जब नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2025 को राजघाट में फूल चढ़ाते हुए महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, तो साथ ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और उपराष्ट्रपति सी.पी. राधा कृष्णन भी उपस्थित थे। यह समारोह गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित हुआ, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक बापू का 156वाँ जन्म दिवस था। इस दिन ललित अन्य कई केंद्रीय मंत्री, जैसे यूनियन मंत्री मनोज लाल, और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिर्ला ने भी भाग लिया।
PM मोदी ने राजघाट में गांधी जयंती पर महात्मा गांधी व शासत्री को श्रद्धांजलि
SURAJ ASHISH
अक्तूबर 3, 2025 AT 07:04यह समारोह सिर्फ दिखावटी ढंग से किया गया।
PARVINDER DHILLON
अक्तूबर 3, 2025 AT 07:21बहुत बड़िया, बापू की याद में ऐसी सभा होना देश के लिए प्रेरणा है 😊।
Nilanjan Banerjee
अक्तूबर 3, 2025 AT 07:54महात्मा गांधी का संकल्प आज के भारत की आत्मा में प्रवाहित होता है।
उनके शासत्री सिद्धांत ने हमें सत्य और अहिंसा की शक्ति सिखायी।
राजघाट का वह समारोह इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में दर्ज होगा।
संभव है कि इस दिन के भावनात्मक पहलू को जनता ने गहराई से महसूस किया हो।
प्रमुख नेताओं की उपस्थिति से इस बात का संकेत मिलता है कि राष्ट्रीय एकता अभी भी संगठित है।
फूल चढ़ाने की यह परम्परा बापू के आदर्शों को याद दिलाती है।
साथ ही यह दिखाता है कि लोकतंत्र में प्रतीकात्मक कार्यों का महत्व कितना गहरा है।
द्रौपदी मुर्मु और सी.पी. राधा कृष्णन जैसे व्यक्तियों का सम्मिलन इस आयोजन को वैधता प्रदान करता है।
मनोज लाल और ओम बिर्ला की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि सभी वर्ग इस हस्तक्षेप को सराहते हैं।
गांधी जयंती के इस अवसर पर हम सभी को बापू के सिद्धांतों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
आधुनिक भारत के विकास में गांधीजी के विचारों का पुनर्निर्माण आवश्यक है।
युवा वर्ग को इस प्रकार की घटनाओं से प्रेरणा मिलती है कि वे अपने कर्तव्यों को समझें।
समाज में शांति एवं प्रेम की भावना को पोषित करने के लिये ऐसी समारोह अनिवार्य हैं।
निर्धारित कार्यक्रम ने राष्ट्रीय गौरव को भी ऊँचा उठाया।
अंत में, यह आशा की जाती है कि भविष्य में भी बापू के आदर्शों को जीवित रखा जाएगा।
sri surahno
अक्तूबर 3, 2025 AT 08:11ऐसे उच्च शिखर सभाओं में अक्सर सरकारी एजेंडा छिपा होता है, यह स्पष्ट है कि यह प्रदर्शन केवल जनता को संतुष्ट करने के लिए आयोजित किया गया था।
Varun Kumar
अक्तूबर 3, 2025 AT 09:01देश की गरिमा को बढ़ाने के लिये ऐसे कार्यक्रम जरूरी हैं। हमरी स्वाभिमान को हमेशा ऊँचा रखना चाहिए।
Shashikiran R
अक्तूबर 3, 2025 AT 09:17यहाँ सब लोग बापूको भूल गये है, सच्ची शान्ति के बहाने हिन्दुस्तान का अपमान हो रहा है।
Madhu Murthi
अक्तूबर 3, 2025 AT 09:34🇮🇳👏 ये सभा वाक़ई में हमारे राष्ट्र की ताक़त दिखाती है! 😎
Amrinder Kahlon
अक्तूबर 3, 2025 AT 09:51वाह, फूल तोड़ना राजनैतिक व्यायाम बन गया।
Abhay patil
अक्तूबर 3, 2025 AT 10:24सबको बापू की सीख से अपना कर्तव्य निभाना चाहिए, यही हमारा असली दायित्व है।
Neha xo
अक्तूबर 3, 2025 AT 10:41इतिहास की इस यादगार घटना से हमें सामाजिक एकता की आवश्यकता फिर से समझ आती है।