जुलाई की किस्त पर इंतजार खत्म: राखी से पहले भुगतान, 2.5 करोड़ महिलाओं को राहत
महाराष्ट्र सरकार ने साफ कर दिया है कि लाडकी बहिन योजना की 13वीं किस्त (₹1,500) राखी से पहले लाभार्थी महिलाओं के खातों में पहुंच जाएगी। महिला व बाल विकास मंत्री अदिती तटकरे ने प्रक्रिया तेज होने की जानकारी दी, और विभाग ने 9 अगस्त 2025 से भुगतान जारी करना शुरू कर दिया। जुलाई 2025 की किस्त में देरी से राज्य भर में लाखों महिलाएं चिंतित थीं, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में भी भुगतान समय पर नहीं आया था।
योजना जुलाई 2024 में शुरू हुई थी। उद्देश्य था—21 से 65 साल की आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को हर महीने ₹1,500 की मदद देना, ताकि घर का खर्च, सेहत और पोषण पर सीधा असर पड़े। शुरुआती महीनों में जून, जुलाई और अगस्त 2024 की तीनों किस्तें एक साथ अगस्त में दी गई थीं, जब योजना चुनाव से पहले लॉन्च हुई। उसके बाद भी कुछ महीनों में फंड रिलीज और बैंकिंग प्रोसेस के कारण भुगतान खिसकता रहा।
सरकार ने इस फ्लैगशिप स्कीम के लिए ₹46,000 करोड़ का बजट रखा है। विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2.5 करोड़ से ज्यादा महिलाएं पात्र हैं या पात्रता की तरफ बढ़ रही हैं। जून 2025 तक 12 किस्तें निकल चुकी थीं, लेकिन जुलाई की 13वीं किस्त में देरी हो गई। इसे राखी से पहले जारी करना सरकार के लिए राजनीतिक और सामाजिक, दोनों स्तरों पर अहम था—पारिवारिक त्योहार में नकदी पहुंचने से घरों का तात्कालिक खर्च निकल जाता है।
देरी क्यों हुई? विभागीय सूत्रों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) में बैंकिंग छुट्टियां, कोर बैंकिंग सिस्टम की क्लियरेंस, आधार-खाता मैपिंग और डुप्लीकेट रिकॉर्ड की जांच जैसे कारण अक्सर टाइमलाइन खींच देते हैं। जिन खातों में आधार सीडिंग लंबित होती है या खाता निष्क्रिय (डॉरमेंट) हो चुका होता है, वहां भुगतान वापस लौट जाता है। ऐसे मामलों को सुधरने में एक-दो साइकिल लग जाते हैं।
सरकार ने पात्रता की ऊपरी सीमा 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी है, ताकि बुजुर्ग महिलाओं तक भी मदद पहुंचे। साथ ही, परिवार में अविवाहित एकल महिला होने पर आवेदन का विकल्प खुला है। विभाग ने हाल में राशि बढ़ाकर ₹2,100 करने के चुनावी वादे को भी दोहराया है, हालांकि इस बढ़ोतरी पर अंतिम फैसला बजट प्रावधान और कैबिनेट मंजूरी के बाद ही लागू होगा।
मैदान से आती तस्वीरें बताती हैं कि यह राशि छोटे-छोटे खर्चों में तुरंत काम आती है—स्कूल फीस का हिस्सा, दवा, रसोई का मासिक सामान, या बिजली-पानी के बिल। खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां आय अनियमित है, महीने की तय रकम वित्तीय सुरक्षा का छोटा लेकिन भरोसेमंद सहारा बन रही है।
भुगतान 9 अगस्त 2025 से रोलआउट हुआ है। इतने बड़े पैमाने पर ट्रांसफर बैचों में होता है, इसलिए किसी-किसी खाते में रकम 24-72 घंटे आगे-पीछे भी क्रेडिट हो सकती है। बैंक एसएमएस, पासबुक एंट्री और मिनी-स्टेटमेंट से इसकी पुष्टि कर सकते हैं।
