तुंगभद्रा बांध: क्यों है यह शिलॉन्ग का खास जल संरचना?
शिलॉन्ग में कई बड़े बांध हैं, लेकिन तुंगभद्रा बांध अपनी कहानी और दिग्गज आकार से अलग दिखता है। अगर आप पहली बार इस इलाके में आए हैं तो समझिए कि यह बांध केवल पानी रोकने वाला नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा भी है।
इतिहास और निर्माण के पीछे की कहानी
तुंगभद्रा बांध को 1998 में शुरू किया गया था। सरकार ने इसे जल संरक्षण, सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए चुना था। बनाते समय स्थानीय कारीगरों का हाथ रहा – उन्होंने पारंपरिक पत्थर की तकनीक को आधुनिक इंजीनियरिंग से जोड़ा। इस कारण बांध की मजबूती आज भी शानदार है, चाहे मौसम कितना ही बदल जाए।
बांध के निर्माण में लगभग 2 मिलियन क्यूबिक मीटर मिट्टी और चट्टान इस्तेमाल हुई। स्थानीय लोग इसे ‘भद्रा’ कहते हैं क्योंकि यह गाँव के नाम से जुड़ा हुआ था – तुंगभद्रा नदी पर बना यह बंधन अब एक पहचान बन गया है।
पर्यटन में क्यों बढ़ रहा आकर्षण?
आजकल युवा ट्रैवलर इस जगह को शांति और फोटोग्राफी के लिए पसंद कर रहे हैं। बांध की किनारे पर बने वाटरफ्रंट पार्क, साइकिल पथ और छोटे झीलें तस्वीरों में अलग ही रंग भर देती हैं। खासकर सुबह 6 बजे का सूरज जब पानी पर पड़ता है, तो वो लाइटिंग इफ़ेक्ट देखना एकदम जादू जैसा लगता है।
अगर आप प्रकृति के साथ समय बिताना चाहते हैं तो बंध के पास ट्रैकिंग रूट भी उपलब्ध हैं। रास्ता आसान से मध्यम कठिनाई तक का है, इसलिए परिवार या दोस्त समूह दोनों ही आराम से चल सकते हैं। रास्ते में स्थानीय हर्बल गार्डन और छोटे झरने मिलते हैं, जो एक छोटा एस्केप बनाते हैं।
बांध के पास एक छोटी सी बोटिंग सेवा भी शुरू हुई है। आप 30 मिनट की सवारी करके पानी के ऊपर शांति महसूस कर सकते हैं। यह अनुभव बच्चों को भी बहुत पसंद आता है और फोटो एल्बम में नई यादें जोड़ता है।
कैसे पहुंचें और कब जाएँ?
सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन शिलॉन्ग जंक्शन है, वहाँ से टैक्सी या स्थानीय बस ले सकते हैं – लगभग 20 किमी की दूरी पर बंध स्थित है। अगर आप कार से आ रहे हैं तो राष्ट्रीय हाईवे 37 के साथ साइन दिखते ही बंध का प्रवेश द्वार मिलेगा।
सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक माना जाता है, क्योंकि इस दौरान मौसम साफ और ठंडा रहता है। गर्मी में जलस्तर कम हो सकता है, इसलिए पानी की मात्रा देख कर योजना बनाएं। रात के समय भी सुरक्षित है – बंध पर लाइटिंग अच्छी है और सुरक्षा गार्ड मौजूद होते हैं।
बांध के आसपास छोटे रेस्तराँ और स्टॉल भी चलते हैं जहाँ आप स्थानीय व्यंजन जैसे ‘मासाल पोटा’ या ‘तुंगभद्रा चाय’ आज़मा सकते हैं। कीमतें किफायती हैं, इसलिए बजट में रहने वाले यात्रियों को कोई समस्या नहीं होगी।
ध्यान रखने योग्य बातें
1. बंध के अंदर फोटो लेना मना है – सुरक्षा कारणों से यह नियम सख्ती से लागू किया जाता है। 2. अगर आप पिकनिक प्लान कर रहे हैं तो कचरा ठीक से निपटाएं, क्योंकि पर्यावरण संरक्षण इस जगह का मुख्य लक्ष्य है. 3. बच्चों को हमेशा गाइड के साथ रखें, पानी के किनारे तेज़ी से फिसलन हो सकती है।
तुंगभद्रा बांध सिर्फ एक जल संरचना नहीं, बल्कि शिलॉन्ग की संस्कृति और विकास का प्रतीक है। चाहे आप इतिहास में रुचि रखते हों या प्रकृति के साथ समय बिताना चाहते हों – यहाँ हर किसी के लिए कुछ न कुछ खास है। अगली बार जब शिलॉन्ग आएँ, तो इस बंध को अपनी यात्रा सूची में जरूर जोड़ें और खुद अनुभव करें उसकी अनोखी आकर्षण।
तुंगभद्रा बांध के फाटक के बह जाने से कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में अलर्ट जारी

कर्नाटक के तुंगभद्रा बांध का फाटक नंबर 19 टूटने के बाद बांध में अचानक जलस्तर बढ़ गया है, जिससे कृष्णा नदी के तटीय इलाकों में चेतावनी जारी की गई है। इसके चलते आंध्र प्रदेश के कई ज़िलों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।