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शहरी सभ्यताओं और अप्रत्याशित बहनत्व की कहानी 'ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट': समीक्षा

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 24 मई 2024    टिप्पणि(16)
शहरी सभ्यताओं और अप्रत्याशित बहनत्व की कहानी 'ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट': समीक्षा

फिल्म का परिचय

'ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट', पायल कापाड़िया द्वारा निर्देशित फिल्म, शहरी जीवन की जटिलताओं और अप्रत्याशित संबंधों की एक मार्मिक कहानी है। फिल्म की कहानी दो मुख्य पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती है: प्रभा, एक थकी हुई नर्स और उसकी रूममेट अनु, जो एक मुस्लिम लड़के से प्यार करती है।

मुख्य पात्र: प्रभा

फिल्म की शुरुआत प्रभा से होती है, जो एक मेहनती लेकिन थकी हुई नर्स है। उसकी जिन्दगी आदर्श से कोसों दूर है। वह एक ऐसे जीवन का नेतृत्व करती है जहाँ भावनात्मक संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है। उसकी पेशेवर जिंदगी में कई कठिनाइयाँ हैं, लेकिन वह इन सबका सामना मजबूती से करती है।

मुख्य पात्र: अनु

दूसरी ओर, अनु एक युवा लड़की है जो एक मुस्लिम लड़के से प्यार करती है। उसकी जिंदगी और संघर्ष प्रभा से बिल्कुल अलग हैं, लेकिन उसे भी अपनी पहचान और भरोसे को साबित करने के चैलेंज का सामना करना पड़ता है।

रिश्ते की शुरुआत

रिश्ते की शुरुआत

प्रभा और अनु के बीच की शुरुआत में संबंध तनावपूर्ण होते हैं। दोनों की सोच और जीवन के तरीके काफी अलग होते हैं। लेकिन धीरे-धीरे, उनकी पेशेवर आत्मसमर्पण और आपसी समझदारी उन्हें नजदीक ले आती है।

पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन

फिल्म में प्रभा और अनु के पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन को गहराई से दिखाया गया है। दोनों के जीवन की चुनौतियाँ और संघर्ष एक-दूसरे को बेहतर समझने और समर्थन देने का मौका देते हैं।

सिनेमेटोग्राफी और संगीत

फिल्म की सिनेमेटोग्राफी और संगीत अत्यधिक सराहनीय है। यह फिल्म एक आकर्षक माहौल बनाती है, जहाँ दर्शक शहरी जीवन की उलझनों और रहस्यमयी खूबसूरती को अनुभव कर सकते हैं।

आशा और प्रकाश

आशा और प्रकाश

फिल्म का शीर्षक 'ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट' उस आशा और प्रकाश को दर्शाता है जो संघर्ष की घड़ियों में भी पाई जा सकती है। फिल्म का उत्तरकालीन दृश्य, जहाँ दोनों मुख्य पात्र वास्तविक और प्रतीकात्मक रूप से प्रकाश के बीच खड़े होते हैं, इस संदेश को खूबसूरती से उजागर करता है।

संक्षेप में

पायल कापाड़िया की यह फिल्म दर्शकों को शहरी सभ्यताओं और अप्रत्याशित बहनत्व की एक प्रेरणादायक यात्रा पर ले जाती है। इसकी सिनेमेटोग्राफी, संगीत और कहानी की गहराई इसे एक अविस्मरणीय अनुभव बनाती है।

16 टिप्पणि

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    Saurabh Singh

    मई 26, 2024 AT 04:21

    ये फिल्म बस एक नर्स और एक लड़की की कहानी नहीं है, ये तो भारत के शहरी जीवन का एक बड़ा घूंट है। प्रभा की थकान तो हर भारतीय नर्स की है, लेकिन अनु का प्यार? ये तो एक धार्मिक बॉम्ब है जो घर में छिपा है। लोग बोलते हैं 'सेक्स एंड सिटी' लेकिन ये तो 'सेक्स एंड सेक्युलरिज्म' है।

