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नॉबेल शांति पुरस्कार 2025: वेनेजुएला की लोकतांत्रिक नेता मारिया कोरिना माचांडो को मिला सम्मान

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 10 अक्तू॰ 2025    टिप्पणि(12)
नॉबेल शांति पुरस्कार 2025: वेनेजुएला की लोकतांत्रिक नेता मारिया कोरिना माचांडो को मिला सम्मान

जब मारिया कोरिना माचांडो, 1967-01-01, Venezuelan को नॉरवेजियन नोबेल कमेटी ने 10 अक्टूबर 2025 को नॉर्वे के ओस्लो में घोषित किया, तो दुनिया ने एक बार फिर लोकतंत्र की कीमत को महसूस किया। इस घोषणा ने केवल एक व्यक्तिगत सम्मान नहीं, बल्कि वेनेजुएला के दमनकारी शासन के खिलाफ एक विशाल आंदोलन को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर लाया।

पृष्ठभूमि: मारिया कोरिना माचांडो का साहसिक सफर

माचांडो ने 1992 में कराकस में अटेनेआ फाउंडेशन की स्थापना की, जो गली के बच्चों को शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करती थी। दस साल बाद, 2002 में उन्होंने सुमाते को सह-स्थापित किया, जिसका मिशन मुक्त और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना था। 2010 में वे ज़ुलिया राज्य से राष्ट्रीय सभा की सीट जीतकर 2,21,000 वोट हासिल कर रिकॉर्ड तोड़ गईं – वह समय का सबसे बड़ा व्यक्तिगत मतभार था।

भले ही 2014 में झूठे मुकदमों से उन्हें अस्थायी तौर पर हटाया गया, लेकिन 2018 में वे वेंटे वेनेजुएला पार्टी की महासचिव बनीं और 2017 में सोय वेनेजुएला गठबंधन का हिस्सा बनकर 127 प्रगतिशील समूहों को एकजुट किया। उनका 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनने का सपना भी राष्ट्रीय निर्वाचन परिषद द्वारा थोपे गए प्रतिबंधों के कारण ध्वस्त हो गया, फिर भी उन्होंने ए्डमुंडो गोंजालेज़ उरुतिया को समर्थन दिया।

नोबेल घोषणा: ओस्लो की शाम में क्या कहा गया?

10 अक्टूबर 2025 को ठीक 11:00 बजे (CET) ओस्लो के नॉर्वे नॉबेल इंस्टीट्यूट में क्रिस्चियन बर्ग हार्पविकेन, निदेशक, ने लाइव‑स्ट्रीम के माध्यम से घोषणा की: "मारिया कोरिना माचांडो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाता है, क्योंकि उन्होंने वेनेजुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए अथक संघर्ष किया और तानाशाही से लोकतंत्र तक का शांतिपूर्ण परिवर्तन संभव बनाया।"

घोषणा के कुछ ही मिनट बाद, हार्पविकेन ने व्यक्तिगत रूप से माचांडो को फोन किया। उनका आँसू भरी आवाज़: "ओह माय गॉड… मेरे पास शब्द नहीं हैं," और उन्होंने कहा, "यह एक आंदोलन है, एक पूरे समाज की उपलब्धि, मैं केवल एक व्यक्ति हूँ।" इस भावनात्मक क्षण ने दुनिया को यह याद दिला दिया कि यह पुरस्कार एक व्यक्ति से नहीं, बल्कि लाखों अनाम साहसियों से जुड़ा है।

वैश्विक प्रतिक्रियाएँ और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

संयुक्त राष्ट्र के जनरल सचिव अंटोनियो गुटर्रेस ने तुरंत टिप्पणी की: "यह लोकतांत्रिक आंदोलनों के लिए एक आशा की किरण है, जो दमनकारी दबाव के तहत जूझ रहे हैं।" यूरोपीय संघ के हाई रिप्रेज़ेंटेटिव जोसेप बोरैल ने 50 मिलियन यूरो की अतिरिक्त मानवीय सहायता का वादा किया, जिसे वे वेनेजुएला की सिविल सोसाइटी संगठनों को अगले 72 घंटों में वितरित करने की योजना बना रहे हैं।

