भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट
भारतीय शेयर बाजार ने 3 अक्टूबर, 2024 को अपनी विशेषतापूर्ण गिरावट देखी, जब सेंसेक्स ने 1,769 अंकों की गिरावट दर्ज की और निफ्टी 50 में 2% की कमी आई। इस गिरावट ने निवेशकों के बीच अपार चिंता पैदा कर दी। यह गिरावट, जो पिछले दो महीनों की सबसे बड़ी थी, व्यापार जगत में कई सवालों को लेकर आई है। इस गिरावट के पीछे कई संभावित कारण थे, जिनमें मुख्य रूप से करेंट अकाउंट डेफिसिट और कमजोर मैन्युफैक्चरिंग डाटा शामिल है।
सेंसेक्स और निफ्टी में दिखी गिरावट
सेंसेक्स ने 1,769 अंक गिरकर 82,497.80 पर बंद किया, जबकि निफ्टी 50 ने 485.25 अंक की गिरावट के साथ 25,311.65 पर बंद किया। बड़े स्तर की यह गिरावट निवेशकों के मन में भय पैदा कर रही है, क्योंकि प्रमुख कंपनियां जैसे बीपीसीएल, एलएंडटी, और टाटा मोटर्स ने अपने शेयर मूल्यों को कम होते देखा। इन कंपनियों के शेयरों की कीमतों में गिरावट का सीधा असर अन्य प्रमुख क्षेत्रों पर हुआ है।
प्रमुख क्षेत्रों पर प्रभाव
यह गिरावट बाजार के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे एनर्जी, टेलीकॉम, पावर, एफएमसीजी, और रियल्टी को प्रभावित कर रही है, जिसमें निफ्टी ऊर्जा क्षेत्र विशेष रूप से प्रभावित हुआ और 0.75% गिर गया। हालांकि, एक क्षेत्र जो अपरिहार्य रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है वह है आईटी क्षेत्र, जहां 1.17% की वृद्धि दर्ज की गई। टेक महिंद्रा ने 3.06% की बढ़ोतरी के साथ शीर्ष खिलाड़ियों में शामिल किया, जो आईटी क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत था।
मंदी के अन्य संभावित कारण
सेंसेक्स और निफ्टी की गिरावट के साथ ही कई अन्य कारकों ने इस मंदी को बढ़ावा दिया। करेंट अकाउंट डेफिसिट में वृद्धि से निवेशकों में आशंका बढ़ गई है। इसके साथ ही, मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में धीमापन आया है, जो एक और ऊपरी कारक है। इस दौरान, खरीदार भी मीडिया और ऑटो क्षेत्र में सक्रिय दिखाई दिए, लेकिन बड़े पैमाने पर बाजार की भावनाएँ नकारात्मक रहीं।
सप्ताह का अंतिम प्रभाव
यह गिरावट लगातार तीसरे सत्र की मंदी थी, जो महात्मा गांधी जयंती के चलते 2 अक्टूबर को के बाजार बंद होने से पहले शुरू हुई थी। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि एक गेहराई में सुधार की आवश्यकता है। अगर करेंट अकाउंट डेफिसिट और मैन्युफैक्चरिंग डाटा जल्दी सुधार नहीं दिखाते, तो यह चिंता का विषय बन सकता है।
निवेशकों के लिए संभावित रणनीतियाँ
बाजार की इस हालत में, निवेशकों के लिए अपनी निवेश रणनीतियों को पुनः सोचने का समय है। हालांकि, मौजूदा परिस्थिति में भय को नहीं, बल्कि संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि तकनीकी और वैकल्पिक निवेश क्षेत्रों में संभावनाओं की खोज की जाए, क्योंकि ये क्षेत्र बाजार उतार-चढ़ाव से कम प्रभावित होते हैं।
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