वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में EY इंडिया के कर्मचारी अन्ना सेबस्टियन पेराइल की मृत्यु पर अपने बयान का स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने साफ किया कि उनकी बातों का उद्देश्य पीड़िता को दोषी ठहराना बिल्कुल नहीं था। यह मामला उस समय सामने आया जब अन्ना के परिवार ने कहा कि उसने अत्यधिक कार्य दबाव के कारण आत्महत्या कर ली।
चेन्नई के कार्यक्रम में दिया बयान
सीतारमण ने एक कार्यक्रम में आंतरिक बल और आध्यात्मिक अभ्यासों का महत्व बताया था और कहा था कि यह प्रथाएं दबाव से निपटने में मददगार हो सकती हैं। यह बयान उस समय आया जब अन्ना के परिवार ने आरोप लगाया कि उसकी मृत्यु का कारण कार्यस्थल पर अत्यधिक दबाव था। शिवसेना (UBT) नेत्री प्रियंका चतुर्वेदी सहित कई जनों ने उनके बयान की कड़ी आलोचना की।
सीतारमण ने कहा कि उन्होंने अपने बयान को गलत सन्दर्भ में लिया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी को दोषी ठहराने का प्रयास नहीं कर रही थीं। सीतारमण ने इस बात पर जोर दिया कि संस्थानों और परिवारों को बच्चों की मदद के लिए सेवाएँ उपलब्ध करानी चाहिए। उन्होंने कहा, "उस दुःखी क्षण में, मैंने संस्थानों और परिवारों के समर्थन की आवश्यकता को रेखांकित किया था। मेरा उद्देश्य पीड़िता को दोषी ठहराना नहीं था।"
सामाजिक और विपक्षी प्रतिक्रिया
वित्त मंत्री के बयान पर सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया आई। बहुत से लोगों ने उन्हें बिना संवेदनशीलता के ब्यान देने का आरोप लगाया। ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर लोगों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की और उनपर दोषारोपण का आरोप लगाया। विपक्षी नेताओं ने भी इस मुद्दे को लेकर सीतारमण पर शब्दबाण चलाए और उनके बयान को 'असंवेदनशील' करार दिया।
अन्ना की पारिवारिक स्थिति और माँ का पत्र
अन्ना सेबस्टियन पेराइल की माँ ने EY इंडिया के प्रमुख को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि अन्ना पर अत्यधिक कार्यभार के कारण उसका स्वास्थ्य बिगड़ गया था। यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोगों का ध्यान इस गंभीर मुद्दे के प्रति आकर्षित किया।
अन्ना, जिनका मरण 26 साल की आयु में हुआ, ने चार महिने पहले ही EY इंडिया में काम शुरू किया था। वह एक प्रतिभाशाली चार्टर्ड एकाउंटेंट थी और कम उम्र में ही उसने उच्च स्तरीय परीक्षा उत्तीर्ण की थी। परंतु उसका कार्यस्थल का दबाव इतना अधिक था कि उसने अपनी जान ले ली।
EY इंडिया और श्रम मंत्रालय की कार्रवाई
EY इंडिया ने अन्ना की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया और उसके परिवार की चिंताओं को 'अत्यंत गंभीरता और विनम्रता' से लेने का वादा किया। साथ ही, संघीय श्रम मंत्रालय ने इस मामले की पूरी तरह से जांच की आश्वासन दिया है ताकि कार्यस्थल की परिस्थितियों को लेकर कोई और दुखद घटना न हो।
कार्यस्थल का दबाव और मानसिक स्वास्थ्य
अन्ना सेबस्टियन पेराइल की दुखद मृत्यु ने कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को जनता के सामने रखा। लगातार बढ़ते हुए कार्य दबाव और उससे उत्पन्न होते मानसिक समस्याओं ने इस मुद्दे को और भी पेचीदा बना दिया है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि संस्थानों को अपने कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ और सहयोगात्मक माहौल अत्यंत आवश्यक है। कर्मचारियों को कार्यभार और मानसिक दबाव से मुक्त करने के लिए कंपनियों द्वारा मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और परामर्श सेवाओं का आयोजन किया जाना चाहिए। यह कर्मचारियों के लिए न केवल स्वास्थ्यवर्धक होगा बल्कि उनकी कार्यक्षमता में भी सुधार लाएगा।
इसी बीच, वित्त मंत्री सीतारमण के बयान ने इस चर्चा को और भी प्रबल बना दिया है कि कैसे आध्यात्मिक प्रथाएँ और आंतरिक बल कार्यस्थल के दबाव को कम करने में योगदान कर सकते हैं।
यह अभी भी देखा जाना बाकी है कि सरकार और कॉरपोरेट जगत इस मामले पर क्या प्रतिक्रियाएँ देती हैं, लेकिन यह निश्चित है कि मानसिक स्वास्थ्य और कार्यस्थलीय दबाव को नजरअंदाज करना अब संभव नहीं है।
अन्ना सेबस्टियन पेराइल की मौत देशभर में एक गहरी संवेदना उत्पन्न कर गई है और यह घटना एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन चुकी है। यह न केवल कॉरपोरेट जगत के लिए एक चेतावनी है बल्कि हमारे समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है कि मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना अत्यंत आवश्यक है।
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