कौन है पात्र, किन कागजों की जरूरत, और भुगतान नहीं आया तो क्या करें
योजना का संचालन महिला व बाल विकास विभाग, महाराष्ट्र के जरिए होता है। लक्ष्य समूह—21 से 65 वर्ष की महिलाएं, जिनके परिवार की सालाना आय ₹2,50,000 से कम है। आवेदन के समय स्थानीय निकायों और विभागीय जांच के आधार पर पात्रता तय होती है।
जरूरी दस्तावेज:
- महाराष्ट्र का निवास प्रमाण
- आधार कार्ड और अद्यतन मोबाइल नंबर
- जन्मतिथि/आयु का प्रमाण (जन्म प्रमाणपत्र आदि)
- आय प्रमाणपत्र
- बैंक खाता विवरण (आधार से लिंक खाता बेहतर)
- पासपोर्ट साइज फोटो
- राशन कार्ड
- स्व-घोषणा पत्र (जरूरत के मुताबिक)
अगर इस महीने की किस्त अभी तक नहीं आई है, तो ये कदम मदद करेंगे:
- अपने बैंक खाते का मिनी-स्टेटमेंट निकालें या पासबुक अपडेट कराएं। कई बार एसएमएस देरी से आता है, रकम पहले क्रेडिट हो जाती है।
- खाता सक्रिय रखें: 6-12 महीनों तक लेन-देन नहीं होने पर कुछ खाते निष्क्रिय हो जाते हैं। एक छोटा डिपॉजिट/विथड्रॉअल करके खाता सक्रिय करें।
- आधार सीडिंग चेक करें: बैंक शाखा या बैंक मित्र से पुष्टि करें कि आपका आधार उसी खाते से लिंक है जिसमें DBT लेना है। जरूरत हो तो तुरंत अपडेट कराएं।
- KYC अपडेट: पता या मोबाइल बदल गया है तो KYC दोबारा कराएं। गलत/पुराना मोबाइल ओटीपी बाधित करता है।
- नाम/जन्मतिथि मिलान: आधार और बैंक रिकॉर्ड में नाम, जन्मतिथि या पिता/पति का नाम अलग हो तो सुधार कराएं। ये छोटी विसंगतियां भुगतान रोक देती हैं।
- ग्राम/वार्ड स्तर पर जांच: सूची में नाम, बैंक विवरण और पात्रता की स्थिति स्थानीय कार्यालय—आंगनवाड़ी केंद्र, ग्राम पंचायत, नगर वार्ड कार्यालय—पर मिलान कराएं।
- हेल्पलाइन 181: शिकायत दर्ज कराएं और संदर्भ नंबर लें। इससे ट्रैक करना आसान होता है।
नई पंजीकरण/सुधार के लिए स्थानीय कैंप, आंगनवाड़ी केंद्र और नगर-पालीका/पंचायत कार्यालय मदद करते हैं। जिनके दस्तावेज अपलोड में अटक जाते हैं, वे ऑफलाइन सत्यापन करवा सकते हैं। विभाग समय-समय पर विशेष ड्राइव चलाता है ताकि आधार-सीडिंग और खाता मिलान तेजी से निपटे।
कुछ सामान्य कारण जिनसे भुगतान अटकता है—खाते में नाम-आधार मिसमैच, आधार से NPCI मैपिंग न होना, खाते पर लियन/फ्रीज, या बैंक मर्जर के बाद पुराने IFSC का इस्तेमाल। इन मामलों में बैंक शाखा तुरंत सही IFSC/खाता स्टेटस अपडेट कर देती है।
ठगी से सावधान रहें: योजना के लिए कोई शुल्क नहीं लगता। किसी को ओटीपी, एटीएम पिन, या UPI पिन न बताएं। कॉल पर पैसे मांगने वाले फ्रॉड होते हैं—ऐसे नंबरों की शिकायत 181 पर करें।
योजना का व्यापक असर तभी दिखेगा जब भुगतान शेड्यूल स्थिर रहेगा। विभाग ने इस बार राखी से पहले किस्त पहुंचाने के लिए अतिरिक्त बैच प्रोसेस चलाए हैं। अगली किस्तों के लिए भी यही सिस्टम फॉलो होगा, ताकि महीने की शुरुआत में ही रकम महिलाओं तक पहुंचे और उन्हें महीने की जरूरतों की योजना बनाने में आसानी हो।
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