डिप-सी ट्रांसशिपमेंट हब क्या है?

आपने शायद ‘ट्रांसशिपमेंट’ या ‘डीप वॉटर पोर्ट’ शब्द सुना हो, लेकिन डिप-सी ट्रांसशिपमेंट हब थोड़ा अलग है। इसका मतलब है ऐसा बंदरगाह जो समुद्र की गहरी परत में स्थित हो और बड़े कंटेनर जहाज़ों को सीधे लैंडिंग की जरूरत के बिना लोड‑अनलोड कर सके। यानी जहाज सीधे पानी में ही अपने कार्गो बदल लेता है, फिर छोटी बोट या ट्रांसफ़र शिप से किनारे तक पहुंचाया जाता है।

यह प्रणाली बड़े पोर्टों की भीड़भाड़ कम करती है, लोडिंग‑अनलोडिंग समय घटाती है और पर्यावरण पर दबाव भी घटाता है क्योंकि छोटे जहाज़ें इंधन बचाते हैं। अगर आप व्यापार में जुड़े हैं तो यह आपके खर्चे को सीधे प्रभावित कर सकता है – तेज़ डिलीवरी, कम टर्नअराउंड टाइम और बेहतर कस्टम क्लियरेंस.

डिप-सी ट्रांसशिपमेंट हब की मुख्य विशेषताएँ

1. गहरी ड्राफ्ट: ऐसे पोर्ट जहाँ समुद्र का गहरा स्तर हो, जिससे सबसे बड़े कंटेनर जहाज़ (जैसे Maersk Triple‑E) भी बिना रोक-टोक प्रवेश कर सकें।
2. ऑन‑डॉक ट्रांसफ़र: कंटेनर सीधे डॉकेशन पर लोड होते हैं, फिर छोटे टगबोट या वैक्यूम ट्रीटमेंट बॉट के जरिए शोरिंग एरिया तक पहुंचते हैं.
3. स्वचालित हेंडलिंग सिस्टम: रोबोटिक क्रेन और AI‑संचालित ट्रैकिंग से माल की पहचान और स्थान निर्धारण तुरंत हो जाता है.
4. पर्यावरण‑मित्र: कम एंजिन रन टाइम, कम उत्सर्जन और जल प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए इको‑फिल्टर सिस्टम मौजूद हैं.

इन सुविधाओं की वजह से डिप-सी हब बड़े कंटेनर शिप्स को सीधे लोड‑ऑफ़ करने में मदद करता है। इससे पोर्ट टर्मिनल की जगह भी कम पड़ती है और जमीन पर निर्माण लागत घटती है.

भारत में संभावित स्थान और अवसर

भारत के कई तटीय राज्यों ने इस मॉडल को अपनाने का संकेत दिया है। कर्नाटक के उडुपी, महाराष्ट्र के लंगर, ओडिशा के पुरी और गोवा की साउथ बे जैसे जगहें गहरी जल स्तर वाली हैं और पहले से ही कुछ प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। इन क्षेत्रों में डिप-सी हब बनाकर निर्यात‑आयात दोनों को तेज़ किया जा सकता है।

व्यापारियों के लिए इसका मतलब है: कम समय में माल भेजना, समुद्र मार्ग पर लागत घटाना और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धी बने रहना. छोटे उद्यम भी अब बड़े शिपिंग लाइनों से सीधे जुड़ सकते हैं, क्योंकि हब की लचीलापन उन्हें बड़ी कंटेनर इकाइयों का उपयोग करने देता है।

सरकार ने 2024‑25 के बजट में डिप-सी पोर्टों को विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) के रूप में घोषित किया है, जिससे टैक्स रिबेट और आसान लाइसेंसिंग मिलती है. इसलिए निवेशकों को शुरुआती चरण में ही फायदेमंद अवसर मिल सकते हैं.

यदि आप लॉजिस्टिक्स या सप्लाई‑चेन में काम करते हैं तो अभी अपने नेटवर्क से पूछें कि कौनसे डिप-सी प्रोजेक्ट्स आपके व्यापार के लिए उपयुक्त हो सकते हैं। एक छोटा कदम, जैसे किसी स्थानीय एजेंट से जानकारी लेना, बड़े बदलाव की शुरुआत बन सकता है.

समुद्र का गहरा हिस्सा अब सिर्फ विज्ञान‑फ़िक्शन नहीं रहा, यह भारत की ट्रेडिंग रणनीति में नया मोड़ लाने वाला घटक है. इसलिए डिप-सी ट्रांसशिपमेंट हब को समझें, देखिए कैसे आपका व्यापार इसे अपनाकर आगे बढ़ सकता है।

विझिंजम में भारत का पहला डीप-सी ट्रांसशिपमेंट हब: मोदी ने किया उद्घाटन, अब नहीं होगी विदेशों पर निर्भरता

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 3 मई 2025    टिप्पणि(0)
विझिंजम में भारत का पहला डीप-सी ट्रांसशिपमेंट हब: मोदी ने किया उद्घाटन, अब नहीं होगी विदेशों पर निर्भरता

केरल के विझिंजम में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के पहले डीप-सी ट्रांसशिपमेंट हब का उद्घाटन किया। यह पोर्ट 8,900 करोड़ की लागत से तैयार हुआ है और अब भारत को कोलंबो, दुबई और सिंगापुर जैसे विदेशी बंदरगाहों पर ट्रांसशिपमेंट के लिए पहले जैसी निर्भरता नहीं रहेगी। यह पोर्ट भारत के समुद्री व्यापार और राजस्व को नई दिशा देगा।