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पुणे पोर्श दुर्घटना: खून के नमूने बदलने के लिए 3 लाख रुपये घूस दी गई

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 28 मई 2024    टिप्पणि(12)
पुणे पोर्श दुर्घटना: खून के नमूने बदलने के लिए 3 लाख रुपये घूस दी गई

पुणे पोर्श दुर्घटना: क्यों बदले गए खून के नमूने?

पुणे में एक पोर्श कार हादसे ने शहर में सनसनी फैला दी जब 19 मई को हुए इस दुर्घटना में दो युवा आईटी प्रोफेशनल्स की मौत हुई। यह हादसा तब हुआ जब उनकी मोटरसाइकिल एक तेज रफ्तार पोर्श कार से टकरा गई। हादसे के समय, कार चला रहा 17 वर्षीय नाबालिग पूरी तरह से नशे में था, जिसने इस मामले को नया मोड़ दिया।

खुलासा: खून के नमूने में हेरफेर

इस मामले में जांच के दौरान यह पता चला कि आरोपी के खून के नमूने को बदल दिया गया था ताकि उसमें अल्कोहल के निशान न मिल पाए। पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि अस्पताल के दो डॉक्टर्स, डॉ. अजय तावड़े और डॉ. श्रीहरी हल्नोर, ने यह हेरफेर किया। इस कांड में एक peon, अतुल घाटकांबले, की भूमिका सामने आई, जिसने इस नमूना बदलने के लिए 3 लाख रुपये की रिश्वत दी थी।

सीसीटीवी फुटेज से हुआ खुलासा

मुख्य आरोपी 17 वर्षीय नाबालिग दुर्घटना से पहले एक बार में अपने दोस्तों के साथ शराब पीता हुआ देखा गया था। यह जानकारी सीसीटीवी फुटेज के जरिए सामने आई। हालांकि, जब उसके खून के नमूने फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे गए तो उनमें अल्कोहल के कोई निशान नहीं पाए गए। इससे पुलिस का शक और बढ़ गया और तत्काल जांच शुरू की गई।

किस तरह हुआ रक्त का बदलाव?

पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने पुष्टि की कि अस्पताल में जो खून के नमूने इकट्ठा किए गए थे, वे आरोपी के नहीं थे। जांच में यह पता चला कि चीफ मेडिकल ऑफिसर श्रीहरी हल्नोर ने डॉ. अजय तावड़े के निर्देश पर आरोपी के खून के नमूने को बदल दिया। डॉ. तावड़े ससून अस्पताल के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख हैं।

रिश्वत का खेल

स्रोतों के अनुसार, अतुल घाटकांबले ने इस पूरे धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए 3 लाख रुपये की रिश्वत दो डॉक्टर्स को दी थी। इस हेरफेर से यह सुनिश्चित किया गया कि आरोपी के खून के नमूने में अल्कोहल के कोई निशान न हों।

न्याय की उम्मीद

न्याय की उम्मीद

इस मामले में अब तक तीनों दोषियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और पुलिस ने पूरे मामले की कड़ी जांच शुरू कर दी है। उम्मीद है कि इस जांच के बाद असली दोषियों को सजा मिलेगी और मृतकों के परिवार को न्याय मिलेगा।

समाज पर प्रभाव

इस घटना ने समाज को कई प्रश्नों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। क्या अस्पताल में इस तरह की हेरफेर संभव है? कैसे एक सरकारी चिकित्सालय के डॉक्टर्स इस उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार में लिप्त हो सकते हैं? यह मामला केवल एक दुर्घटना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज और न्याय प्रणाली पर गंभीर आरोप भी लगाता है।

जनता की राय

इस घटना ने पूरी जनता को सोचने पर मजबूर कर दिया है। हर कोई अपने स्तर पर इस पूरे मामले को सही दृष्टिकोण से देखने की कोशिश कर रहा है। आम जनता अब न्याय की मांग कर रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की उम्मीद कर रही है।

अंतिम विचार

अंतिम विचार

इस घटना ने न केवल एक परिवार को क्षति पहुंचाई है, बल्कि समाज में न्याय और ईमानदारी की धज्जियां भी उड़ाई हैं। यह मामला अब न्याय के लिए लड़ाई का प्रतीक बन गया है और समाज यह देख रहा है कि न्याय प्रणाली इस मामले को किस तरह से संभालेगी।

12 टिप्पणि

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    UMESH DEVADIGA

    मई 29, 2024 AT 15:04
    ये जो डॉक्टर हैं वो भी इंसान नहीं, बल्कि जानवर हैं। 3 लाख के लिए खून का नमूना बदल देना? ये न्याय का नाम लेने वाली जगह है या बाजार?

