बाघ जनसंख्या: भारत में कितने बाघ हैं और क्यों जरूरी है सुरक्षा?

क्या आप जानते हैं कि आज भारत में लगभग २७०० बाघ रह रहे हैं? यह संख्या पिछले दशक की तुलना में थोड़ी बढ़ी है, पर फिर भी खतरे में है। बाघ सिर्फ जंगल का राजा नहीं, हमारे इकोसिस्टम का अहम हिस्सा हैं। अगर उनका संतुलन बिगड़ गया तो कई प्रजातियों पर असर पड़ेगा। इसलिए इस टैग पेज पर हम बात करेंगे बाघों की मौजूदा जनसंख्या, उनके रहने के स्थान और क्या‑क्या कदम उठाए जा रहे हैं उनकी संख्या बढ़ाने के लिए।

बाघ की वर्तमान जनसंख्या

2023 में भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से ३५७ टाइगर रिसर्व्स से डेटा एकत्र किया। सबसे ज्यादा बाघ कर्नाटक, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के रिज़़र्व्स में पाते हैं। छोटे‑छोटे रिज़र्व्स जैसे सिचु-रिवर या बनारस भी अब नई पीढ़ी को जन्म देते दिख रहे हैं। लेकिन उत्तर-पूर्वी राज्य (जैसे असम, मेघालय) में बाघों की संख्या बहुत कम है और उन्हें बचाने के लिए विशेष योजनाएँ चल रही हैं।

बाघों का मुख्य खतरा है आवास हानि—बड़े‑बड़े जंगल कट रहे हैं, खेती‑बाड़ी और औद्योगिक विकास ने उनका घर घटा दिया है। साथ ही बंधुआ शिकार, वन्यजीव तस्करी और मानव‑बाघ टकराव भी संख्या को रोकते हैं। इन कारणों से हर साल कुछ बाघ मार दिए जाते हैं या घातक चोटें लग जाती हैं। इसलिए सरकार ने 2024 में नया ‘टाइगर ग्रेटर न्यूजियन’ योजना शुरू की, जिसमें जंगल पुनर्स्थापन और स्थानीय लोगों को रोजगार देने पर ज़ोर दिया गया है।

जनसंख्या बढ़ाने के उपाय

बाघों की जनसंख्या स्थिर रखने या बढ़ाने के लिए तीन प्रमुख कदम काम कर रहे हैं:

  • **आवास संरक्षण:** नई बफर ज़ोन बनाकर रिज़र्व्स को जोड़ना, जिससे बाघ बिना रुकावट के घूम सकें।
  • **समुदाय सहभागिता:** गाँवों में बाघ‑सुरक्षा प्रशिक्षण और बीमा योजना देकर लोगों को सहयोगी बनाया जा रहा है।
  • **कड़ाई से कानून लागू करना:** तस्करी वाले पकड़ने की सजा बढ़ाना, जंगल में अनधिकृत कटाई पर रोक लगाना।

इन कदमों से कुछ रिज़़र्व्स में बाघ जन्म दर पहले से तेज हो रही है। उदाहरण के लिए, कर्नाटक के गुप्टन रिज़र्व में 2022‑23 में २७% अधिक बाघ हुए थे। यही सफलता मॉडल को अन्य राज्यों में अपनाने की कोशिश चल रही है।

यदि आप इस टैग पेज पर आए हैं तो संभवतः आप बाघों के बारे में और पढ़ना चाहते हैं। हमारी साइट पर कई लेख, फ़ोटो गैलरी और विशेषज्ञों की राय मौजूद हैं—जिन्हें देख कर आप बाघ संरक्षण में भागीदारी का तरीका समझ सकते हैं। छोटे‑छोटे कदम जैसे कचरा न फेंकना, वन्यजीव पर्यटन को जिम्मेदारी से करना, या स्थानीय NGOs को दान देना भी बड़ा असर डालते हैं।

अंत में इतना ही कहूँगा—बाघ सिर्फ जंगल के शेर नहीं, वे हमारे पर्यावरण की सुरक्षा का संकेत हैं। उनकी जनसंख्या बढ़ती रहे, इसके लिये हम सबको मिलकर काम करना पड़ेगा। तो अगली बार जब बाघ देखेंगे, तो याद रखें कि उनका अस्तित्व हमारा भी है और हमें इसे बचाने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2024: इतिहास, महत्व और जश्न मनाने के तरीके

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 30 जुल॰ 2024    टिप्पणि(0)
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2024: इतिहास, महत्व और जश्न मनाने के तरीके

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है ताकि बाघों पर मंडरा रहे खतरों को रोका जा सके। यह दिन बाघों के संरक्षण के महत्व की याद दिलाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य बाघ, उनके पर्यावरण और सुरक्षा पर जागरूकता बढ़ाना है।