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कविता की तबियत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया, तिहाड़ जेल में कैद

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 17 जुल॰ 2024    टिप्पणि(19)
कविता की तबियत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया, तिहाड़ जेल में कैद

बीआरएस नेता के कविता की गिरफ़्तारी और जेल

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के कविता वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद हैं। उन्हें दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले में गिरफ्तार किया गया था। कविता की गिरफ्तारी का मामला तब चर्चा में आया जब उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं के चलते दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। सीबीआई ने उन्हें 11 अप्रैल को गिरफ्तार किया था और उससे पहले ईडी ने उन्हें 15 मार्च को गिरफ्तार किया था। इन मामलों में वे न्यायिक हिरासत में हैं।

कविता की जमानत याचिकाएं पहले ही बार-बार खारिज की जा चुकी हैं। उनकी नियमित जमानत याचिका को ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट दोनों ने खारिज कर दिया है। राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने कविता की डिफ़ॉल्ट जमानत याचिका पर सुनवाई को 22 जुलाई तक स्थगित कर दिया है। इसके साथ ही 18 जुलाई तक उनकी न्यायिक हिरासत को बढ़ा दिया गया है।

केस की पृष्ठभूमि

सीबीआई और ईडी की जांच में पाया गया है कि दिल्ली एक्साइज नीति में बदलाव करते समय कई अनियमितताएं की गई थीं। इसमें लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ देने, लाइसेंस फीस में छूट, और बिना सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के एल-1 लाइसेंस का विस्तार शामिल है। जांच अधिकारियों का आरोप है कि अनुचित लाभ को आरोपियों के बीच बांटा गया और फर्जी प्रविष्टियां दर्ज की गईं।

इसके अलावा, एक्साइज विभाग ने एक सफल निविदाकर्ता को लगभग 30 करोड़ रुपए की अर्जित पैसा जमा राशि वापस करने का निर्णय लिया। इसके पीछे कारण बताया गया कि कोविड-19 के कारण 28 दिसंबर 2021 से 27 जनवरी 2022 तक निविदा लाइसेंस फीस माफ़ की गई थी, जो सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचा सकता है।

स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे

स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे

तिहाड़ जेल में रहते हुए कविता की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उनकी स्थिति गंभीर बताई जा रही है। वर्तमान में अस्पताल में इलाज जारी है और चिकित्सकों की एक टीम उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रही है।

कविता की गिरफ्तारी के बाद से ही उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है और उन्हें समय-समय पर मेडिकल जांच के लिए अस्पताल लाया गया है। तिहाड़ जेल प्रशासन ने कहा है कि वे उनकी स्वास्थ्य स्थिति के लिए पूरी तरह से सजग हैं और उनका उचित इलाज सुनिश्चित करने के लिए तत्पर हैं।

अदालती कार्यवाई और आगे की रणनीति

कविता के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल करते हुए सीबीआई और ईडी ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके खिलाफ आरोपों में सरकारी नियमों की अनदेखी, अनुचित धन का वितरण, और फर्जी प्रविष्टियां शामिल हैं। अदालत में मामले की सुनवाई जारी है और आरोपियों के खिलाफ कई चरणों में गवाही ली जा रही है।

अगली सुनवाई 22 जुलाई को निर्धारित की गई है और तब तक कविता की न्यायिक हिरासत बढ़ा दी गई है। अदालत के आदेश के अनुसार, उनकी याचिका पर विचार किया जाएगा और उचित कानूनी कार्यवाई की जाएगी। अदालत ने सभी पक्षों से साक्ष्य और दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कहा है ताकि निर्णय सही और निष्पक्ष रूप से किया जा सके।

अंतिम विचार

अंतिम विचार

के कविता की गिरफ्तारी और जेल में बंद होने का मामला वर्तमान समय में राजनीतिक और कानूनी क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। उनके खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर हैं और इन पर अदालत द्वारा किए जाने वाले निर्णय का व्यापक प्रभाव हो सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आगे की कानूनी कार्यवाई में क्या निर्णय लिया जाता है और इसका राजनीतिक प्रभाव क्या होता है।

जब तक अदालत का अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तब तक इस मामले में नए मोड़ आते रहेंगे और कविता के स्वास्थ्य और कानूनी स्थिति पर सभी की नजरें टिकीं रहेंगी। यह मामला न केवल एक्साइज पॉलिसी में अनियमितताओं का बल्कि राजनीतिक और कानूनी प्रणाली की चुनौतियों का भी पर्दाफाश करता है।

19 टिप्पणि

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    yash killer

    जुलाई 19, 2024 AT 16:44
    ये सब झूठ है और राजनीति का खेल है। जेल में बैठे हैं तो अब बस न्याय होने दो।
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    Roshini Kumar

    जुलाई 19, 2024 AT 19:38
    अरे भाई ये तो बस एक और 'कविता' है जिसकी लिखावट अच्छी है पर जेल की लिखावट नहीं... तिहाड़ के बाद उनकी कविताएँ अब जेल गीत बन जाएँगी 😏
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    Siddhesh Salgaonkar

    जुलाई 20, 2024 AT 01:16
    ये लोग तो हर बार अस्पताल जाने के लिए एक नया ड्रामा बना लेते हैं 🤡 जेल में भी डॉक्टर बुलाने की आदत है? अब तो बस बैठो और न्याय का इंतजार करो। #JusticeForAll
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    Chirag Yadav

