डिवाइस लीजिंग: आपका बजट‑फ़्रेंडली टेक विकल्प
क्या आप नई मोबाइल, लैपटॉप या कोई औद्योगिक मशीन खरीदना चाहते हैं लेकिन बड़ी रकम एक साथ नहीं निकाल पाते? बहुत से लोग यही समस्या में फंसते हैं। डिवाइस लीजिंग इस दुविधा का हल पेश करती है – आप उपकरण को किराए पर लेकर इस्तेमाल कर सकते हैं और तय अवधि के बाद उसे वापस भी कर सकते हैं या खरीद भी सकते हैं।
डिवाइस लीजिंग कैसे काम करती है?
लीजिंग कंपनी आपके चुने हुए डिवाइस की कीमत का एक छोटा हिस्सा हर महीने आपसे लेती है. आमतौर पर 12 से 36 महीनों के प्लान मिलते हैं। इस दौरान आपको सर्विस, मेंटेनेंस और कभी‑कभी अपग्रेड भी मिल जाता है। अगर अवधि खत्म होने से पहले आप डिवाइस बदलना चाहते हैं, तो कई कंपनियां ‘ऑप्शन टू एक्सचेंज’ की सुविधा देती हैं – बस नई मॉडल चुनें और पुराना वापस कर दें.
लीजिंग के दो मुख्य प्रकार होते हैं: ऑपरेशनल लीज़ (जहां आप सिर्फ उपयोग के लिए भुगतान करते हैं) और फाइनेंशियल लीज़ (जो अंत में खरीद विकल्प देता है). आपका चुनाव इस बात पर निर्भर करता है कि आप डिवाइस को हमेशा रखेंगे या नहीं.
लीजिंग चुनते समय ध्यान देने योग्य बातें
1. कुल खर्च देखिए: महीने‑दर‑महिना का किराया छोटा लगता है, लेकिन कई बार छूटे हुए शुल्क – जैसे सेट‑अप फीस या समाप्ति पर मौजूदा डिवाइस की खरीद कीमत – कुल लागत बढ़ा देते हैं। अनुबंध पढ़ें और सभी अतिरिक्त चार्ज समझें.
2. सर्विस कवरेज: क्या मेंटेनेंस, रिपेयर या सॉफ़्टवेयर अपडेट शामिल है? अगर नहीं, तो अलग‑अलग खर्चों से बचना मुश्किल हो सकता है.
3. लचीलापन: कुछ प्लान आपको पहले ही समाप्ति तिथि बदलने की अनुमति देते हैं। यदि आपका व्यवसाय तेज़ी से बढ़ रहा है और आपको जल्दी अपग्रेड चाहिए, तो ऐसा लीज़ बेहतर रहेगा.
4. वित्तीय स्थिरता: लीजिंग कंपनी के रिव्यू देखें – समय पर बिल न मिलने या खराब सर्विस का कोई इतिहास तो नहीं? भरोसेमंद प्रदाता चुनने से भविष्य में परेशानी कम होगी.
5. खरीद विकल्प: अगर आप अंत में डिवाइस रखना चाहते हैं, तो लीज़ के बाद खरीद कीमत (बिल्ड‑अप वैल्यू) को पहले से ही जान लें। कभी‑कभी यह कीमत बाजार मूल्य से बहुत अधिक होती है.
इन बातों को ध्यान में रखकर आप सही लीजिंग प्लान चुन सकते हैं और बिना बड़ी पूँजी खर्च किए नई तकनीक का लाभ उठा सकते हैं.
डिवाइस लीजिंग खासतौर पर स्टार्ट‑अप, छोटे व्यापार या उन व्यक्तियों के लिए फायदेमंद है जो लगातार टेक अपग्रेड की जरूरत में रहते हैं. अगर आप अभी भी सोच रहे हैं कि यह आपके लिये सही रहेगा या नहीं, तो एक बार अपनी मासिक कैश फ्लो का हिसाब लगाएँ और तुलना करें – अक्सर लीज़ से बचत दिखती ही है.
अंत में याद रखें: लीजिंग कोई जाल नहीं, बल्कि सही योजना के साथ आपका खर्च कम करने वाला टूल है. समझदारी से चुनें, शर्तों को पढ़ें और नई डिवाइस की ताकत का पूरा उपयोग करें.
Jio Financial का बढ़ता कदम: Reliance Retail के साथ 36,000 करोड़ का डिवाइस लीजिंग समझौता

Jio Financial Services ने Reliance Retail के साथ एक डिवाइस लीजिंग समझौता किया है, जिसकी कीमत 36,000 करोड़ रुपये है। इस समझौते के तहत Jio की इकाई, Jio Leasing Services, टेलीकॉम उपकरण और डिवाइस खरीदेगी और फिर उन्हें किराए पर दिया जाएगा। यह डील वित्तीय वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए होगी।