CBDT क्या है और क्यों जरूरी है?

अगर आप भारत में टैक्स भरते हैं, तो CBDT आपके रोज़मर्रा के फैसलों में है। CBDT का पूरा नाम Central Board of Direct Taxes है, यानी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड। यह बोर्ड आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स, और अन्य प्रत्यक्ष करों के नियम बनाता और लागू करता है। सरल शब्दों में, CBDT वही है जो सरकार को टैक्स एकत्र करने में मदद करता है और हमें बताता है कि कौन‑सी चीज़ टैक्सेबल है।

CBDT की हालिया प्रमुख घोषणाएँ

पिछले साल से चल रही डिजिटल पहल ने टैक्स रिटर्न भरने के तरीके को आसान बना दिया है। 2024‑25 वित्तीय वर्ष में CBDT ने e‑Filings का विस्तार किया, जिससे आप मोबाइल ऐप या वेबसाइट से ही फ़ॉर्म जमा कर सकते हैं। साथ ही, नई स्लैब दरें आईं – 2.5 लाख तक की आय पर 0% टैक्स, 2.5‑5 लाख पर 5%, और 10 लाख से ऊपर की आय पर 30% तक। इन बदलावों पर ध्यान देना फाइलिंग के समय झंझट बचाता है।

एक और महत्वपूर्ण अपडेट है ‘बिक्री‑प्री‑टैक्स’ (TDS) नियम में बदलाव। अब कई किराणा, मोबाइल रिचार्ज और ऑनलाइन सेवाओं पर 1% TDS लागू होगा, लेकिन सालाना 10,000 रुपये से कम आय वाले लोगों को रिफंड मिल जाएगा। यह नियम छोटे व्यवसायियों के लिए राहत लाता है, लेकिन रिटर्न में इसको सही से दिखाना ज़रूरी है।

टैक्स रिटर्न कैसे फाइल करें – आसान टिप्स

पहले तो अपने फ़ॉर्म का सही चुनाव करें – ITR‑1 (सिंगल इनकम), ITR‑2 (कई आय), या ITR‑4 (छोटे व्यवसाय)। फिर इन चरणों को फॉलो करें:

  • आधार और PAN को लिंक करें – अगर लिंक नहीं होगा तो रिटर्न रिवर्स हो सकता है।
  • बैंक स्टेटमेंट, फ़ॉर्म 16, फ़ॉर्म 26AS को जमा करें। ये दस्तावेज़ आपके टैक्सेबल इनकम और डिडक्टेड टैक्स को दिखाते हैं।
  • ऑनलाइन कैलकुलेटर से टैक्स की गणना करें या CBDT की आधिकारिक टूल यूज़ करें।
  • शेड्यूल III में दावे (जैसे हाउस रेंट, मेडिक्लेम) डालें, ताकि टैक्स बच सके।
  • फ़ॉर्म भरने के बाद प्री‑व्यू देखें, फिर ‘सबमिट’ पर क्लिक करें।

सबमिट करने के बाद, ‘आवर्डेंस नोटिस’ (ARN) डाउनलोड कर रखें। यह आपका रिटर्न जमा होने का प्रमाण है। अगर आपने कोई टैक्स बचाया है, तो CBDT के पोर्टल से रिफंड ट्रैक कर सकते हैं।

यदि फॉर्म भरते समय कोई गलती हो, तो ‘रिवर्स नोटिस’ आ सकता है। ऐसे में 30 दिनों के भीतर संशोधन फ़ॉर्म (ITR‑V) पॉप अप करता है, जिससे आप ठीक करके फिर से फाइल कर सकते हैं।

CBDT ने हाल ही में “अकाउंटेंट‑फ्री” पहल भी शुरू की है। इसका मतलब है कि छोटे टैक्सपेयर को अब प्रोफ़ेशनल अकाउंटेंट की ज़रूरत नहीं, आप स्वयं e‑Portal से सटीक रूप से फाइल कर सकते हैं। यह पहल खासकर छात्र और फ्रीलांसरों को बहुत मदद करेगी।

तो, अगली बार जब टैक्स की तारीख नजदीक आए, तो इन अपडेट्स को याद रखें। CBDR के नियम बदलते रहते हैं, इसलिए आधिकारिक वेबसाइट या भरोसेमंद टैक्स ऐप से सूचनाएँ चेक करते रहें। जब आप ठीक‑ठीक जानकारी साथ रखें, तो टैक्स फाइलिंग में तनाव कम होगा और रिफंड भी जल्दी मिल पाएगा।

ITR ई-वेरिफिकेशन डेडलाइन 7 सितंबर: 15 सितंबर की बढ़ी तारीख भी बेकार क्यों पड़ सकती है

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 6 सित॰ 2025    टिप्पणि(0)
ITR ई-वेरिफिकेशन डेडलाइन 7 सितंबर: 15 सितंबर की बढ़ी तारीख भी बेकार क्यों पड़ सकती है

AY 2025-26 के लिए नॉन-ऑडिट केस में ITR भरने की समयसीमा 15 सितंबर तक बढ़ी है, पर 7 सितंबर एक अहम तारीख है। 30 दिनों के अंदर ई-वेरिफिकेशन नहीं हुआ तो आपकी रिटर्न ‘इनवैलिड’ हो जाएगी। फिर 15 सितंबर की बढ़ी हुई तिथि भी आपको सीधा फायदा नहीं देगी—या तो दोबारा फाइल करें या जुर्माना/ब्याज झेलें। जानें किसे क्या करना है और किस पर क्या असर पड़ेगा।