    मृतकों के परिवार को क्या मिलेगा? ये लोग तो अभी भी अपनी नौकरी चला रहे हैं।
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    Roshini Kumar

    मई 30, 2024 AT 23:37
    kya bhai ye sab kya likha hai? 3 lakh ki raswat? kya ye movie ki baat hai? maine toh socha tha yeh sab sirf bollywood mein hota hai... par ab lagta hai real life mein bhi sab kuch possible hai. 😅
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    Siddhesh Salgaonkar

    मई 31, 2024 AT 23:05
    Lmao. ये डॉक्टरों का बिज़नेस मॉडल है क्या? नमूना बदलो, पैसा कमाओ, न्याय बर्बाद करो। ये सब तो सिर्फ इंडिया में होता है। अमेरिका में तो ये लोग 20 साल जेल में होते।

    पुणे में तो अब हर चीज़ का दाम है। बस न्याय का नहीं 😂
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    Arjun Singh

    जून 1, 2024 AT 04:39
    This is systemic corruption at its finest. Forensic integrity? Gone. Hospital protocols? Deleted. Accountability? Non-existent.

    These aren't doctors, they're professional enablers. And the peon? He's just the middleman in a larger oligarchic network. We need structural reform, not just arrests.
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    yash killer

    जून 1, 2024 AT 17:32
    ये देश ही बदल गया है भाई। जिस देश में खून का नमूना बदला जा सकता है वो देश अब बचेगा कैसे? ये लोग न्याय की बात करते हैं तो उनके मुँह से निकलता है कि हम देश के लिए लड़ते हैं। लेकिन असली लड़ाई तो इन्हीं के अंदर है। इन्हें फांसी चाहिए
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    Ankit khare

    जून 2, 2024 AT 16:22
    कोई भी न्याय तभी संभव है जब इंसाफ का दाम न हो। ये डॉक्टर तो बस एक नौकरी कर रहे थे जैसे कोई बाइक चला रहा हो। लेकिन जब खून का नमूना बदल देना नौकरी बन जाए तो ये देश कहाँ जा रहा है?

    अब तो लोगों को अपने खून का नमूना भी अपने साथ ले जाना पड़ेगा
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    Chirag Yadav

    जून 2, 2024 AT 21:18
    इस घटना से बहुत दुख हो रहा है। ये दो युवा लोग बस अपनी जिंदगी जी रहे थे। और अब उनकी जिंदगी के लिए बदले में खून का नमूना बदल दिया गया।

    हमें इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। न्याय तभी मिलेगा जब हम सब मिलकर लड़ें।
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    Shakti Fast

    जून 4, 2024 AT 10:14
    हर एक इंसान के लिए न्याय का हक होता है। ये दो लड़के शायद अपने घर वापस नहीं आए, लेकिन उनकी यादें अभी भी जिंदा हैं।

    हम इस बात को भूल नहीं सकते। इस बात को याद रखो। बस इतना ही काफी है।
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    saurabh vishwakarma

    जून 4, 2024 AT 12:38
    मैं तो इस बात को लेकर बहुत गुस्सा हूँ कि एक नाबालिग ने ऐसा किया... लेकिन डॉक्टरों ने तो उसकी जान बचाने के बजाय उसकी गलती को छुपाने की कोशिश की। ये न्याय नहीं, ये अपराध है।

    अगर ये लोग न्याय के नाम पर बैठे हैं तो फिर वो क्या हैं जो न्याय के लिए लड़ते हैं?
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    MANJUNATH JOGI

    जून 6, 2024 AT 06:46
    इस घटना को देखकर लगता है कि हमारी संस्कृति में अब न्याय की जगह लाभ की जगह है। हम अपने आप को उच्च स्तर का मानते हैं, लेकिन जब नमूना बदलने की बात आती है तो हम सब एक जैसे लगते हैं।

    हमें अपनी जड़ों को याद करना होगा।
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    Sharad Karande

    जून 6, 2024 AT 16:21
    The forensic chain of custody was breached at multiple levels: sample collection, storage, and analysis. This is a complete failure of the medical-legal infrastructure. The peon was not the root cause-he was the symptom.

    Recommendation: Implement blockchain-based sample tracking with real-time audit trails. No more manual handling.
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    Sagar Jadav

    जून 7, 2024 AT 00:33
    ये लोग जिंदा रहेंगे तो ये देश नहीं बचेगा।