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निर्मला सीतारमण ने EY कर्मचारी की मौत पर दिए बयान का किया स्पष्टीकरण, बोलीं 'पीड़िता को दोषी ठहराने का इरादा नहीं'

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 24 सित॰ 2024    टिप्पणि(17)
निर्मला सीतारमण ने EY कर्मचारी की मौत पर दिए बयान का किया स्पष्टीकरण, बोलीं 'पीड़िता को दोषी ठहराने का इरादा नहीं'

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में EY इंडिया के कर्मचारी अन्ना सेबस्टियन पेराइल की मृत्यु पर अपने बयान का स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने साफ किया कि उनकी बातों का उद्देश्य पीड़िता को दोषी ठहराना बिल्कुल नहीं था। यह मामला उस समय सामने आया जब अन्ना के परिवार ने कहा कि उसने अत्यधिक कार्य दबाव के कारण आत्महत्या कर ली।

चेन्नई के कार्यक्रम में दिया बयान

सीतारमण ने एक कार्यक्रम में आंतरिक बल और आध्यात्मिक अभ्यासों का महत्व बताया था और कहा था कि यह प्रथाएं दबाव से निपटने में मददगार हो सकती हैं। यह बयान उस समय आया जब अन्ना के परिवार ने आरोप लगाया कि उसकी मृत्यु का कारण कार्यस्थल पर अत्यधिक दबाव था। शिवसेना (UBT) नेत्री प्रियंका चतुर्वेदी सहित कई जनों ने उनके बयान की कड़ी आलोचना की।

सीतारमण ने कहा कि उन्होंने अपने बयान को गलत सन्दर्भ में लिया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी को दोषी ठहराने का प्रयास नहीं कर रही थीं। सीतारमण ने इस बात पर जोर दिया कि संस्थानों और परिवारों को बच्चों की मदद के लिए सेवाएँ उपलब्ध करानी चाहिए। उन्होंने कहा, "उस दुःखी क्षण में, मैंने संस्थानों और परिवारों के समर्थन की आवश्यकता को रेखांकित किया था। मेरा उद्देश्य पीड़िता को दोषी ठहराना नहीं था।"

सामाजिक और विपक्षी प्रतिक्रिया

वित्त मंत्री के बयान पर सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया आई। बहुत से लोगों ने उन्हें बिना संवेदनशीलता के ब्यान देने का आरोप लगाया। ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर लोगों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की और उनपर दोषारोपण का आरोप लगाया। विपक्षी नेताओं ने भी इस मुद्दे को लेकर सीतारमण पर शब्दबाण चलाए और उनके बयान को 'असंवेदनशील' करार दिया।

अन्ना की पारिवारिक स्थिति और माँ का पत्र

अन्ना सेबस्टियन पेराइल की माँ ने EY इंडिया के प्रमुख को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि अन्ना पर अत्यधिक कार्यभार के कारण उसका स्वास्थ्य बिगड़ गया था। यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोगों का ध्यान इस गंभीर मुद्दे के प्रति आकर्षित किया।

अन्ना, जिनका मरण 26 साल की आयु में हुआ, ने चार महिने पहले ही EY इंडिया में काम शुरू किया था। वह एक प्रतिभाशाली चार्टर्ड एकाउंटेंट थी और कम उम्र में ही उसने उच्च स्तरीय परीक्षा उत्तीर्ण की थी। परंतु उसका कार्यस्थल का दबाव इतना अधिक था कि उसने अपनी जान ले ली।

EY इंडिया और श्रम मंत्रालय की कार्रवाई

EY इंडिया ने अन्ना की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया और उसके परिवार की चिंताओं को 'अत्यंत गंभीरता और विनम्रता' से लेने का वादा किया। साथ ही, संघीय श्रम मंत्रालय ने इस मामले की पूरी तरह से जांच की आश्वासन दिया है ताकि कार्यस्थल की परिस्थितियों को लेकर कोई और दुखद घटना न हो।

कार्यस्थल का दबाव और मानसिक स्वास्थ्य

कार्यस्थल का दबाव और मानसिक स्वास्थ्य

अन्ना सेबस्टियन पेराइल की दुखद मृत्यु ने कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को जनता के सामने रखा। लगातार बढ़ते हुए कार्य दबाव और उससे उत्पन्न होते मानसिक समस्याओं ने इस मुद्दे को और भी पेचीदा बना दिया है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि संस्थानों को अपने कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ और सहयोगात्मक माहौल अत्यंत आवश्यक है। कर्मचारियों को कार्यभार और मानसिक दबाव से मुक्त करने के लिए कंपनियों द्वारा मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और परामर्श सेवाओं का आयोजन किया जाना चाहिए। यह कर्मचारियों के लिए न केवल स्वास्थ्यवर्धक होगा बल्कि उनकी कार्यक्षमता में भी सुधार लाएगा।

इसी बीच, वित्त मंत्री सीतारमण के बयान ने इस चर्चा को और भी प्रबल बना दिया है कि कैसे आध्यात्मिक प्रथाएँ और आंतरिक बल कार्यस्थल के दबाव को कम करने में योगदान कर सकते हैं।