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    Mali Currington

    मई 27, 2024 AT 13:45

    ओए यार, ये फिल्म देखी? बस दो लड़कियाँ चल रही हैं, एक थकी हुई, दूसरी प्यार में डूबी... और फिर अचानक लाइट आ जाती है। बस इतना ही? मैंने तो दो घंटे बर्बाद कर दिए।

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    INDRA MUMBA

    मई 28, 2024 AT 22:43

    असल में, यह फिल्म एक नया नैरेटिव फ्रेमवर्क प्रस्तुत करती है - जहाँ नारीवाद और सेक्युलर इकोलॉजी का एक अद्वितीय इंटरसेक्शनल डायलॉग बन रहा है। प्रभा का एक्सप्लोरेशन ऑफ़ एमोशनल डिस्ट्रेस और अनु का इडेंटिटी नेगोशिएशन एक डिस्कर्सिव फील्ड को रिकॉन्फिगर करता है। ये बस फिल्म नहीं, ये एक फिलोसोफिकल एक्सपेरिमेंट है जिसमें लाइट एक मेटाफोर है - न कि एक लाइट बल्ब।

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    Anand Bhardwaj

    मई 30, 2024 AT 21:45

    हाँ, फिल्म अच्छी है। लेकिन जब तक तुम अपनी नर्स को रोज़ बर्फ वाले बर्तन में चाय देना बंद नहीं कर देते, तब तक ये फिल्म तुम्हारे लिए 'प्रकाश' नहीं होगी। 😏

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    RAJIV PATHAK

    मई 31, 2024 AT 02:24

    ये फिल्म तो बस एक ब्रांडेड इंडी फिल्म है - जिसे बॉलीवुड के लिए बनाया गया है ताकि लोग बता सकें कि वे 'अन्तरराष्ट्रीय' हैं। आर्ट हाउस? नहीं भाई, ये तो फेसबुक एडवर्टाइज़मेंट का एक विजुअल एक्सप्रेशन है।

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    Nalini Singh

    जून 1, 2024 AT 08:58

    मैं इस फिल्म को एक अत्यंत सांस्कृतिक और नैतिक दृष्टिकोण से देखती हूँ। यह एक ऐसी नैरेटिव रचना है जो भारतीय महिलाओं के जीवन के अंतर्निहित संघर्षों को गहराई से दर्शाती है। विशेष रूप से, नर्स के रूप में एक महिला की भूमिका का सम्मान और उसकी आंतरिक शक्ति को उजागर करना एक अत्यंत शानदार उपलब्धि है।

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    Sonia Renthlei

    जून 1, 2024 AT 12:46

    मैंने इस फिल्म को देखने के बाद अपने अपने बचपन के दिनों के बारे में सोचना शुरू कर दिया - जब मैं अपनी माँ के साथ अस्पताल जाती थी, और वहाँ नर्स लड़कियाँ बिना आराम के घंटों तक काम करती थीं। और फिर मैंने अपने दोस्त के बहन के बारे में सोचा, जो अपने मुस्लिम दोस्त से प्यार करती थी और उसकी माँ ने उसे घर से निकाल दिया था। ये फिल्म ने मुझे याद दिलाया कि हम सब एक दूसरे के लिए कितने कमजोर हैं, और फिर भी कितने मजबूत। इस फिल्म में हर चुप्पी, हर आँख का झपकना, हर लाइट का झिलमिलाना - सब कुछ एक दर्द और आशा की भाषा में बोल रहा है। मैंने इसे तीन बार देखा, और हर बार एक नया तार बज गया।

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    Aryan Sharma

    जून 2, 2024 AT 04:17

    ये सब बकवास है। ये फिल्म अमेरिका और यूरोप के लिए बनाई गई है ताकि वो भारत को 'प्रगतिशील' बता सकें। असल में, ये सब फेक है। अनु के प्यार वाला लड़का तो एक जासूस है जो जानबूझकर इस फिल्म को बनाने वालों के साथ काम कर रहा है। ये सब एक नया राष्ट्रीय षड्यंत्र है।

