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मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न की चौंकाने वाली सच्चाई: हेमाजी कमेटी रिपोर्ट का खुलासा

के द्वारा प्रकाशित किया गया आरव शर्मा    पर 20 अग॰ 2024    टिप्पणि(0)
मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न की चौंकाने वाली सच्चाई: हेमाजी कमेटी रिपोर्ट का खुलासा

मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न की सच्चाई: हेमाजी कमेटी रिपोर्ट

हाल ही में हेमाजी कमेटी द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न और शोषण की भयावह स्थिति को उजागर किया है। यह रिपोर्ट 2017 में अभिनेता दिलीप के शामिल एक हमले के मामले की जांच के दौरान बनाई गई थी। जांच पैनल में पूर्व हाई कोर्ट न्यायधीश जस्टिस हेमाजी, वरिष्ठ अभिनेता शारदा, और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी केबी वलसला कुमारी शामिल थे। रिपोर्ट में बताए गए तथ्य सबसे पहले लड़खड़ाते हुए, फिर धीरज के साथ, फिर बड़े झटके के रूप में आया कुछ-कुछ ऐसा जैसे कि दर्द का स्पाइस कैप्सूल।

कमेटी रिपोर्ट का गठन

यह कमेटी 2017 में तब बनाई गई थी जब मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेता दिलीप के शामिल एक हमले के मामले ने पूरे उद्योग को हिला कर रख दिया था। जांच के दौरान, पैनल ने फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के प्रति हो रहे यौन शोषण और उत्पीड़न के मामले में कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए। रिपोर्ट ने यह साफ किया कि महिलाएं बिना काम शुरू किये ही अनुचित मांगों का सामना करती हैं। उन्हें 'एडजस्टमेंट' और 'कंप्रोमाइज' करने के लिए मजबूर किया जाता है, जिसमें यौन संबंध भी शामिल होते हैं।

महिला कलाकारों का शोषण और अनुचित मांगें

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जो महिलाएं इन मांगों के आगे झुक जाती हैं, उन्हें 'कोड नाम' दे दिए जाते हैं, जबकि जो इसका विरोध करती हैं, उन्हें फिल्म इंडस्ट्री से बाहर कर दिया जाता है। कभी-कभी उन्हें डराया-धमकाया भी जाता है, जिससे वे मामलों की पुलिस में शिकायत करने से कतराती हैं। इस तरह का उत्पीड़न सार्वजनिक तौर पर धमकी देने, बदनाम करने और साइबर अटैक के रूप में भी सामने आता है।

शक्तिशाली समूह का नियंत्रण

रिपोर्ट में एक शक्तिशाली समूह का भी जिक्र किया गया है, जो लगभग 10-15 पुरुषों का होता है। यह समूह ही फिल्म इंडस्ट्री में कास्टिंग और करियर के अवसरों का नियंत्रण करता है। शायद यही कारण है कि महिला कलाकारों का शोषण हो रहा है और उनकी सुरक्षा खतरे में है। प्रदत्त जानकारी के अनुसार, कई महिलाएं अपनी कमरे में ताले लगाकर रहती हैं क्योंकि कुछ नशे में धुत लोग उनके कमरे के दरवाजे खटखटाते रहते हैं।

कानूनी कार्रवाई की मांग

इतनी गंभीर आरोपों के बीच, कानूनी विशेषज्ञों ने इस मामले की विस्तृत जांच के लिए एक विशेष जांच टीम गठित करने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा है कि इन मामलों की आपराधिक जांच होनी चाहिए और शोषण के इन मामलों को रोकने के लिए एक ठोस कानून बनाने की भी आवश्यकता है।

रिपोर्ट का सार्वजनिक होना

कमेटी रिपोर्ट का सार्वजनिक होना भी एक लंबी प्रक्रिया के बाद संभव हो पाया है। केरल हाई कोर्ट के आदेश के बाद इसे सार्वजनिक किया गया, लेकिन कुछ लोगों ने इसकी गोपनीयता को लेकर भी चिंता व्यक्त की है। केरल सरकार से उम्मीद जताई जा रही है कि वे इस रिपोर्ट के सुझावों पर सख्त कार्रवाई करेंगे और पीड़ितों को न्याय दिलाएंगे।

लिहाजा, हेमाजी कमेटी की रिपोर्ट ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के एक काले रूप को सामने लाया है। मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ हो रहे इस तरह के अमानवीय बर्ताव और शोषण को अब अनदेखा नहीं किया जा सकता। इस रिपोर्ट के बाद उम्मीद जताई जा सकती है कि न सिर्फ मलयालम फिल्म इंडस्ट्री बल्कि पूरे भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर नए कदम उठाए जाएंगे।