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मथियास बोए: सत्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी के सफलता के मंझे हुए कोच

के द्वारा प्रकाशित किया गया आरव शर्मा    पर 29 जुल॰ 2024    टिप्पणि(0)
मथियास बोए: सत्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी के सफलता के मंझे हुए कोच

मथियास बोए: सत्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी के कोच

जब हम बैडमिंटन जगत के महान खिलाड़ियों की बात करते हैं, तो मथियास बोए का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। डेनमार्क के इस आदर्श डबल्स खिलाड़ी ने अपने समय में खेल को एक नई दिशा दी और कई महत्वपूर्ण प्रतियोगिताओं में अपनी चपलता और चालाकी का प्रदर्शन किया। मथियास बोए का जन्म जुलाई 1980 में फ्रेडरिक्सुंड, डेनमार्क में हुआ था। उनका बायां हाथ डबल्स बैडमिंटन में उनकी विशेष पहचान बना।

सत्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की सफलता

भारतीय बैडमिंटन की उभरती जोड़ी सत्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की सफलता के पीछे मथियास बोए का अहम योगदान है। साल 2021 में, चिराग शेट्टी की प्रेरणा से मथियास ने इस जोड़ी को कोचिंग देने का जिम्मा उठाया। इस अवसर ने भारतीय बैडमिंटन को नए आयाम दिए और सत्विक-चिराग ने कई बड़े टूर्नामेंट में सफलता हासिल की।

मथियास बोए के कोचिंग में इस जोड़ी ने इंडोनेशिया ओपन सुपर 1000, थॉमस कप और विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में पदक सहित कई महत्वपूर्ण सफलताएँ प्राप्त की। इसके अलावा, भारत के प्रथम स्वर्ण पदक को एशियाई खेलों के में हासिल करने में भी इस कोच और खिलाड़ियों की जोड़ी का महत्वपूर्ण योगदान था।

मथियास बोए का प्रशिक्षण सत्र

मथियास बोए का कोचिंग दृष्टिकोण बहुत ही अनूठा और प्रभावी है। वे खिलाड़ियों में अनुशासन और रणनीतिक जागरूकता पैदा करते हैं। उनके कोचिंग सत्र की खास बात यह है कि वे खिलाड़ियों के खेल में शक्ति और रणनीति का अद्वितीय संतुलन कायम करते हैं। सत्विकसाईराज और चिराग को बोए ने उनकी ताकत और शक्तिशाली खेल शैली के साथ अनुकूल करने के लिए प्रशिक्षित किया, जिससे उनके प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार हुआ।

मथियास बोए का खेल अनुभव और उनके विजय अभियान ने सत्विक-चिराग को बैडमिंटन के प्रतिस्पर्धात्मक परिदृश्य को समझने और संभव चुनौतियों का सामना करने में सहायता की। बोए ने साल 2011 और 2015 में ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीती और उनके इस विजयी अनुभव से भारतीय जोड़ी ने असीम लाभ उठाया।

बोए का भविष्य

हालाँकि, मथियास बोए का कोचिंग अनुबंध 15 अगस्त को समाप्त हो रहा है, जिसके बाद वे सत्विक-चिराग से अलग हो जाएंगे। यह निर्णय मुख्य रूप से भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) की होमग्राउन कोचों को प्रोत्साहित करने की नीति और लागत प्रतिसावधानों के कारण लिया गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बोए का अगला कदम क्या होगा और भारतीय बैडमिंटन की यह प्रमुख जोड़ी अपने आगामी मुकाबलों में कैसे प्रदर्शन करती है।

एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि मथियास बोए का हेड़-टू-हेड़ रिकॉर्ड कोरियाई लीजेन्ड्स ली योंग-डे और यू योउन-सियॉन्ग के खिलाफ 0-6 है, लेकिन अपने अनुभव से बोए ने सत्विक-चिराग को इसी तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए बहुत कुछ सिखाया है। भारतीय बैडमिंटन के लिए आने वाले दिन अवश्य ही उत्साहजनक होंगे और सभी की निगाहें अब इस युवा जोड़ी के भविष्य के प्रदर्शन पर होगी।