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मथियास बोए: सत्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी के सफलता के मंझे हुए कोच

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 29 जुल॰ 2024    टिप्पणि(14)
मथियास बोए: सत्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी के सफलता के मंझे हुए कोच

मथियास बोए: सत्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी के कोच

जब हम बैडमिंटन जगत के महान खिलाड़ियों की बात करते हैं, तो मथियास बोए का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। डेनमार्क के इस आदर्श डबल्स खिलाड़ी ने अपने समय में खेल को एक नई दिशा दी और कई महत्वपूर्ण प्रतियोगिताओं में अपनी चपलता और चालाकी का प्रदर्शन किया। मथियास बोए का जन्म जुलाई 1980 में फ्रेडरिक्सुंड, डेनमार्क में हुआ था। उनका बायां हाथ डबल्स बैडमिंटन में उनकी विशेष पहचान बना।

सत्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की सफलता

भारतीय बैडमिंटन की उभरती जोड़ी सत्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की सफलता के पीछे मथियास बोए का अहम योगदान है। साल 2021 में, चिराग शेट्टी की प्रेरणा से मथियास ने इस जोड़ी को कोचिंग देने का जिम्मा उठाया। इस अवसर ने भारतीय बैडमिंटन को नए आयाम दिए और सत्विक-चिराग ने कई बड़े टूर्नामेंट में सफलता हासिल की।

मथियास बोए के कोचिंग में इस जोड़ी ने इंडोनेशिया ओपन सुपर 1000, थॉमस कप और विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में पदक सहित कई महत्वपूर्ण सफलताएँ प्राप्त की। इसके अलावा, भारत के प्रथम स्वर्ण पदक को एशियाई खेलों के में हासिल करने में भी इस कोच और खिलाड़ियों की जोड़ी का महत्वपूर्ण योगदान था।

मथियास बोए का प्रशिक्षण सत्र

मथियास बोए का कोचिंग दृष्टिकोण बहुत ही अनूठा और प्रभावी है। वे खिलाड़ियों में अनुशासन और रणनीतिक जागरूकता पैदा करते हैं। उनके कोचिंग सत्र की खास बात यह है कि वे खिलाड़ियों के खेल में शक्ति और रणनीति का अद्वितीय संतुलन कायम करते हैं। सत्विकसाईराज और चिराग को बोए ने उनकी ताकत और शक्तिशाली खेल शैली के साथ अनुकूल करने के लिए प्रशिक्षित किया, जिससे उनके प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार हुआ।

मथियास बोए का खेल अनुभव और उनके विजय अभियान ने सत्विक-चिराग को बैडमिंटन के प्रतिस्पर्धात्मक परिदृश्य को समझने और संभव चुनौतियों का सामना करने में सहायता की। बोए ने साल 2011 और 2015 में ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीती और उनके इस विजयी अनुभव से भारतीय जोड़ी ने असीम लाभ उठाया।

बोए का भविष्य

हालाँकि, मथियास बोए का कोचिंग अनुबंध 15 अगस्त को समाप्त हो रहा है, जिसके बाद वे सत्विक-चिराग से अलग हो जाएंगे। यह निर्णय मुख्य रूप से भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) की होमग्राउन कोचों को प्रोत्साहित करने की नीति और लागत प्रतिसावधानों के कारण लिया गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बोए का अगला कदम क्या होगा और भारतीय बैडमिंटन की यह प्रमुख जोड़ी अपने आगामी मुकाबलों में कैसे प्रदर्शन करती है।

एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि मथियास बोए का हेड़-टू-हेड़ रिकॉर्ड कोरियाई लीजेन्ड्स ली योंग-डे और यू योउन-सियॉन्ग के खिलाफ 0-6 है, लेकिन अपने अनुभव से बोए ने सत्विक-चिराग को इसी तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए बहुत कुछ सिखाया है। भारतीय बैडमिंटन के लिए आने वाले दिन अवश्य ही उत्साहजनक होंगे और सभी की निगाहें अब इस युवा जोड़ी के भविष्य के प्रदर्शन पर होगी।

14 टिप्पणि

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    Anand Bhardwaj

    जुलाई 29, 2024 AT 13:45

    बोए ने तो बस एक चीज़ सिखाई - जीतने के लिए बैडमिंटन नहीं, दिमाग चलाना है। अब जब वो चले जा रहे हैं, तो लगता है सत्विक-चिराग का असली टेस्ट शुरू हो रहा है।

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    RAJIV PATHAK

    जुलाई 31, 2024 AT 05:16

    अरे भाई, ये सब बकवास है। एक डेनमार्की कोच भारतीय बैडमिंटन को बचा रहा है? क्या हमारे पास कोई और नहीं था? सिर्फ़ फॉरेनर्स के नाम से ही जीत का श्रेय देना अपमानजनक है।

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    Nalini Singh

    जुलाई 31, 2024 AT 16:56

    मथियास बोए के कोचिंग दृष्टिकोण में यूरोपीय विज्ञान और एशियाई भावनात्मक ताकत का अद्वितीय संगम है। उनके द्वारा विकसित रणनीतिक लचीलापन ने भारतीय खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नए आयाम में ले जाया है।