यह अभी भी देखा जाना बाकी है कि सरकार और कॉरपोरेट जगत इस मामले पर क्या प्रतिक्रियाएँ देती हैं, लेकिन यह निश्चित है कि मानसिक स्वास्थ्य और कार्यस्थलीय दबाव को नजरअंदाज करना अब संभव नहीं है।

अन्ना सेबस्टियन पेराइल की मौत देशभर में एक गहरी संवेदना उत्पन्न कर गई है और यह घटना एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन चुकी है। यह न केवल कॉरपोरेट जगत के लिए एक चेतावनी है बल्कि हमारे समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है कि मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना अत्यंत आवश्यक है।

17 टिप्पणि

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    yash killer

    सितंबर 24, 2024 AT 11:53
    ये मंत्री बोल रही हैं आध्यात्मिकता से निपटो लेकिन उनके घर के बच्चे को ऑफिस में 18 घंटे काम करने को कहते हैं ये दोहरा चरित्र देखकर दिल टूट जाता है
    काम का दबाव नहीं बल्कि आत्मा का दबाव है ये सब बकवास
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    Ankit khare

    सितंबर 25, 2024 AT 22:17
    अगर तुम्हारा दिमाग जितना कमजोर है उतना ही तुम्हारा करियर भी होगा ये लड़की अपने मन को नियंत्रित नहीं कर पाई तो उसकी मौत का दोष कंपनी पर क्यों डाल रहे हो
    हर जगह इतना दबाव होता है तुम लोगों को तो बस शिकायत करनी है
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    Chirag Yadav

    सितंबर 26, 2024 AT 21:36
    सबकी बात सुनने का मन है और समझने का भी
    ये बात बहुत गहरी है आध्यात्मिकता और दबाव दोनों का समाधान चाहिए
    कंपनियों को लोगों को आत्महत्या के लिए तैयार नहीं करना चाहिए और हमें भी अपने दिमाग को शांत रखना सीखना चाहिए
    दोनों ओर से काम करना होगा ना तो बस एक तरफ जाकर दोष देना है
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    Shakti Fast

    सितंबर 28, 2024 AT 16:37
    हम सब अपने दिल को बचाने की कोशिश कर रहे हैं और ये लड़की भी बस एक आवाज थी जो चिल्लाई लेकिन कोई नहीं सुन पाया
    मानसिक स्वास्थ्य बस एक शब्द नहीं बल्कि जीवन का हिस्सा है
    हमें इसे बहुत गंभीरता से लेना चाहिए
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    saurabh vishwakarma

    सितंबर 30, 2024 AT 04:11
    अरे ये लड़की जो आत्महत्या कर गई वो चार्टर्ड एकाउंटेंट है ना तो उसे लगता होगा कि ये दबाव तो हर कोई झेलता है
    कंपनी को दोष देना आसान है लेकिन उसके अंदर का टूटना किसने देखा
    क्या तुमने कभी एक लड़की के आंखों में देखा है जब वो अकेली हो जाती है
    ये बात तो बहुत गहरी है दोस्तों
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    MANJUNATH JOGI

    अक्तूबर 1, 2024 AT 08:22
    यहाँ एक सिस्टमिक फेलियर है जिसे हम इंडिविजुअल ट्रैजेडी के रूप में देख रहे हैं
    EY जैसे प्रोफेशनल फर्म्स में कर्मचारी वेलनेस प्रोग्राम्स जरूरी हैं और यहाँ एक कल्चरल लैग है जो बल्की एक्सप्लॉइटेशन को नॉर्मलाइज़ करता है
    मानसिक हेल्थ एक एक्सपेंस नहीं बल्कि एक इन्वेस्टमेंट है जिसका ROI जीवन बचाकर दिखता है
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    Sharad Karande

    अक्तूबर 3, 2024 AT 06:07
    कार्यस्थलीय मानसिक स्वास्थ्य इंटरवेंशन के लिए एक फ्रेमवर्क जरूरी है जिसमें काउंसलिंग, बॉडी लैंग्वेज ट्रेनिंग और वर्कलाइफ बैलेंस मॉनिटरिंग शामिल हो
    कंपनियों को ISO 45003 स्टैंडर्ड्स को अपनाना चाहिए जो एमोशनल वेलनेस को ऑपरेशनल रिस्क के रूप में डिफाइन करता है
    ये सिर्फ इंसानी बात नहीं बल्कि कॉर्पोरेट गवर्नेंस का हिस्सा है
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    Sagar Jadav

    अक्तूबर 4, 2024 AT 20:42
    आत्महत्या करने वालों को दोष नहीं देना चाहिए लेकिन उन्हें जीने की कोशिश भी करनी चाहिए
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    Dr. Dhanada Kulkarni

