है, जो उनकी अपनी इच्छा को अनदेखा करता है।
इसका अर्थ है कि उद्योग के भीतर एक नियंत्रण नेटवर्क बन गया है, जो अपने आप को स्वायत्त और अपराधी बनाता है।
अब तक के जो शिकायतें दर्ज हुई हैं, वो सब अभी तक एक आंकड़ा बनकर रह गई हैं।
इस रिपोर्ट को एक लीगल डॉक्यूमेंट के रूप में अपनाने की आवश्यकता है, न कि एक सामाजिक बहस के रूप में।
INDRA MUMBA
अगस्त 25, 2024 AT 04:07हर फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा होता है, लेकिन हम इसे बस इसलिए बड़ा बना रहे हैं क्योंकि ये मलयालम है।
बॉलीवुड में तो ऐसा हर दिन होता है, लेकिन कोई नहीं बोलता।
हम सब इस रिपोर्ट को एक ट्रेंड बनाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
महिलाओं को बचाने की बात कर रहे हो, तो पहले अपने घर की दीवारें ठीक करो।
मेरी बहन भी एक अभिनेत्री है, और उसने कभी ऐसी बात नहीं कही।
इसलिए ये सब शायद बस एक फेक न्यूज़ है।
Dr. Dhanada Kulkarni
अगस्त 25, 2024 AT 16:58उनकी हिम्मत ने हमें एक ऐसा दर्पण दिखाया है, जिसे हम लंबे समय से देखने से बच रहे थे।
इस रिपोर्ट के बाद अब हम चुप नहीं रह सकते।
हमें उन महिलाओं के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाना होगा, जहां वे बिना डर के अपना काम कर सकें।
ये सिर्फ एक फिल्म उद्योग की बात नहीं, ये हमारी मानवता की परीक्षा है।
हमें इसे एक न्याय के रूप में देखना होगा, न कि एक ट्रेंड के रूप में।
मैं इस रिपोर्ट को एक शुरुआत के रूप में देखती हूं - एक ऐसी शुरुआत जो आगे बढ़ेगी।
Rishabh Sood
अगस्त 26, 2024 AT 09:09जब हम एक महिला को अपने लिए एक वस्तु बनाते हैं, तो हम अपनी अपनी असुरक्षा को उस पर अंकित कर देते हैं।
ये शोषण एक दर्शन है - एक ऐसा दर्शन जो हमें अपने आप को शक्तिशाली महसूस कराता है।
लेकिन असली शक्ति तो उस महिला में है, जो चुपचाप अपना रास्ता बना रही है।
हम इस रिपोर्ट को एक आंदोलन के रूप में नहीं, बल्कि एक आत्म-विश्लेषण के रूप में देखना चाहिए।
हम कौन हैं? हम क्या बनाना चाहते हैं? और क्या हम वाकई उस दुनिया के लिए तैयार हैं, जहां महिलाएं बराबरी से रहती हैं?
Saurabh Singh
अगस्त 28, 2024 AT 04:38अगर तुम नहीं चाहते तो नहीं करो।
हर जगह ऐसा होता है।
अगर तुम बहुत ज्यादा डर रही हो, तो फिल्म इंडस्ट्री से बाहर निकल जाओ।
कोई तुम्हें बाहर नहीं निकाल रहा।
तुम खुद अपने आप को बलिदान बना रही हो।
Mali Currington
अगस्त 28, 2024 AT 13:54क्या अगले हफ्ते कोई एक और कमेटी बनाएगी जो बताएगी कि आइसक्रीम खाने वाले लोग भी शोषित होते हैं?
Anand Bhardwaj
अगस्त 28, 2024 AT 22:03हम सब इस बात को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं कि जब एक लड़की ऑडिशन देती है, तो उसे पहले अपने शरीर को बेचना पड़ता है।
कोई नहीं बोलता, क्योंकि बोलने वाले को भी बाहर कर दिया जाता है।
ये एक खुला रहस्य है।
और अब ये रिपोर्ट उस रहस्य को खोल रही है।
अब बस इतना है - क्या हम इसे देखने के लिए तैयार हैं?
RAJIV PATHAK
अगस्त 30, 2024 AT 05:38लेकिन क्या आपने कभी बॉलीवुड की रिपोर्ट देखी है?
