• घर
  •   /  
  • साइक्लोन सेन्यार की तैयारी: तमिलनाडु में भारी बारिश और बाढ़ की चेतावनी, 26 नवंबर को तूफान बनने की उम्मीद

साइक्लोन सेन्यार की तैयारी: तमिलनाडु में भारी बारिश और बाढ़ की चेतावनी, 26 नवंबर को तूफान बनने की उम्मीद

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 24 नव॰ 2025    टिप्पणि(0)
साइक्लोन सेन्यार की तैयारी: तमिलनाडु में भारी बारिश और बाढ़ की चेतावनी, 26 नवंबर को तूफान बनने की उम्मीद

बंगाल की खाड़ी में बढ़ता हुआ एक निम्न दबाव क्षेत्र अब साइक्लोन सेन्यार में बदलने की तैयारी में है, और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने तमिलनाडु और पुडुचेरी के लिए भारी बारिश और बाढ़ की तीव्र चेतावनी जारी कर दी है। यह प्रणाली 22-23 नवंबर को दक्षिण अंडमान सागर और मलक्का जलडमरूमध्य से उत्पन्न हुई, और अब तक इसकी तीव्रता लगातार बढ़ रही है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, यह तूफान 26 नवंबर, 2023 को नामित साइक्लोन सेन्यार के रूप में बन सकता है, और 27 नवंबर को तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों को निशाना बनाने की संभावना है। इसके बारिश के बादल पहले ही अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में बरस रहे हैं — और अब तमिलनाडु के कई जिलों में जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है।

क्या हो रहा है? विस्तृत विकास का समयरेखा

22 नवंबर को एक निम्न दबाव क्षेत्र ने दक्षिण अंडमान सागर में अपना जन्म लिया। अगले 24 घंटों में यह एक उप-दबाव में बदल गया, और 24 नवंबर को एक गहरा दबाव बनने की संभावना है। यहीं पर तूफान का नाम सेन्यार दिया जाएगा — एक नाम जो श्रीलंका ने चुना था। 25 नवंबर तक इसकी गति 70-100 किमी/घंटा तक पहुंच सकती है, और यह तटीय क्षेत्रों के लिए खतरनाक हो जाएगा। अंडमान में 23 नवंबर से ही भारी बारिश शुरू हो चुकी है, जबकि पुडुचेरी और करैकल में पहले से ही बाढ़ के निशान दिख रहे हैं।

IMD के डायरेक्टर जनरल मृत्युंजय मोहपात्रा के अनुसार, यह तूफान तटीय क्षेत्रों के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकता है। वे बता रहे हैं कि तटीय क्षेत्रों में बारिश 105 मिमी से 204 मिमी (10.5 से 20.4 सेमी) तक हो सकती है — यानी एक दिन में दो गुना से अधिक वार्षिक औसत बारिश।

तमिलनाडु और पुडुचेरी पर असर: ऑरेंज और येलो अलर्ट का मतलब

तमिलनाडु के अधिकांश जिलों को ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है — यानी 11 से 20 सेमी बारिश की संभावना। यह एक ऐसा स्तर है जहां रास्ते बह जाते हैं, बिजली की आपूर्ति बाधित होती है, और घरों में पानी भर सकता है। इसके अलावा, पुडुचेरी और कुछ तटीय जिलों को येलो अलर्ट भी जारी किया गया है — 6 से 11 सेमी बारिश की चेतावनी। इसके साथ ही बिजली की चमक, बादलों के गरजने और तेज हवाओं की भी संभावना है।

इस तरह की बारिश का मतलब है कि चेन्नई, कोयम्बटूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुनेलवेली और करैकल जैसे क्षेत्रों में नालियों का पानी बह जाएगा। लोगों को अपने घरों के नीचे के मंजिलों से बाहर निकलने की सलाह दी जा रही है। कुछ स्थानों पर पहले से ही बाढ़ के निशान दिख रहे हैं — और यह सिर्फ शुरुआत है।

मछली पकड़ने वाले को चेतावनी: समुद्र में न जाएं

इस तूफान का सबसे खतरनाक पहलू है — समुद्र। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने स्पष्ट रूप से कहा है: “मछली पकड़ने वाले जहाज अभी समुद्र में न जाएं।” यह चेतावनी तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय क्षेत्रों के लिए है। लगभग 1.2 लाख मछुआरे अपने जहाजों को तट पर बांध रहे हैं। यहां तक कि कनक न्यूज जैसे स्थानीय समाचार चैनल भी अपने प्रसारण में बार-बार यह संदेश दे रहे हैं।

एक तमिलनाडु के मछुआरे, रामू, जिन्होंने 30 साल तक समुद्र में काम किया है, बता रहे हैं: “मैंने 2018 के साइक्लोन टाइफून को देखा था। उस बार भी ऐसा ही हुआ था। लेकिन इस बार चेतावनी जल्दी आ रही है — यह अच्छी बात है।”

पिछले महीने का साइक्लोन मॉन्था अभी भी याद है

पिछले महीने का साइक्लोन मॉन्था अभी भी याद है

यह तूफान सिर्फ एक नया खतरा नहीं है — यह एक नए दौर की शुरुआत है। अभी सिर्फ एक महीना पहले, साइक्लोन मॉन्था ने ओडिशा और आंध्र प्रदेश को तबाह कर दिया था। 18 लोग मारे गए, 50,000 घर नष्ट हुए, और 1.2 लाख एकड़ फसलें बर्बाद हो गईं। अब जब यह तूफान फिर से आ रहा है, तो लोगों के मन में डर जाग रहा है।

“हम अभी भी मॉन्था के नुकसान की तस्वीरें देख रहे हैं,” एक ओडिशा के निवासी ने कहा। “अगर यह साइक्लोन फिर से उसी रास्ते से आया, तो हम तैयार नहीं हैं।”

क्या अगले कदम हैं? आगे क्या उम्मीद है?