वहीं वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलास मदुरो ने आलोचना की, कहकर कि यह “विदेशी हस्तक्षेप” है और उन्होंने अपने समर्थकों को “देश के हित में” दृढ़ रहने का आदेश दिया। इस बीच वेनेजुएला की नागरिक आवाज़ें उत्सव और गुमनाम साहसियों दोनों के मिश्रण से गूँज रही थीं।

पुरस्कार की आर्थिक और व्यवहारिक महत्ता

  • नॉबेल शांति पुरस्कार का कुल रकम 11.0 मिलियन स्वीडिश क्रोना (SEK) है, जो 10.18 SEK/USD की दर से लगभग US$1.08 मिलियन बनता है।
  • भारतीय रूपये में यह राशि 8.92 करोड़ INR के बराबर है, जो 2024 के पुरस्कार से 3.5 % अधिक है।
  • राशि 10 दिसंबर 2025 को ओस्लो सिटी हॉल में औपचारिक रूप से माचांडो को ट्रांसफ़र की जाएगी।
  • पुरस्कार की आधिकारिक समारोह में लगभग 1,200 राजनयिक, शैक्षणिक और नागरिक समाज के प्रतिनिधि शिरकत करेंगे।

यह वित्तीय समर्थन न केवल व्यक्तिगत अद्भुत कार्य को मान्यता देता है, बल्कि वेनेजुएला की लोकतांत्रिक पहल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुदृढ़ करता है।

इतिहास में पहला, लेकिन क्या यह परिवर्तन लाएगा?

मारिया कोरिना माचांडो विश्व में दसवीं लैटिन अमेरिकी कोनोबेल शांति पुरस्कार प्राप्तकर्ता बनती हैं, और 1901 से अब तक वेनेजुएला का पहला नोबेल विजेता है। यह उपलब्धि एक संकेतक है कि दमनकारी शासनों के सामने भी नागरिक शक्ति अनिवार्य रूप से जीत सकती है। परंतु व्यावहारिक सवाल अभी भी बाकी हैं: क्या यह अंतर्राष्ट्रीय दबाव वेनेजुएला के भीतर सशस्त्र प्रतिरोध को कम करेगा? क्या यूरोपीय संघ की आर्थिक सहायता नागरिक समाज को स्थिरता प्रदान कर पाएगी?

विशेषज्ञों की राय में, ये प्रश्न उत्तर देने के लिए कई कारकों की आवश्यकता होगी – जैसे कि अंतर्निहित आर्थिक संकट का समाधान, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों का पुनर्मूल्यांकन, और सबसे महत्त्वपूर्ण, वेनेजुएला के नागरिकों का निरंतर एकजुट मंच।

आगे क्या होगा? भविष्य की राहें

माचांडो का नोबेल लेक्चर 10 दिसंबर को ओस्लो सिटी हॉल में होगा, जहाँ वह "लोकतंत्र की ज्वाला" के नाम से अपने विचार प्रस्तुत करेंगी। इस मंच से वह अंतर्राष्ट्रीय नीति निर्माताओं से अपील करने की उम्मीद कर रही हैं कि वे वेनेजुएला के लोकतांत्रिक परिवर्तन को समर्थन देना जारी रखें।

साथ ही, नॉरवेजियन नोबेल कमेटी ने बताया कि भविष्य में वे इस पुरस्कार को "लोकतांत्रिक प्रतिरोध" के रूप में एक मानदंड के रूप में देखेंगे, जिससे अन्य सशक्त नागरिक आंदोलनों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

मुख्य तथ्य

  • पुरस्कार प्राप्तकर्ता: मारिया कोरिना माचांडो
  • घोषणा की तारीख: 10 अक्टूबर 2025, 11:00 CET
  • स्थापना स्थल: ओस्लो, नॉर्वे
  • पुरस्कार राशि: 11.0 मिलियन SEK (US$1.08 M)
  • मुख्य कारण: वेनेजुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा और शांति की दिशा में संघर्ष

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

यह पुरस्कार वेनेजुएला के लोकतांत्रिक आंदोलन को कैसे प्रभावित करेगा?

नोबेल शांति पुरस्कार ने अंतर्राष्ट्रीय ध्यान को वेनेजुएला की स्थिति की ओर मजबूती से आकर्षित किया है। इससे यूरोपीय संघ और अन्य देशों से अतिरिक्त मानवीय सहायता मिलने की संभावना बढ़ी है, और दमनकारी शासन को अंतर्राष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ेगा। हालांकि, वास्तविक परिवर्तन के लिए नागरिकों की निरंतर एकजुटता और आंतरिक राजनीतिक संवाद की ज़रूरत है।

नोबेल कमेटी ने माचांडो को क्यों चुना?

