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जम्मू और कश्मीर चुनाव परिणाम 2024 लाइव: एनसी-कांग्रेस गठबंधन की बढ़त, भाजपा का सुधार

के द्वारा प्रकाशित किया गया आरव शर्मा    पर 8 अक्तू॰ 2024    टिप्पणि(0)
जम्मू और कश्मीर चुनाव परिणाम 2024 लाइव: एनसी-कांग्रेस गठबंधन की बढ़त, भाजपा का सुधार

जम्मू और कश्मीर चुनाव परिणाम: 2024 का राजनीतिक परिदृश्य

परिणाम की सुबह और पहले संकेत

जम्मू और कश्मीर में राजनीतिक हलचलें तेज हो गई हैं जब वहां के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने शुरू हुए। यह चुनाव तीन चरणों में आयोजित किया गया था: 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर। इन तीनों चरणों में मतदान की भारी उपस्थिति देखी गई, जिसकी दरें क्रमशः 61.38%, 57.31%, और 65.48% रही। इस बार की वोटिंग दरें प्रदेश में जनता की जागरुकता और चुनाव में उनकी भागीदारी की स्पष्ट तस्वीर पेश करती हैं।

मुख्य दावेदार और संभावनाएं

इस बार के चुनाव में मुख्य राजनीतिक दलों में राष्ट्रीय सम्मेलन (एनसी)-कांग्रेस का गठबंधन, पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच कड़ा मुकाबला था। विशेषकर राष्ट्रीय सम्मेलन और कांग्रेस का गठबंधन चुनाव पूर्व के जनमत सर्वेक्षणों के अनुसार बढ़त बनाए हुए था। संयोजक दल राष्ट्रीय सम्मेलन विधानसभा में सबसे अधिक सीटें लाने की स्थिति में दिखाई दे रहा था, जबकि भाजपा अपनी स्थिति को 2014 के चुनावों से कुछ बेहतर बनाने की उम्मीद में थी।

प्रमुख सीटों पर कड़ा मुकाबला

गंदरबल और बडगाम जैसे महत्वपूर्ण सीटों पर मुख्य मुकाबले हुए। गंदरबल में राष्ट्रीय सम्मेलन के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला स्वतंत्र उम्मीदवार सरजन अहमद वगाय के खिलाफ खड़े थे, वहीं बडगाम में उन्हें पीडीपी के आगा सैयद मुनताज़िर के खिलाफ चुनावी मैदान में चुनौती देनी पड़ी। इन निर्वाचन क्षेत्रों में उनका प्रदर्शन निर्णायक साबित हो सकता है।

सुरक्षा प्रबंध और वोटों की गिनती की व्यवस्थाएं

चुनाव आयोग ने गिनती के दौरान किसी भी प्रकार की बाधा को टालने के लिए गंभीर सुरक्षा प्रबंध किए थे। प्रदेश भर में 20 गिनती केन्द्रों और जिला मुख्यालयों पर तीन ताल सुरक्षा घेरा बनाया गया। इसके बावजूद नागरिकों की सुरक्षा और शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए पुलिस और सुरक्षा बलों की संयंत्र द्रुसता विशेष ध्यान में रखा गया।

गठबंधन की संभावना और राजनीतिक समीकरण

जैसे-जैसे परिणाम सामने आए, राष्ट्रीय सम्मेलन और कांग्रेस का गठबंधन 49 सीटें जीतकर बहुमत से कहीं आगे निकल गया। यह गठबंधन अब नई सरकार गठन की दिशा में बड़े कदम उठा रहा है। राष्ट्रीय सम्मेलन के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला की ओर से पीडीपी के साथ साझेदारी की संभावनाओं के संकेत मिले हैं, अगर शर्तें उपयुक्त बनीं। खास बात यह है कि अब्दुल्ला ने स्पष्ट रूप से जम्मू और कश्मीर विधानसभा की पांच आरक्षित सीटों पर उपराज्यपाल को सदस्यों के नाम नियुक्त करने की अनिवार्यता की आलोचना की है।

इन चुनावों के परिणाम, नेताओं की बयानबाजी और सुरक्षा व्यवस्थाएं मिलकर जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य को एक नई दिशा की ओर धकेल रहे हैं। सरकार गठन के मामले में यह हालात चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन लोकतांत्रिक परिस्थितियों के मद्देनजर सरकार गठन के रूप में यह प्रदेश नए परिवर्तनों की ओर अग्रसर है।