अवसाद – लक्षण, कारण और मदद के उपाय
अगर आप या आपके किसी परिचित को लगातार उदासी, थकान और काम में रुचि कम लग रही है, तो यह अवसाद का संकेत हो सकता है। बहुत सारे लोग इसे हल्का मान कर नजरअंदाज़ कर देते हैं, पर सही समय पर पहचान और उपाय ज़रूरी होते हैं। इस लेख में हम सरल शब्दों में बतायेंगे कि अवसाद कैसे दिखता है और आप क्या‑क्या कर सकते हैं।
अवसाद की आम पहचान
अवसाद का मतलब सिर्फ ‘उदास’ होना नहीं, बल्कि यह एक लगातार चलने वाली स्थिति होती है। प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:
- हर चीज़ में मज़ा न आना, यहां तक कि वो काम भी जिनसे पहले ख़ुशी मिलती थी।
- नियमित नींद या भूख में बदलाव – बहुत सो जाना या बिल्कुल नहीं सो पाना, खाने की इच्छा घट जाना या बढ़ जाना।
- थकान महसूस होना, भले ही आप पर्याप्त आराम ले लें।
- आत्मविश्वास कम होना, खुद को बेकार समझना या निराशा का भाव।
- ध्यान केंद्रित न कर पाना, काम में गलती बढ़ जाना।
अगर ये लक्षण दो‑तीन हफ़्तों से लगातार बने रहें तो डॉक्टर से मिलना बेहतर रहेगा। याद रखें, अवसाद सिर्फ मन की कमजोरी नहीं है; यह शरीर और दिमाग दोनों को प्रभावित करता है।
कैसे लें मदद और राहत
पहला कदम है बात करना। अपने दोस्तों या परिवार के साथ खुलकर बातचीत करने से हल्कापन महसूस हो सकता है। अगर आप अकेले महसूस कर रहे हैं, तो भरोसेमंद किसी व्यक्ति को अपनी भावना बताएँ। दूसरा कदम पेशेवर मदद लेना है। मनोवैज्ञानिक, काउंसलर या डॉक्टर आपको उचित दवाइयाँ और थेरेपी सुझा सकते हैं।
साथ ही कुछ साधारण बदलाव भी बड़े असर डालते हैं:
- नियमित व्यायाम – रोज़ 30 मिनट चलना या हल्का योग तनाव कम करता है।
- समय पर खाने‑पीने का ध्यान रखें, पौष्टिक आहार मस्तिष्क को सही ऊर्जा देता है।
- संकल्पित नींद रूटीन बनाएं; हर दिन एक ही समय पर सोना और उठना मददगार रहता है।
- स्क्रीन टाइम घटाएँ, खासकर बिस्तर में मोबाइल इस्तेमाल कम करें।
- ध्यान या प्राणायाम जैसी सादे तकनीकें मन को शांत करती हैं।
अंत में यह याद रखें कि अवसाद का इलाज संभव है और बहुत लोग ठीक हो रहे हैं। अगर आप खुद नहीं कर पा रहे, तो मदद मांगने में कोई शर्म नहीं – यही सबसे बड़ा कदम होता है। हमारी साइट शिलॉन्ग समाचार पर भी आप मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी ताज़ा ख़बरें और विशेषज्ञों की राय पढ़ सकते हैं, जिससे आपको सही दिशा मिल सकेगी।
सोशल मीडिया के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: BBC के लेख का विश्लेषण

BBC के इस लेख में हार्वर्ड विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक मनोविज्ञान शोध का विश्लेषण किया गया है। यह शोध सोशल मीडिया उपयोग और मानसिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभावों को लेकर है। अध्ययन में 1000 युवाओं को शामिल किया गया और पाया गया कि अत्यधिक सोशल मीडिया उपयोग अवसाद और चिंता के स्तर को बढ़ाता है।