सुनीता विलियम्स: भारतीय मूल की अंतरिक्ष योद्धा
जब आप रात के आसमान को देखते हैं तो अक्सर सोचते हैं कि कौन‑सी चीज़ हमें वहाँ ले जाएगी। सुनीता विलियम्स ने वही सपना हकीकत बना दिया। वह सिर्फ एक अमेरिकी NASA की अंतरिक्ष यात्री नहीं, बल्कि भारतीय जड़ें रखने वाली पहली महिला है जिसने कई बार अंतरिक्ष में कदम रखा। उनका सफर छोटे शहर से लेकर अंतरिक्ष के अनगिनत सितारों तक का एक रोचक कहानी है, जिसे हर युवा को प्रेरणा मिलनी चाहिए।
जीवन की शुरुआती दहलीज
सुनीता का जन्म 1965 में ओहरियो, कालीफोर्निया में हुआ था, लेकिन उनके पिता भारतीय मूल के थे और माँ भी भारतीय थी। बचपन से ही वह विज्ञान‑प्रयोगशालाओं में घुसकर रोबोट बनाती थीं और तारों को देखना उनका शौक था। हाई स्कूल में भौतिकी में टॉप करती हुई उन्होंने MIT से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की, जहाँ उनकी मेहनत ने उन्हें कई स्कॉलरशिप दिलवाईं।
MIT के बाद उन्होंने US Navy में प्रवेश किया और पायलट बनकर 50,000 घंटे से अधिक उड़ान भरी। यह अनुभव उनके लिए अंतरिक्ष यान चलाने का पहला कदम था। NASA ने 1998 में उनका चयन कर लिया, और तब से सुनीता को कई मिशन पर भेजा गया।
अंतरिक्ष में उपलब्धियां और भविष्य की योजनाएँ
सुनीता विलियम्स के सबसे बड़े मील के पत्थर में 2006 का अंतरिक्ष यात्रा था, जब उन्होंने ISS (International Space Station) पर दो बार रहने का रिकॉर्ड बनाया। वह कुल 322 दिन तक अंतरिक्ष में रही – एक भारतीय मूल की महिला के लिए यह अद्भुत उपलब्धि थी। इस दौरान उन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोग किए, जैसे कि मानव शरीर पर माइक्रोग्रैविटी का असर और स्पेस फूड की पोषण गुणवत्ता।
उनका दूसरा बड़ा मिशन 2015 में ‘स्ट्रैटोस्फेरिक टूर’ था, जहाँ उन्होंने दो अंतरिक्ष यात्रियों के साथ मिलकर रॉकेट को पृथ्वी की कक्षा से बाहर भेजा। यह यात्रा न केवल तकनीकी तौर पर सफल रही बल्कि महिलाओं के लिए नई सीमाएँ भी स्थापित कर गई। आज सुनीता कई स्कूलों और कॉलेजों में प्रेरक व्याख्यान देती हैं, जहाँ वह युवा लड़कों‑लड़कियों को विज्ञान और अंतरिक्ष की ओर आकर्षित करती हैं।
भविष्य में उनका लक्ष्य मंगल पर मानवीय मिशन का हिस्सा बनना है। वह बार-बार कहा करती हैं कि अगर आप सपने देख सकते हैं तो उन्हें पूरा करने के लिए कदम उठाना ही पड़ता है। इस सोच ने कई भारतीय छात्रों को इंजीनियरिंग और विज्ञान की पढ़ाई में रुचि दिलवाई है।
सुनीता विलियम्स का नाम अब सिर्फ अंतरिक्ष यात्री तक सीमित नहीं रहा; वह एक रोल मॉडल बन गई हैं जो यह दिखाती हैं कि राष्ट्रीयता या जेंडर कोई बाधा नहीं होती, बस इच्छा और मेहनत चाहिए। अगर आप भी उनके सफर से प्रेरित होकर विज्ञान में करियर बनाने की सोच रहे हैं तो शिलॉन्ग समाचार पर रोज़ अपडेटेड खबरें पढ़ सकते हैं – यहाँ आपको नवीनतम अंतरिक्ष मिशन, तकनीकी विकास और युवा उभरते प्रतिभाओं की कहानियाँ मिलेंगी।
नासा अंतरिक्ष यात्रियों सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर से स्टारलाइनर की वापसी पर अपडेट

नासा अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर 13 सितंबर, 2024 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाग लेंगे। यह कॉन्फ्रेंस बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान की तकनीकी समस्याओं के कारण चालक दल के बिना पृथ्वी पर वापसी के बाद आयोजित हो रही है। विलियम्स और विलमोर ने जून 2024 में स्टारलाइनर पर अपने मिशन की शुरुआत की थी।