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    Sonia Renthlei

    अगस्त 1, 2024 AT 23:47

    मैं बस यही सोच रही हूँ कि अगर हम इतने अच्छे कोच खोज लेते हैं जो असली जुनून से काम करें, तो क्या हमें विदेशी कोचों की जरूरत होगी? सत्विक और चिराग की यह सफलता तो दिखाती है कि भारतीय खिलाड़ियों में असली प्रतिभा है, बस उन्हें सही मार्गदर्शन चाहिए। मैं तो चाहूँगी कि हम अपने देश के कोचों को भी इतना सम्मान दें जितना बोए को दिया जा रहा है। क्या हम अपने ही लोगों को भरोसा नहीं कर सकते? ये सवाल बहुत गहरा है।

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    Aryan Sharma

    अगस्त 2, 2024 AT 12:46

    ये सब बातें बकवास है। बोए को SAI ने निकाला है क्योंकि वो अमेरिका के साथ साजिश कर रहा था। वो चाहता था कि भारतीय खिलाड़ी अमेरिकी एंट्री फीस दें ताकि वो अपने देश में नया लैब बना सके। ये एक बड़ा षड्यंत्र है।

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    Devendra Singh

    अगस्त 3, 2024 AT 02:43

    मथियास बोए की विजयी रणनीति? बस एक निर्मम विदेशी ने अपने तरीके थोपे। अगर हमारे देश के कोचों को वही अवसर मिलता, तो आज तक हमने 10 ओलंपिक स्वर्ण जीत लिए होते। ये निर्णय बेहद निर्मम है।

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    UMESH DEVADIGA

    अगस्त 4, 2024 AT 21:43

    तुम लोगों को लगता है बोए ने सिर्फ़ टेक्निकल ट्रिक्स सिखाईं? नहीं भाई, उसने तो उन दोनों के दिमाग में एक नया बैकग्राउंड डाल दिया। अब जब वो नहीं होंगे, तो ये दोनों खुद को खो देंगे।

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    Roshini Kumar

    अगस्त 5, 2024 AT 06:32

    बोए का रिकॉर्ड 0-6 था? तो फिर उसकी कोचिंग का क्या फायदा? मुझे तो लगता है ये सब एक बड़ा ब्रांडिंग ट्रिक है। वो तो खुद नहीं जीत पाया, लेकिन भारतीयों को जीतने के लिए बेच रहा है।

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    Siddhesh Salgaonkar

    अगस्त 6, 2024 AT 03:05

    बोए ने जो किया वो तो बस एक जादू था 😍✨ उसके बिना ये जोड़ी तो बस दो आम लड़के होते। अब जब वो चले गए, तो ये दोनों अपने आप गुलाबी बादलों में उड़ जाएंगे 🌈💔

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    Arjun Singh

    अगस्त 8, 2024 AT 00:54

    बोए का अप्रोच था - एंट्री स्पीड + डिफेंसिव एक्सिस + फ्लैट शटलकॉक एंगल। इन तीनों को बैलेंस करना ही विजय का राज़ है। अब भारतीय कोच इन्हें डिकोड कर पाएंगे या नहीं? ये देखना है।

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    yash killer

    अगस्त 8, 2024 AT 08:15

    हमारे लड़कों ने दुनिया को दिखा दिया कि भारतीय बैडमिंटन क्या कर सकता है और ये सब बोए के बिना नहीं होता। अब वो चले गए तो भारत की गर्व की बात है। हमारे खिलाड़ी अब अपने आप जीतेंगे। भारत मर्दाना है।

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    Ankit khare

    अगस्त 10, 2024 AT 02:46

    ये बोए तो बस एक बाहरी चीज़ है जिसे हमने अपने अंदर घुला लिया। अब जब वो चले गए तो हमारे लड़के अपने खून की आवाज़ सुनेंगे। जीत तो भारतीय दिल से आती है ना? बोए तो बस एक बात बताया, बाकी तो हमने अपने अंदर बसा लिया।

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    Chirag Yadav

    अगस्त 11, 2024 AT 22:13

    मैं तो बस यही कहूँगा कि बोए के बाद भी जो लोग इन दोनों के साथ काम करेंगे, उन्हें बस एक चीज़ याद रखनी है - ये दोनों खिलाड़ी अपने दिमाग से खेलते हैं। बस उनके दिमाग को रोकना नहीं, बल्कि उनकी ऊर्जा को बढ़ाना है।

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    Shakti Fast

    अगस्त 12, 2024 AT 13:17

    मैं बस इतना कहूँगी कि बोए ने सिर्फ़ टेक्निक नहीं, बल्कि उन दोनों के दिल में एक नई आत्मविश्वास की लहर भर दी। अब जब वो चले गए, तो उनका ये आत्मविश्वास अभी भी जीवित है। ये जोड़ी अब अपने आप एक असली टीम बन चुकी है।