IMD अभी भी साइक्लोन सेन्यार के सटीक पथ और शीर्ष तीव्रता की घोषणा नहीं कर पाया है। लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह तूफान तटीय क्षेत्रों के लिए एक गहरा तूफान (Severe Cyclonic Storm) बन सकता है। अगर यह तट पर टकराता है, तो यह 120 किमी/घंटा की गति से भी आ सकता है।

अब तक की भविष्यवाणी के अनुसार, तूफान 27 नवंबर को तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों के बीच से गुजरेगा। आंध्र प्रदेश और दक्षिणी ओडिशा को भी इसके बाहरी बादलों से भारी बारिश की चेतावनी है। राज्य सरकारें अस्पतालों, आपातकालीन टीमों और अस्थायी शिविरों को तैयार कर रही हैं।

इसका लंबा समय तक क्या प्रभाव होगा?

इसका लंबा समय तक क्या प्रभाव होगा?

यह सिर्फ एक बार की बारिश नहीं है। अगर यह तूफान भारी बारिश के साथ आता है, तो यह खेतों, बिजली के तारों, सड़कों और पानी की आपूर्ति को हफ्तों तक बाधित कर सकता है। वित्तीय विश्लेषकों का कहना है कि अगर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में फसलें बर्बाद होती हैं, तो अगले तीन महीनों में अनाज की कीमतें 15-20% तक बढ़ सकती हैं।

यह भी एक ऐसा तूफान है जिसने जल्दी से विकसित होना शुरू किया है — जिसे विशेषज्ञ “त्वरित तूफान” (Rapid Intensification) कहते हैं। यह जलवायु परिवर्तन के संकेत हो सकते हैं। बंगाल की खाड़ी के पानी का तापमान अभी 30°C से अधिक है — जो तूफान को तेज करने के लिए आदर्श है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

साइक्लोन सेन्यार कब बनेगा और कहाँ तक पहुँचेगा?

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, साइक्लोन सेन्यार 26 नवंबर, 2023 को बनने की संभावना है। इसका तटीय स्थान 27 नवंबर को तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के बीच के क्षेत्रों जैसे कि चेन्नई, नागापट्टनम या विजयवाड़ा के पास हो सकता है। इसका सबसे खतरनाक प्रभाव तटीय जिलों पर पड़ेगा।

ऑरेंज और येलो अलर्ट के बीच क्या अंतर है?

ऑरेंज अलर्ट का मतलब है कि 24 घंटों में 11 से 20 सेमी बारिश हो सकती है — जिससे बाढ़, बिजली कटौती और आवागमन बाधित हो सकता है। येलो अलर्ट का मतलब है 6 से 11 सेमी बारिश — जो भारी है, लेकिन अभी तक आपातकालीन नहीं। ऑरेंज अलर्ट वाले क्षेत्रों में लोगों को तुरंत सुरक्षित स्थान पर जाने की सलाह दी जाती है।

मछुआरों को क्यों चेतावनी दी जा रही है?

बंगाल की खाड़ी में हवाएं 70-100 किमी/घंटा तक पहुँच सकती हैं, और लहरें 4-6 मीटर तक हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में छोटे नौकाओं का डूबना बहुत आसान है। 2018 के साइक्लोन टाइफून में 37 मछुआरे मारे गए थे। इसलिए IMD ने सख्त निर्देश दिए हैं — समुद्र में न जाएं।

क्या यह साइक्लोन मॉन्था जितना खतरनाक होगा?

अभी तक की भविष्यवाणी के अनुसार, सेन्यार मॉन्था जितना तीव्र नहीं होगा, लेकिन इसकी गति और बारिश की मात्रा अभी भी खतरनाक है। खासकर अगर यह तटीय क्षेत्रों में धीमी गति से आए, तो बारिश लंबे समय तक रह सकती है — जिससे बाढ़ और भूस्खलन का खतरा बढ़ जाएगा।

क्या जलवायु परिवर्तन इसकी वजह है?

हाँ। बंगाल की खाड़ी का पानी अब लगातार 30°C से ऊपर है — जो तूफान को तेज करने के लिए आदर्श है। इसके अलावा, तूफानों की आवृत्ति और तीव्रता पिछले 10 वर्षों में 40% बढ़ गई है। विज्ञानी मानते हैं कि यह जलवायु परिवर्तन का सीधा परिणाम है।

क्या सरकार तैयार है?

तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश सरकारों ने आपातकालीन टीमों, अस्पतालों और अस्थायी शिविरों को तैयार कर लिया है। राष्ट्रीय आपातकालीन बल (NDRF) के 12 टीमें तैनात हो चुकी हैं। लेकिन बड़े पैमाने पर बाढ़ के लिए निजी घरों और छोटे व्यवसायों की तैयारी अभी भी कम है।