नवरात्रि का छठा दिन: माँ दुर्गा की विशेष पूजा
भारतीय संस्कृति में नवरात्रि का बहुत बड़ा महत्व है। भक्त इस पावन पर्व के दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करते हैं। इस वर्ष, 8 अक्टूबर 2024 को शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है। इस दिन पंचमी तिथि के साथ शुरुआत होती है और उसके पश्चात षष्ठी तिथि का आगमन होता है। इस अद्भुत दिन को लेकर भक्तों में उत्साह का माहौल होता है, विशेषकर माँ दुर्गा के दिव्य स्वरूपों की पूजा को लेकर।
यह दिन भक्तों के लिए थोड़ा पेचीदा होता है क्योंकि तिथियों के परिवर्तन के कारण कौन-सी माता की पूजा की जानी चाहिए, इसे लेकर संशय हो सकता है। परंतु हमें यह समझना चाहिए कि इस दिन उदय तिथि के अनुसार, माता स्कंदमाता की पूजा अत्यंत फलदायी होती है। वही, दिन के बीच में षष्ठी तिथि आरंभ होने के कारण माता कात्यायनी की पूजा भी की जा सकती है।
पूजा के समय और मुहूर्त
किसी भी पूजा में शुभ मुहूर्त का बहुत बड़ा महत्व होता है। इसी का उद्देश्य होता है कि दिव्यता और शांति का अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके। माँ स्कंदमाता की पूजा के लिए निम्नलिखित मुहूर्त अत्यंत शुभ माने गए हैं:
- ब्रह्म मुहूर्त: 4:39 AM से 5:29 AM तक
- अभिजीत मुहूर्त: 11:45 AM से 12:32 PM तक
- विजया मुहूर्त: 2:05 PM से 2:52 PM तक
- रवि योग: 6:18 AM से 4:08 AM (अगले दिन)
इन शुभ मुहूर्तों में पूजा करने से माँ दुर्गा की असीम कृपा प्राप्त होती है।
पूजा की विधि
पूजा विधि एक विशेष प्रकार की होती है जो विशेष ध्यान और उमंग से की जाती है। इस दिन के लिए अनुशंसित रंग पीला और स्वर्णिम होता है क्योंकि यह रंग खुशी और शांति का प्रतीक है। भक्तों को पीले कपड़े धारण करने चाहिए और माँ स्कंदमाता को पीले फूल, पीले फल और सफेद मिठाइयाँ चढ़ानी चाहिए। इसके अलावा, कच्चे केले, पूड़ी, साबूदाने की खीर और अन्य सफेद मिठाइयाँ व अन्य भोग भी चढ़ाया जा सकता है।
माँ दुर्गा अपनी कृपा से भक्तों के जीवन में सुख और समृद्धि का संचार करती हैं। इसलिए उनकी पूजा हृदय की गहराई से करनी चाहिए। इस प्रक्रिया में भक्तों को अपनी समर्पण और श्रद्धा दर्शानी चाहिए जिससे देवी माँ प्रसन्न हो सकें। पूजा के समय में और भी महत्वपूर्ण यह है कि भक्तों की आस्था सच्ची होनी चाहिए और उनकी विनम्रता से भरी होनी चाहिए।
माँ स्कंदमाता की महत्वपूर्ण भूमिका
माँ स्कंदमाता की पूजा का महत्व विशेष है। यह माता अपने भक्तों को संतान-सुख प्रदान करती हैं। उन्हें पीले रंग के फूल जैसे चंपा, गुड़हल, और गुलाब अर्पित करने चाहिए। माँ स्कंदमाता की पूजा के दौरान शांत और सकारात्मक वातावरण बनाना अत्यंत आवश्यक है ताकि उनकी शीतलता पूजा में विद्यमान हो सके।
यदि हम इन विधियों और मुहूर्तों का पालन करते हैं, तो निश्चय ही माँ दुर्गा की कृपा से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और आशीर्वाद प्राप्त होता है। नवरात्रि के इस पावन और आनंदमयी समय में माँ दुर्गा की आराधना कर हमें आत्मिक शांति और भगवती की कृपा प्राप्त होती है।
अत्यंत धैर्य और श्रद्धा के साथ की गई पूजा का फल अवश्य मिलता है। नवरात्रिकाल पूरे परिवार को एक साथ लाने और त्योहार के आनंद लेने का समय है। इस दिन भक्तों को ये भी ध्यान रखना चाहिए कि माँ दुर्गा की पूजा में अपने हृदय की सच्चाई और भक्ति को सम्मिलित करें ताकि देवी माँ का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे।
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