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    Devendra Singh

    जून 3, 2024 AT 10:19

    ये फिल्म किसी ने भी नहीं बनाई - ये तो एक एल्गोरिथ्म ने बनाई है। बार-बार दोहराए गए थीम्स, टेम्पलेट फील्म कैमरा वर्क, और एक बेकार का 'लाइट' मेटाफोर। इसे देखने वाले लोग अपने अपने फेसबुक फीड में 'दर्शक' बनना चाहते हैं, न कि असली कला देखना।

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    UMESH DEVADIGA

    जून 5, 2024 AT 01:18

    मैंने ये फिल्म देखी और फिर अपनी नौकरी छोड़ दी। नर्स बनने का सपना तो बस एक बुरा सपना था। अब मैं रात को अपने बेटे के लिए गाना गाता हूँ। तुम्हारी फिल्म ने मुझे बता दिया - असली लाइट तो बच्चों की हँसी में होती है।

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    Roshini Kumar

    जून 5, 2024 AT 04:45

    फिल्म तो बहुत अच्छी थी... लेकिन जब अनु का बॉयफ्रेंड दिखा तो मुझे लगा वो एक रियलिटी शो का कंटेस्टेंट है। और प्रभा की टोपी? वो तो बिल्कुल गलत रंग की थी।

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    Siddhesh Salgaonkar

    जून 6, 2024 AT 14:33

    लाइट 🌟 इस फिल्म का सबसे बड़ा एलिमेंट है... लेकिन दोस्तों, अगर तुम लाइट को समझना चाहते हो तो पहले अपने घर का बल्ब बदलो 😂❤️ ये फिल्म बस एक लाइट बल्ब की कहानी है - जो आपके दिल में जलती है। अगर तुमने ये नहीं देखी तो तुम अभी तक अंधेरे में हो।

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    Arjun Singh

    जून 6, 2024 AT 18:58

    ये फिल्म तो एक नया डॉक्यूमेंट्री फॉर्मेट है - जिसमें एमोशनल एन्गेजमेंट के साथ एक नैरेटिव एक्सपेक्टेशन डेविएशन होता है। प्रभा का एक्सप्रेशन ऑफ़ एक्सहॉस्टिव फिजिकल कैपेसिटी और अनु का इडेंटिटी डायनामिक्स एक सामाजिक फेनोमेनॉन को रिफ्लेक्ट करता है।

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    yash killer

    जून 7, 2024 AT 16:24

    भारत में ये फिल्म बनने दी गई तो अब बाकी दुनिया भी हमें बर्बर समझेगी। नर्स और मुस्लिम लड़का? ये तो धर्म के खिलाफ है। हमारी संस्कृति यहीं खत्म हो रही है। ये फिल्म बनाने वालों को देशद्रोह की सजा देनी चाहिए।

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    Ankit khare

    जून 9, 2024 AT 04:52

    फिल्म अच्छी लगी लेकिन जब अनु के बॉयफ्रेंड का चेहरा दिखा तो मैंने सोचा ये तो एक बॉलीवुड एक्टर है जिसे बैकग्राउंड में रखा गया है। और प्रभा की नर्स यूनिफॉर्म? वो तो 2010 की है। ये फिल्म तो अब तक बनी है या फिर ये सब एक टाइम मशीन है?

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    Chirag Yadav

    जून 9, 2024 AT 15:06

    मैंने इस फिल्म को देखा और लगा जैसे किसी ने मेरे दिल के अंदर एक छोटा सा दरवाजा खोल दिया हो। मैं अपनी बहन के बारे में सोच रहा था - जो एक अलग धर्म के लड़के से शादी करने वाली है। मैंने उसे आज फोन किया। और अब मैं इस फिल्म को अपने पूरे परिवार के साथ देखने वाला हूँ। धन्यवाद, पायल।