    जुलाई 21, 2024 AT 11:24
    मुझे लगता है कि इस मामले में दोनों पक्षों को सुनना चाहिए। कविता की सेहत का ख्याल रखना जरूरी है, लेकिन अगर गलती हुई है तो उसका जवाबदेह होना भी जरूरी है।
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    Dr. Dhanada Kulkarni

    जुलाई 21, 2024 AT 18:12
    मेरे विचार में, एक व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अगर वह बीमार है, तो उसे उचित चिकित्सा देना राष्ट्रीय दायित्व है। न्याय और मानवता एक साथ चल सकते हैं।
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    UMESH DEVADIGA

    जुलाई 23, 2024 AT 00:31
    ये जो बीआरएस की नेता हैं, उनकी तबियत बिगड़ी तो अस्पताल में भर्ती कर दिया... लेकिन जेल से निकालने की बात नहीं? ये तो बस एक नाटक है जिसमें सब कुछ दिखाया जा रहा है... लेकिन असलियत कहाँ है? 😔
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    Devendra Singh

    जुलाई 23, 2024 AT 11:36
    मैं आपको बताता हूँ कि ये सब एक अच्छा उदाहरण है कि कैसे राजनीति और न्याय का अलग-अलग अर्थ होता है। ये जो गिरफ्तारी हुई है, उसमें बिल्कुल भी कानूनी तर्क नहीं है। ये तो सिर्फ एक राजनीतिक शिकार हैं।
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    Ankit khare

    जुलाई 25, 2024 AT 08:09
    कविता के खिलाफ आरोप तो बहुत गंभीर हैं लेकिन अगर वो बीमार हैं तो उन्हें जेल में नहीं रखना चाहिए। न्याय तो बनता है लेकिन मानवता भी बनती है। ये जो लोग जेल में रखने की बात कर रहे हैं वो भी इंसान हैं ना?
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    Shakti Fast

    जुलाई 26, 2024 AT 04:25
    मैं उनकी तबियत के लिए दुआ कर रही हूँ। अगर वो बीमार हैं तो उन्हें ठीक करने का रास्ता निकालना चाहिए। न्याय तो आएगा ही, लेकिन इंसानियत का रास्ता भी नहीं भूलना चाहिए।
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    Sagar Jadav

    जुलाई 27, 2024 AT 09:19
    जेल में बीमार होना अपराध नहीं है। न्याय तो होगा ही, लेकिन इंसान को बर्बाद करना न्याय नहीं है।
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    Anand Bhardwaj

    जुलाई 28, 2024 AT 05:44
    अच्छा तो अब जेल में भी अस्पताल बन गया? ये सब तो बस एक नाटक है जिसमें हर कोई अपना ड्रामा बना रहा है।
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    Saurabh Singh

    जुलाई 29, 2024 AT 04:09
    इसका एक ही जवाब है - जेल में रहो और अपनी गलतियों का बदला चुकाओ। तबियत खराब है तो डॉक्टर बुलाओ, लेकिन न्याय नहीं रुकेगा।
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    saurabh vishwakarma

    जुलाई 30, 2024 AT 18:50
    मैं एक न्यायाधीश के रूप में कहूँगा कि यहाँ न्याय की दो बातें हैं - एक तो कानूनी और दूसरी नैतिक। कानून तो जेल में रखने को कहता है, लेकिन नैतिकता चाहती है कि बीमार इंसान को इलाज मिले। ये दोनों एक साथ नहीं चलते... और यही समस्या है।
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    Rishabh Sood

    जुलाई 31, 2024 AT 23:40
    जब तक एक व्यक्ति की आत्मा बीमार नहीं होती, तब तक शरीर की बीमारी तो बस एक आधार है। कविता की आत्मा क्या है? उसके आरोप उसकी आत्मा का आईना हैं।
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    INDRA MUMBA

    अगस्त 1, 2024 AT 01:50
    मुझे लगता है कि इस मामले में अगर एक न्यायाधीश ने अपनी आत्मा को सुना होता तो जमानत दे दी होती। ये न्याय नहीं, ये तो एक राजनीतिक निर्णय है।
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    MANJUNATH JOGI

    अगस्त 1, 2024 AT 16:00
    भारत की जेल प्रणाली के बारे में बात करें तो ये एक निर्माण है जिसे हमने अंग्रेजों के बाद भी बरकरार रख लिया। अगर कोई बीमार है, तो उसे बाहर लाना चाहिए। न्याय और इंसानियत एक साथ चल सकते हैं।
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    Sharad Karande

    अगस्त 2, 2024 AT 07:40
    कानून के अनुसार, न्यायिक हिरासत की अवधि बढ़ाई जा सकती है लेकिन जब तक चिकित्सकीय प्रमाण नहीं दिए जाते, तब तक जमानत की याचिका खारिज करना एक वैध निर्णय है। हालांकि, इसके नैतिक पहलू भी ध्यान में रखे जाने चाहिए।
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    Arjun Singh

    अगस्त 3, 2024 AT 16:59
    अगर ये सब जेल में बैठे हैं तो अब बस एक चीज़ करो - जेल के अंदर भी बिजनेस चल रहा है। डॉक्टर बुलाना, अस्पताल जाना... ये तो बस एक बिजनेस मॉडल है। न्याय तो बाद में होगा।
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    Mali Currington

    अगस्त 5, 2024 AT 09:19
    बस एक बार जेल में जाओ... फिर बताना कि तबियत कैसे बिगड़ती है।