पूजा मुहूरत: क्या है, कब होता है और क्यों जरूरी है?

जब भी किसी पूजा या फेस्टिवल की तैयारी करते हैं, सबसे पहले लोग पूछते हैं – ‘मुहूरत कब है?’ असली कारण यह है कि सही समय पर किए गये कार्य से फल ज्यादा मिलता है। इसलिए हम यहाँ आपको सरल शब्दों में बता रहे हैं कि पूजा मुहूरत क्या होती है और इसे कैसे चुनते हैं।

मुख्य तिथि‑तारीखें – इस महीने के प्रमुख मुहूरत

अगले दो हफ्तों में कई बड़े धार्मिक आयोजन होंगे:

  • विष्णु पूजा (15 अगस्त) – सूर्य की गति और चंद्रमा के मिलन पर शुभ समय सुबह 06:45 बजे है।
  • दुर्गा व्रत (22‑23 अगस्त) – दोपहर 02:30 से 04:00 तक का समय सबसे लाभकारी माना जाता है।
  • शिवरात्रि (14 सितम्बर) – रात के अंधेरे में जब चाँद की रोशनी कम होती है, 09:15 बजे से 10:45 बजे के बीच पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है।

इन तिथियों को कैलेंडर में नोट कर लें, ताकि आप आख़िरी मिनट तक उलझन में न रहें। अगर आपके क्षेत्र में स्थानीय पंचांग अलग हो तो थोड़ा समय अंतर हो सकता है, लेकिन मूल सिद्धांत वही रहता है – ग्रहों की स्थिति देखी जाती है।

मुहूरत कैसे चुनें – आसान कदम

1. पंचांग देखें: सबसे भरोसेमंद स्रोत सरकारी या स्थानीय पंडित का पंचांग होता है। ऑनलाइन भी कई विश्वसनीय वेबसाइट्स हैं, लेकिन उनका उपयोग तभी करें जब आप तकनीक में भरोसा रखते हों।

2. ग्रहों की चाल समझें: सूर्य, चंद्रमा और नब्बे ग्रह (ज्येष्ठा, शुक्ल आदि) का मिलन शुभ मुहूरत बनाता है। अगर इनकी गति प्रतिकूल हो तो पूजा को अगले उपयुक्त समय तक टालना बेहतर रहता है।

3. स्थानीय परम्परा मानें: कुछ क्षेत्रों में वही दिन-समय माना जाता है जो जनजागरण के साथ जुड़ा होता है, जैसे कि गांव की पुरानी मुहूरत तालिका। यह अक्सर सबसे विश्वसनीय होती है क्योंकि स्थानीय लोग इसे कई पीढ़ियों से अपनाते आए हैं।

4. वास्तु‑शासन का ध्यान रखें: अगर आप घर में पूजा कर रहे हैं, तो स्थान साफ़ होना और दिशा सही (पूरब या उत्तर) होना भी शुभ माना जाता है। छोटे‑छोटे बदलाव जैसे कि दीपक को दक्षिण‑पश्चिम कोने में रखना फ़ायदे का हो सकता है।

5. मन की शांति: अंत में सबसे ज़रूरी बात – आपका मन शांत और इरादा साफ़ होना चाहिए। सही मुहूरत चुनना तो आसान है, पर सच्ची पूजा तभी सफल होती है जब दिल से भगवान का नाम लिया जाए।

इन पाँच चरणों को फॉलो करके आप हर बड़े त्योहार या व्यक्तिगत पूजा में आसानी से शुभ समय पा सकते हैं। याद रखें, मुहूरत सिर्फ एक समय नहीं, बल्कि आपका सकारात्मक सोच और तैयारी भी दर्शाता है।

शिलॉन्ग समाचार पर हम नियमित रूप से पूजा मुहूरत की नवीनतम जानकारी अपडेट करते रहते हैं। अगर आप किसी विशेष पूजा या वैदिक ज्योतिष के बारे में पूछना चाहते हैं, तो नीचे कमेंट करें या हमारे फ़ीडबैक सेक्शन में लिखें। आपका सवाल हमें अगले लेखों में शामिल करने में मदद करेगा और आपके लिए सही समय चुनना आसान बना देगा।

आशा है कि यह गाइड आपको अपने धार्मिक कार्यों को बेफिक्र ढंग से करने में मदद करेगा। अगली बार जब आप मुहूरत पूछेंगे, तो अब सिर्फ तारीख नहीं बल्कि ऊपर बताए गए पाँच कदम भी याद रखिए – तब आपका मन और पूजा दोनों ही सही दिशा में चलेंगे।

नवरात्रि के छठे दिन माँ दुर्गा की करें विशेष पूजा, जानें मुहूर्त और विधि

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 8 अक्तू॰ 2024    टिप्पणि(0)
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8 अक्टूबर 2024 को शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है। इस दिन पंचमी तिथि से षष्ठी तिथि में परिवर्तन होता है। माता स्कंदमाता और माता कात्यायनी की पूजा की जाती है। भक्तों के लिए इस दिन के मंदिर सजाए जाते हैं। उचित शुभ मुहूर्त में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस आर्टिकल में पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।