    अक्तूबर 6, 2024 AT 18:22
    हर एक बच्चे के लिए एक सुरक्षित जगह होनी चाहिए चाहे वो घर हो या ऑफिस
    हम अक्सर भूल जाते हैं कि एक इंसान की आत्मा कितनी कमजोर हो सकती है
    हमें इस बात को समझना होगा कि दबाव कभी-कभी इतना भारी हो जाता है कि बस एक टूटन ही बचाव हो जाता है
    हमें उस टूटन को नहीं देखना चाहिए बल्कि उसे रोकना चाहिए
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    Rishabh Sood

    अक्तूबर 7, 2024 AT 20:52
    हम सब यहाँ एक नैतिक अपराध के बारे में बात कर रहे हैं जिसे हमने सामाजिक अनदेखा करके आम बना दिया है
    जब तक हम दबाव को एक व्यक्तिगत असफलता के रूप में नहीं समझेंगे तब तक ये घटनाएँ दोहराएँगी
    ये सिर्फ एक लड़की की मौत नहीं बल्कि हमारे समाज की मौत है
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    Saurabh Singh

    अक्तूबर 9, 2024 AT 05:31
    तुम लोगों को लगता है कि तुम्हारी आत्महत्या के बाद कोई जिम्मेदारी लेगा
    ये दुनिया तो बस खुद को बचाने के लिए बनी है तुम लोगों को नहीं
    कंपनी के खिलाफ आवाज उठाने की बजाय अपने दिमाग को संभालो
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    Mali Currington

    अक्तूबर 10, 2024 AT 21:29
    अरे ये मंत्री ने क्या कहा था कि आध्यात्मिकता से निपटो
    मतलब अब तक जितने लोग ऑफिस में फट गए वो सब योग करना भूल गए
    अब तो बस एक ध्यान और एक आह और सब ठीक हो जाएगा
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    INDRA MUMBA

    अक्तूबर 12, 2024 AT 18:07
    मैं एक बॉस हूँ और मैंने अपने टीम के लिए मानसिक स्वास्थ्य दिवस शुरू किए हैं
    हर शुक्रवार को हम सब एक घंटे के लिए बात करते हैं बिना किसी जॉब के
    कुछ लोग शुरू में हँसते थे लेकिन अब वो रोते हैं
    एक लड़की ने कहा था कि ये पहली बार है जब उसे लगा कि कोई उसे सुन रहा है
    ये बहुत छोटी बात है लेकिन इसने जिंदगी बचा ली है
    हम इसे बस एक प्रोग्राम नहीं बल्कि एक जीवनशैली बना सकते हैं
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    Anand Bhardwaj

    अक्तूबर 14, 2024 AT 16:25
    बस एक बात समझो अगर तुम ऑफिस में एक लड़की को देखो और उसकी आँखों में एक खालीपन दिखे तो उससे बात करो
    ये नहीं कि तुम्हें कुछ करना है बल्कि तुम्हें सिर्फ ये बताना है कि तुम वहाँ हो
    कभी-कभी एक बात बचाती है
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    RAJIV PATHAK

    अक्तूबर 15, 2024 AT 08:44
    ये सब एक बहुत ही ट्रिवियल इमोशनल रिएक्शन है जिसे सोशल मीडिया ने बढ़ा दिया है
    अगर आप वास्तविक दुनिया में जी रहे हो तो आप जानते हैं कि दबाव तो हर जगह है
    ये बस एक और ट्रेंड है जिसे लोग फॉलो कर रहे हैं
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    Nalini Singh

    अक्तूबर 16, 2024 AT 00:52
    इस मामले को व्यक्तिगत असफलता के रूप में नहीं देखना चाहिए बल्कि इसे एक सामाजिक और संस्थागत असफलता के रूप में देखना चाहिए
    हमारे शिक्षा प्रणाली और करियर संरचना ने युवाओं को अपनी पहचान केवल उपलब्धियों से जोड़ दिया है
    इस बात की आवश्यकता है कि हम इस अर्थव्यवस्था को बदलें
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    Sonia Renthlei

    अक्तूबर 17, 2024 AT 14:17
    मैं एक मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार हूँ और मैंने अन्ना के परिवार के साथ काम किया है
    उनकी माँ ने कहा कि अन्ना ने एक नोट छोड़ा था जिसमें लिखा था कि उसे लगता था कि वो किसी के लिए बहुत भारी है
    इस नोट को पढ़कर मैंने अपने आप को चार दिन तक रोक नहीं पाया
    हम लोग अपने बच्चों को बहुत अधिक उम्मीदें देते हैं लेकिन उन्हें बहुत कम समर्थन देते हैं
    हम उन्हें बताते हैं कि तुम इतना कर सकते हो लेकिन नहीं बताते कि तुम बस इतना होना भी ठीक है
    हम उन्हें बताते हैं कि तुम बहुत तेज हो लेकिन नहीं बताते कि तुम बहुत इंसान हो
    ये बात बहुत गहरी है और ये सिर्फ एक लड़की की कहानी नहीं है ये हम सबकी कहानी है
    हमें बस इतना करना है कि उन्हें बताएँ कि वो अकेले नहीं हैं
    क्योंकि एक इंसान की आत्मा बहुत कमजोर हो सकती है लेकिन एक इंसान का साथ बहुत ताकतवर हो सकता है