Sensex crash – क्या होता है और क्यों मायने रखता है?

जब Sensex crash, भारत के मुख्य बेंचमार्क इंडेक्स का अचानक बड़ी गिरावट Sensex crash समाचार शीर्षकों पर छा जाता है, तो निवेशक तुरंत कारण समझने की कोशिश करते हैं। इस घटना में Stock Market, शेयर ख़रीद‑बेच का मंच की अपार मात्रा में बेच‑फ्रॉड, विदेशी पूँजी की निकासी और नियामक बदलाव प्रमुख होते हैं। साथ ही IPO, कम्पनी के शुरुआती सार्वजनिक ऑफ़रिंग जैसी घटनाएँ भी सूचकांक को हिला सकती हैं, क्योंकि नई कंपनियों के जारी मूल्य का असर कुल बाजार पूँजीकरण पर पड़ता है।

क्यों होता है Sense Sense (Sensex) में तेज गिरावट?

एक Sensex crash के पीछे आमतौर पर तीन मुख्य कारण होते हैं: पहला, बाजार अस्थिरता यानी volatility, जहाँ निवेशक भावनात्मक या तकनीकी कारणों से एक साथ शेयर बेच देते हैं। दूसरा, बड़े‑पैमाने पर आर्थिक डेटा जैसे GDP slowdown, महंगाई या तेल की कीमतों में उछाल, जो इंडेक्स की आधारभूत शक्ति को घटाते हैं। तीसरा, नियम‑नीति परिवर्तन जैसे ब्याज दर में बदलाव या SEBI की नई दिशा‑निर्देश, जो बाजार के भरोसे को प्रभावित करते हैं। इन तीनों कारणों का मिलाजुला प्रभाव अक्सर एक ही दिन में 5‑7% या उससे अधिक गिरावट में बदल जाता है।

जब NSE (National Stock Exchange) के Nifty या BSE के S&P BSE Sensex दोनों एक साथ नीचे जाते हैं, तो यह ‘कंटेज़न’ जैसा माहौल बनाता है—सरकार की नीति, विदेशी निवेशक की अपार टर्नओवर, और घरेलू ट्रेडर की ‘पैनिक‑सेल’ मिलकर बाजार को निचले स्तर पर धकेलते हैं। इस दौरान, Dividend, कंपनी द्वारा शेयरधारकों को दिया गया लाभांश की घोषणा भी अहम भूमिका निभाती है; यदि कोई बड़ी कंपनी विपरीत परिणाम घोषित करती है, तो उसकी स्टॉक की गिरावट पूरे इंडेक्स को नीचे ले जा सकती है।

उदाहरण के तौर पर, 2025 में Tata Capital का IPO 75% सब्सक्रिप्शन मिला, पर ग्रे‑मार्केट प्रीमियम में गिरावट ने कुछ शुरुआती निवेशकों को बेच‑फ्रॉड महसूस कराया, जिससे छोटे‑सत्र में थोड़ी गिरावट आई। इसी तरह, Sun Pharma का ₹5.50 डिविडेंड घोषणा ने शेयरधारकों को सकारात्मक सिग्नल दिया, लेकिन उसी समय व्यापक बाजार में विदेशी फंड्स की निकासी ने Sensex को नीचे धकेला। ये घटनाएँ दिखाती हैं कि व्यक्तिगत कॉर्पोरेट कदम और व्यापक बाजार मूड कैसे एक‑दूसरे को प्रभावित करते हैं।

एक और अक्सर अनदेखी किया जाने वाला पहलू Stock Split, शेयर की कीमत घटाकर अधिक शेयर बनाना है। जब Adani Power ने 1:5 स्टॉक स्प्लिट मंजूर किया, तो लिक्विडिटी में सुधार के कारण कुछ निवेशकों ने खरीदारी की, पर साथ ही कई ट्रेडर ने स्प्लिट को ‘डिल्यूशन संकेत’ मान कर बेच‑फ्रॉड कर बैठे। इस तरह की छोटी‑छोटी खबरें भी जब एकसाथ आती हैं तो Sensex के गिरने की घड़ी को तेज कर देती हैं।

इन सभी कारणों को समझना आसान नहीं, पर कुछ आसान कदम मददगार होते हैं। पहला, डेटा‑ड्रिवेन एनालिसिस—जैसे कि पिछले पाँच साल के ट्रेडिंग वॉल्यूम, फोरकास्टेड इकोनॉमिक ग्रोथ और ग्लोबल मार्केट ट्रेंड—को अपनाकर आप बड़ा‑छोटा झटका अनुमान लगा सकते हैं। दूसरा, पोर्टफ़ोलियो डाइवर्सिफिकेशन—सिर्फ Sensex‑संबंधित शेयरों में नहीं, बल्कि म्यूचुअल फ़ंड, गोल्ड या बॉन्ड में भी निवेश करके जोखिम कम किया जा सकता है। तीसरा, समय‑सिंचन—समाचार और फाइनेंशियल रिपोर्ट्स के सही समय पर पढ़ना, ताकि आप पीक‑वॉल्यूम के दौरान न बेचें।

यदि आप आज‑कल के बड़े‑इवेंट्स देखेंगे, तो आपका ध्यान जरूर Tata Capital IPO, Sun Pharma डिविडेंड, Adani Power स्टॉक स्प्लिट और Atlanta Electricals IPO जैसे हाई‑प्रोफ़ाइल एडजस्टमेंट्स पर जाएगा। इन घटनाओं की विस्तृत रिपोर्ट हमारे नीचे मिलेगी, जिसमें प्रत्येक घटना का Sensex पर संभावित असर, विशेषज्ञों की राय और भविष्य की संभावनाएँ शामिल हैं। उनका विश्लेषण पढ़कर आप अपनी ट्रेडिंग या निवेश रणनीति को बेहतर बना सकते हैं।

आगे आने वाले लेखों में हम देखेंगे कि कैसे Market Volatility, कीमतों में तेज़ उतार-चढ़ाव के दौर में सही निर्णय लेते हैं, कौनसे संकेतक ‘एक्सट्रीम’ ड्रॉप को पहले बता देते हैं, और कौनसे टूल्स जैसे ट्रेडिंग‑वॉल्यूम चार्ट या फ्यूचर‑कॉन्ट्रैक्ट्स मददगार होते हैं। इन सबका एकसाथ मिलकर Sensex crash की समझ बढ़ती है और आप बेहतर तैयार हो सकते हैं।

सेंसैक्स में 733 अंक गिरावट, निफ्टी 236 अंक नीचे – निवेशकों को बेमिसाल झटका

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 27 सित॰ 2025    टिप्पणि(0)
सेंसैक्स में 733 अंक गिरावट, निफ्टी 236 अंक नीचे – निवेशकों को बेमिसाल झटका

26 सितंबर 2025 को भारतीय शेयर बाजार ने ऐतिहासिक गिरावट देखी। सेंसैक्स 733 अंक और निफ्टी 236 अंक नीचे गिरा, जिससे छह लगातार सत्रों में नुकसान बढ़ा। फार्मा और IT सेक्टर में भारी बिकवाली, अमेरिकी टैरिफ की आशंकाओं के कारण हुई। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस साल लगभग 13‑15 बिलियन डॉलर निकाले, जिससे रुपये की कीमत 88 रुपए पर गिर गई। सभी सेक्टर लाल बंद में रहे, बाजार में बड़ी अस्थिरता कायम।