कमेटी ने कहा कि माचांडो "लोकतंत्र की ज्वाला" को जलाए रख रही हैं, जबकि लैटिन अमेरिका में लोकतांत्रिक झुके का खतरा बढ़ रहा है। उन्होंने उनके निरंतर संघर्ष को "नागरिक साहस" के उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में उजागर किया, जो मुक्त चुनाव, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांति के मूल सिद्धांतों को सुदृढ़ करता है।

पुरस्कार की धनराशि का उपयोग कैसे होगा?

मारिया कोरिना माचांडो ने कहा है कि पूरी राशि वेनेजुएला के नागरिक समाज को समर्थन देने के लिए इस्तेमाल होगी—जैसे स्वतंत्र मीडिया, मानवाधिकार संगठनों और शरणार्थी सहायता कार्यक्रमों के लिये। उन्होंने यह भी बताया कि वह इस निधि को पारदर्शी ढांचे में वितरित करने की योजना बना रही हैं।

क्या यह नोबेल पुरस्कार वेनेजुएला में चुनावी सुधार लाएगा?

सिर्फ पुरस्कार से चुनाव नहीं बदलेंगे, पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव और वित्तीय समर्थन से चुनावी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता का दवाब बढ़ेगा। यदि वेनेजुएला के भीतर स्वतंत्र पर्यवेक्षक और नागरिक नज़रें अधिक सक्रिय हों तो भविष्य के चुनाव अधिक निष्पक्ष हो सकते हैं।

अगले वर्ष नोबेल लेक्चर में माचांडो किन मुद्दों पर बात करेंगी?

पर्यवेक्षक अनुमान है कि माचांडो अपनी लेक्चर में "लोकतंत्र की ज्वाला" को जला रखने की चुनौतियों, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व, और वेनेजुएला की आर्थिक पुनरुद्धार के लिए शांति‑परिस्थितियों पर प्रकाश डालेंगी। उन्होंने कहा है कि वह "सभी उन लोगों को श्रेय देती हैं जो बिना डर के आवाज़ उठाते हैं।"

12 टिप्पणि

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    Vaibhav Kashav

    अक्तूबर 10, 2025 AT 22:33

    सिर्फ नामी लोग ही नॉबेल जीतते हैं।

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    saurabh waghmare

    अक्तूबर 12, 2025 AT 02:20

    मारिया कोरिना माचांडो का यह सम्मान लोकतांत्रिक संघर्ष के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। उनका कार्य न केवल वेनेजुएला, बल्कि समस्त लैटिन अमेरिकी देशों के लिए प्रेरणा बनता है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इस कदम से मानवाधिकारों की रक्षा में नई ऊर्जा देखी है। इतिहास में ऐसा प्रतीकात्मक मान्यताएँ अक्सर तलवार के दोधारी की तरह कार्य करती हैं। आशा है यह पुरस्कार वास्तविक बदलाव का उत्प्रेरक बने।

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    Madhav Kumthekar

    अक्तूबर 13, 2025 AT 06:06

    बिलकुल सही, माचांडो जी की कहानी में कई रुकावटे थीं पर उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी अटेनेआ फाउंडेशन का काम बच्चों के लिये अब तक बहुत फायदेमंद रहा है। 2002 में सुमाते का साथी बनकर उन्होंने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई। कभी‑कभी रिपोर्ट में छोटे‑छोटे टाइपो होते हैं, पर मुख्य बात समझ में आ जाती है।

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    Deepanshu Aggarwal

    अक्तूबर 14, 2025 AT 09:53

    वाह! नॉबेल जीतना किसी भी सक्रिय नागरिक के लिये बड़ी उपलब्धि है 😊 यह वेनेजुएला के लोगों के लिये भी आशा की किरण है।