ये सब बस एक छोटी सी बात है।
जब तक हम अपने आप को अपने देश के लिए नहीं बदलेंगे, तब तक ये सब चलता रहेगा।
Nalini Singh
अगस्त 31, 2024 AT 16:03इसके तथ्यों का विश्लेषण एक सामाजिक नीति के रूप में किया जाना चाहिए, जो न केवल फिल्म उद्योग को, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के साथ व्यवहार को भी प्रभावित करे।
इस रिपोर्ट का अनुसरण एक संवैधानिक दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए, ताकि यह एक निरंतर बदलाव का आधार बन सके।
Sonia Renthlei
सितंबर 2, 2024 AT 03:04हर एक महिला जिसने अपने आप को बचाने के लिए अपनी आत्मा को बेच दिया, उसकी कहानी मुझे दर्द देती है।
मैंने कई बार ऐसी महिलाओं को देखा है - जो अपने घर लौट आती हैं, अपने बच्चों को गले लगाती हैं, लेकिन आंखों में कुछ नहीं रहता।
उनकी आवाज़ बंद हो गई है।
उनकी आत्मा चुप हो गई है।
मैं चाहती हूं कि हम सब इस रिपोर्ट को एक जीवन बचाने के लिए एक आह्वान के रूप में लें।
ये बस एक रिपोर्ट नहीं है - ये एक आवाज़ है, जो अब तक दबी रही है।
हमें इसे सुनना होगा।
और फिर, हमें उस आवाज़ के साथ चलना होगा।
क्योंकि अगर हम नहीं चलेंगे, तो कौन चलेगा?
Aryan Sharma
सितंबर 3, 2024 AT 00:10कोई बाहरी शक्ति इसे फैला रही है ताकि हमारी फिल्म इंडस्ट्री को बर्बाद कर सके।
क्या तुम्हें पता है कि इस रिपोर्ट को किसने बनाया? क्या ये कोई विदेशी संगठन नहीं है?
हमारी महिलाएं इतनी अच्छी हैं, इतनी ताकतवर - ये सब बस एक धोखा है।
अगर ये सच होता, तो तुम्हारी बहन या तुम्हारी बहन की दोस्त ने क्यों नहीं बताया?
Devendra Singh
सितंबर 3, 2024 AT 18:55हम जानते हैं कि ये सब होता है।
लेकिन इसे एक रिपोर्ट में बदलने की क्या जरूरत है?
ये सिर्फ एक निश्चित वर्ग के लिए एक ट्रेंड है।
मैं जानती हूं कि कई महिलाएं ऐसे लोगों से बचने के लिए अपने घरों में ताले लगाती हैं - लेकिन ये उनकी गलती है।
अगर वो अपने आप को बेहतर तरीके से बचातीं, तो ऐसा नहीं होता।
UMESH DEVADIGA
सितंबर 3, 2024 AT 22:12लेकिन मैं अपने आप को इसमें शामिल नहीं करता।
मैंने कभी किसी को नहीं छुआ।
लेकिन मैं जानता हूं कि ऐसे लोग हैं - और वो अभी भी वहीं हैं।
हमें उन्हें नहीं, बल्कि उनकी आदतों को बदलना होगा।
क्योंकि जब तक हम इन लोगों को अपने आसपास रखेंगे, तब तक ये बात बंद नहीं होगी।
Roshini Kumar
सितंबर 4, 2024 AT 03:35Siddhesh Salgaonkar
सितंबर 4, 2024 AT 17:49मैं तो सोचता हूं कि ये सब बस एक गेम है।
तुम अपनी आत्मा बेच रही हो, और फिर उसे एक रिपोर्ट में बदल देती हो।
ये बस एक बाजार है।
और अगर तुम नहीं चाहतीं, तो न जाओ।
कोई तुम्हें बल नहीं दे रहा।
तुम खुद चली गईं।
और अब तुम रो रही हो।
😂
Arjun Singh
सितंबर 5, 2024 AT 11:12अब तक जो भी लड़कियां चुप रहीं, वो सब अब बोलने लगेंगी।
हमें इसे एक जांच के रूप में नहीं, बल्कि एक बिंदु के रूप में देखना होगा।
एक ऐसा बिंदु जहां से बदलाव शुरू होता है।
और अगर हम इसे नहीं लेंगे, तो ये बात फिर से भूल जाएगी।
yash killer
सितंबर 6, 2024 AT 16:44ये सब बाहरी शक्तियां हैं।
हम अपने लोगों को बचाएंगे।
हम अपने बेटियों को बचाएंगे।
हम अपने देश को बचाएंगे।
हम अपने संस्कृति को बचाएंगे।
और इस रिपोर्ट को हम अपनी आंखों से देखेंगे।
और फिर उसे जला देंगे।
MANJUNATH JOGI
सितंबर 7, 2024 AT 05:51ये एक बहु-स्तरीय शोषण का नमूना है, जहां शक्ति का असंतुलन एक बार फिर से स्थापित हो गया है।
महिलाओं के लिए ये एक बार फिर से एक अपराधी वातावरण है, जिसमें वे अपनी आत्मा को बेचने के लिए मजबूर होती हैं।
हमें इसे एक इंस्टिट्यूशनल ब्रेकडाउन के रूप में देखना होगा, और फिर एक नए नैतिक ढांचे की आवश्यकता है।
हमें एक नियमित निरीक्षण निकाय बनाना होगा, जो इस उद्योग के भीतर नियमित रूप से जांच करे।
ये एक न्याय का मुद्दा है।
और ये एक न्याय के लिए लड़ने का नाम है।