त्रिक्रिया शतक की कहानी
रंजि ट्रॉफी के इस दौर में नारायण जगदेवान ने अपने करियर का सबसे बड़ा मौक़ा बनाया। चंडीगढ़ के खिलाफ खेलते हुए उन्होंने 403 गेंदों पर 321 रन बनाए—एक त्रिक्रिया शतक जो भारतीय घरेलू क्रिकेट की इतिहास में नया अध्याय लिखता है। इस पारी में उन्होंने पाँच सातों और 23 चौकों से बल्लेबाजी का माहौल ही बदल दिया, जबकि उनका स्ट्राइक रेट 79.65 रहा, जो आज़माए गए हर गेंद को संतुलित और दांवदार बनाए रखता है।
तमिलनाडु ने इस पारी के बाद 610/4 का विशाल स्कोर बनाया और तुरंत घोषणा की। इस स्कोरजस्ट में प्रादॉश पॉल और बाबा इंद्राजी ने भी शतकों पर काम किया, जिससे टीम की पिच पर दबाव को और भी बढ़ा दिया। टीम ने ऐसे विरोधी को दबाव में रख दिया, जो पहले ही पिच की गति को नुकसान पहुँचा चुका था।

जगदेवान का सफर: IPL से लेकर अंतरराष्ट्रीय दांव
इस शानदार प्रदर्शन से पहले, जगदेवान ने रैलगेज़ के खिलाफ 245* अनबेटन बना कर टीम को 129 रन से जीत दिलाई थी। उस पारी ने उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच बना दिया और उनकी फॉर्म को नई ऊँचाइयों पर ले गया। इस समय उनका नाम IPL 2024 के मिनी-ऑक्शन में नहीं आया, जबकि उन्होंने पहले CSK और KKR दोनों के साथ खुद को सिद्ध किया था।
IPL में उनका सफर 2018 में चेन्नई सुपर किंग्स से शुरू हुआ—बिलियन रुपए के बजाय 20 लाख रुपये की शुरुआती बोली पर। 2020 में डेब्यू के बाद, 2022 में फिर से री-सेल किए गए, लेकिन 2023 में कोलकाता नाइट राइडर्स ने उन्हें 90 लाख रुपये में बिड किया। KKR में केवल छह मैचों में 89 रन ही बन पाने के कारण उन्हें रिहा करना पड़ा।
वर्तमान में उन्होंने 34 रन की शुरुआत के बाद दो लगातार बड़ी पारी खेली—245* और 321, जिससे उनकी प्रथम-श्रेणी (FC) रनिंग औसत 50.49 पर पहुंच गई है, और कुल 3,686 रन 54 मैचों में जमा हुए हैं। उनका लिस्ट-ए रिकॉर्ड भी 277 रन का है, जो अभी तक का सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनके नाम पर दबी खासी गिरावट नहीं है। वे वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ टेस्ट स्क्वाड में विकेटकीपर विकल्प के रूप में चुने गए थे, और रिशभ पंत के स्थान पर इंग्लैंड के खिलाफ पाँचवें टेस्ट में लाइनों से पहचाने गए थे। यह बुलावा उनके भविष्य को और उज्जवल बनाता है—विशेषकर जब घरेलू पिच पर उनका फॉर्म अजेय हो रहा है।
खेल के इस मोड़ पर जगदेवान अपनी IPL वापसी के लिए भी तड़प रहे हैं। उनका लक्ष्य सिर्फ व्यक्तिगत आँकड़े नहीं हैं, बल्कि वह अपने टीम के लिए एक भरोसेमंद विकेटकीपर‑बैट्समैन बनना चाहते हैं। उनके यह दो बड़े शतक—245* और 321—सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि संघर्ष और दृढ़ता का प्रमाण हैं, जो किसी भी फ्रेंचाइजी को आकर्षित करने में सक्षम हो सकते हैं।
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