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    akshay sharma

    अक्तूबर 15, 2025 AT 13:40

    यह तो बिल्कुल एक महाकाव्य जैसा मोमेंट है, जहाँ एक अकेली महिला ने पूरे निरंकुश शासन को झकझोर दिया! मारिया कोरिना माचांडो ने अपने आगे बढ़ते कदमों से लोगों को जागरूक किया, जैसे ज्वालाकुंड में शेर की दहाड़। उन्होंने 1992 में अटेनेआ फाउंडेशन से ही गरीबी के आँचल में उजाला डाला, और फिर 2002 में सुमाते के साथ लोकतंत्र की नींव रखी। उनका राष्ट्रीय सभा में रिकॉर्ड मतों का जीतना तो एक सृष्टि‑सिलसिले का भाग्यशाली प्रकरण है। 2014 में झूठे मुकदमों की अडचण काली घटाय की तरह आई, फिर भी उन्होंने अपनी लकीर नहीं खोई। 2018 में वेन्टे वेनेजुएला पार्टी की महासचिव बनकर असंभव को संभव कर दिखाया। उनका 2024 का राष्ट्रपति पद का सपना, प्रतिबंधों के सामने टूटना, फिर भी उनका समर्थन एड्मंदो गोंजालेज़ को देना एक साहसी कदम था। अब नॉबेल की घोषणा ने उनकी कहानी को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर लहराया, जैसे कोई शोरगुलभरा तड़का। यह पुरस्कार सिर्फ एक स्मृति नहीं, बल्कि एक आंदोलन का प्रतीक है, जिसमें अनगिनत अनाम योद्धा शामिल हैं। यूरोपीय संघ की आर्थिक मदद भी एक चिंगारी की तरह काम करेगी, लेकिन सच्चा बदलाव जनता की एकजुट धड़कन में निहित है। विश्व के शास्त्रियों ने कहा है कि यह एक नया युग का द्वार खोल सकता है, जहाँ दमनवादी सरकारें डरीं‑डरी रहें। फिर भी सवाल यही रहता है-क्या यह आर्थिक सहायता सशस्त्र प्रतिरोध को कम करेगी? क्या अंतर्राष्ट्रीय दबाव सत्ता संरचना को हिला पाएगा? जो भी हो, मारिया की यह जीत एक प्रेरणा है कि साहस और दृढ़ता से बड़ी से बड़ी दीवार भी टूट सकती है। और सबसे बड़ा संदेश यह है-जब असहाय भी आवाज़ उठाते हैं, तो विश्व सुनता है।

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    Nath FORGEAU

    अक्तूबर 16, 2025 AT 17:26

    वास्तव में, इन घटनाओं का प्रभाव समय के साथ स्पष्ट होगा

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    Hrishikesh Kesarkar

    अक्तूबर 17, 2025 AT 21:13

    नॉबेल का प्रभाव अक्सर दीर्घकालिक होता है।

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    Manu Atelier

    अक्तूबर 19, 2025 AT 01:00

    इसका मतलब यह नहीं कि तुरंत परिवर्तन आएगा। लेकिन यह एक दिशा‑सूचक कदम है।

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    Anu Deep

    अक्तूबर 20, 2025 AT 04:46

    मारिया की उपलब्धियों से स्पष्ट होता है कि निरंतर सामुदायिक सहभागिता में कितना शक्ति है। उनके कार्य ने कई युवा नेताओं को प्रेरित किया है और सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा दिया है। इस प्रकार का प्रभाव स्थानीय स्तर पर प्रतिरोध को सुदृढ़ करता है और वैश्विक मंच पर आवाज़ उठाता है।

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    Preeti Panwar

    अक्तूबर 21, 2025 AT 08:33

    बहुत अच्छा विश्लेषण! 🌟 यह दिखाता है कि छोटे‑छोटे कदम भी बड़े परिवर्तन की राह बनाते हैं 😊

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    MANOJ SINGH

    अक्तूबर 22, 2025 AT 12:20

    प्लस, कुछ लोग अभी भी इसको सिर्फ विदेशी हस्तक्षेप मानते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि वेनेजुएला को खुद अपनी राह चुननी चाहिए। इस तरह के पुरस्कार सिर्फ सुंदर शब्द नहीं, बल्कि सच्ची जिम्मेदारी की मांग करते हैं।

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    Vaibhav Singh

    अक्तूबर 23, 2025 AT 16:06

    आगे देखते हुए, अंतर्राष्ट्रीय समर्थन को ठोस प्रोजेक्ट्स में बदलना ही माचांडो के मिशन को सफल बना सकता है।