फ़ेक न्यूज़ – जागरूक रहें, सच्चाई को पहचानें
जब हम फ़ेक न्यूज़, इंटरनेट या सोशल मीडिया पर फेंकी गई झूठी जानकारी जो जनभ्रम, राय‑परिवर्तन या चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकती है. गलत जानकारी की बात करते हैं, तो सबसे पहला सवाल यही आता है – इसे कैसे पहचाने? फ़ेक न्यूज़ केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि राजनीति, वित्त, खेल और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में गंभीर असर डालती है। इस पेज पर हम इस समस्या के मुख्य पहलुओं को तोड़‑फोड़ कर समझेंगे, ताकि आप रोज़मर्रा की ख़बरों में सच्चाई की आवाज़ सुन सकें।
आज की फ़ेक न्यूज़ की लहर तेज़ है, और इसके पीछे साइबर सुरक्षा, डिज़िटली प्रणाली को अनधिकृत पहुँच, डेटा फ़िशिंग और डीपफ़ेक से बचाने की तकनीकी और नीति‑आधारित उपाय का बड़ा हाथ है। जब कोई सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर झूठी पोस्ट मिलती है, तो अक्सर वह सुरक्षित पासवर्ड, दो‑फ़ैक्टर ऑथेंटिकेशन या एन्क्रिप्शन जैसी सुरक्षा उपायों को नजरअंदाज कर देती है। इसी कारण से फ़ेक खबरें जल्दी‑जल्दी वायरल हो जाती हैं और वास्तविक तथ्यों को धुंधला कर देती हैं।
फ़ेक न्यूज़ की दूसरी कड़ी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम तथा स्थानीय समाचार ऐप्स जैसे डिजिटल चैनल जहां उपयोगकर्ता जानकारी साझा करते हैं हैं। इन प्लेटफ़ॉर्म के एल्गोरिदम अक्सर सहभागिता को प्राथमिकता देते हैं, इसलिए उत्तेजक या भावनात्मक कंटेंट जल्दी फैलता है। जब एक झूठी सिडीया तस्वीर या राजनैतिक संदेश वायरल हो जाता है, तो लोग बिना जांचे‑परखे उसे सत्य मान लेते हैं। इस प्रवृत्ति को तोड़ने के लिए प्लेटफ़ॉर्म को सत्य‑जाँच उपकरण और यूज़र‑रिपोर्टिंग मेकैनिज़्म को मजबूती से लागू करना चाहिए।
फिर आती है डिज़िटल साक्षरता, इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी को समझना, स्रोतों की जाँच करना और तर्कसंगत निष्कर्ष निकालने की क्षमता । यह कौशल सीधे फ़ेक न्यूज़ से लड़ने में मदद करता है। अगर हम वहीँ से शुरू करें, जहाँ हमारे पास सही स्रोतों की पहचान हो – सरकारी पोर्टल, विश्वसनीय समाचार एजेंसियाँ या प्रमाणित विशेषज्ञ – तो झूठी खबरों को फ़िल्टर करना आसान हो जाता है। स्कूल‑कॉलेज में डिजिटल साक्षरता पाठ्यक्रम, वयस्क शिक्षा कार्यशालाएँ और ऑनलाइन टूल्स इस प्रक्रिया को तेज़ बना सकते हैं।
तकनीकी पक्ष से देखें तो AI‑जेनरेटेड कंटेंट ने फ़ेक न्यूज़ को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। हालिया रिपोर्ट में बताया गया कि ‘AI साड़ी’ ट्रेंड में कई यूज़र डीपफ़ेक साड़ी फ़ोटो बना रहे हैं, जिन्हें अक्सर Google Gemini जैसी तकनीक का झूठा दावे के साथ शेयर किया जाता है। ऐसी झूठी छवियों को पहचानना मुश्किल हो सकता है, पर विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि EXIF डेटा जाँचें, स्रोत को ट्रेस करें और यदि संभव हो तो मूल फ़ोटो को आधिकारिक साइट से तुलना करें।
फ़ेक न्यूज़ न सिर्फ व्यक्तियों को बल्कि बाज़ार, खेल और राजनीति को भी हिलाती है। उदाहरण के तौर पर, टाटा कैपिटल IPO पर ‘अभियान’ थी जो कई निवेशकों को डराने‑धाड़ने वाले अफवाहें फैलाती थी, जिससे ग्रे‑मार्केट प्रीमियम में गिरावट आई। इसी तरह, बांग्लादेश‑अफ़गानिस्तान क्रिकेट मैच के रैंकिंग को लेकर झूठी रिपोर्टें फैन के बीच भ्रम पैदा कर देती हैं। इन सभी मामलों में सही सूचना स्रोत की जाँच, आधिकारिक घोषणाएँ और विश्वसनीय मीडिया का सहारा लेना आवश्यक है।
अब आप तैयार हैं फ़ेक न्यूज़ की दुनिया में झाँकने के लिए, सही टूल्स और जानकारी के साथ। नीचे दी गई सूची में हमने आज की सबसे ताज़ा ख़बरें – चाहे वह साइबर सुरक्षा के अपडेट हों, सोशल मीडिया पर फ़ेक कंटेंट की पहचान के टिप्स हों या वित्तीय बाजार की वास्तविक रिपोर्टें हों – सब एक जगह इकट्ठा की हैं। पढ़ते रहें, सवाल पूछते रहें, और हर ख़बर को अपनी समझ के साथ फ़िल्टर करें।
ITR डेडलाइन 2025: CBDT का अलर्ट - आज ही फाइल करें, फ़ेक न्यूज़ से बचें

CBDT ने ITR डेडलाइन 2025‑26 को लेकर एक बड़ा अलर्ट जारी किया है। वास्तविक अंतिम तिथि 16 सितंबर 2025 है, जबकि सोशल मीडिया पर 30 सितंबर का फैलाव पूरी तरह झूठ है। ऑडिट‑केस व्यवसायों को 31 अक्टूबर तक समय है, और देर से फ़ाइल करने पर दंड लगेगा। करदाताओं को आधिकारिक अधिसूचनाओं पर ही भरोसा रखने की सलाह दी गई है।