गुरुवार को राहुल ममकूटाथिल की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज होते ही, उनकी न्यायिक और राजनीतिक दुनिया एक साथ टूट गई। केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) ने उसी दिन उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया, और अगले दिन वह केरल उच्च न्यायालय में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण के लिए याचिका दायर कर गए। यह सिर्फ एक कानूनी चाल नहीं, बल्कि एक ऐसा बचाव है जिसमें उनकी राजनीतिक जिंदगी का अंत लिखा दिख रहा है।
कोर्ट ने जमानत खारिज की, पार्टी ने निकाल दिया
तिरुवनंतपुरम के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस कोर्ट ने 4 दिसंबर 2025 को राहुल ममकूटाथिल की अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी। जज नज़ीरा एस. ने स्पष्ट किया कि आरोपों की गंभीरता और दस्तावेजों के आधार पर जमानत देना न्याय के खिलाफ होगा। प्रॉसिक्यूशन ने एक डॉक्टर का बयान पेश किया जिसमें एक महिला के गर्भपात की पुष्टि की गई — यह बात न सिर्फ कानूनी तौर पर भारी है, बल्कि सामाजिक रूप से भी अस्वीकार्य है। इसके तुरंत बाद, सनी जोसेफ, KPCC के अध्यक्ष, ने घोषणा की: "पार्टी के नैतिक मूल्यों के खिलाफ ऐसे आरोपों पर कोई टिकट नहीं, कोई पद नहीं।"
दो महिलाओं के आरोप, एक अभिनेत्री का खुलासा
राहुल के खिलाफ दो अलग-अलग महिलाओं ने शिकायत दर्ज कराई। पहली शिकायत में उन पर बलात्कार और जबरन गर्भपात का आरोप है। दूसरी शिकायत, जो मंगलवार को दर्ज हुई, 2023 के यौन शोषण की बात कहती है। लेकिन जो बात देश भर में चर्चा में आई, वह थी एक्ट्रेस रिनी एन जॉर्ज का बयान। उन्होंने दावा किया कि राहुल ने उन्हें अश्लील मैसेज भेजे और होटल के कमरे में बुलाया — एक ऐसा व्यवहार जो युवा नेताओं के बीच "पावर एब्यूज" का प्रतीक बन गया। इसके बाद अगस्त 2025 में कांग्रेस ने उन्हें युवा कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया था।
पार्टी के अंदर बदलाव का संकेत
पिछले कई सालों से कांग्रेस के अंदर यह बात चल रही थी कि राहुल ममकूटाथिल को वी.डी. सतीसन और शफी परंबिल का संरक्षण मिल रहा है। दोनों नेता अपने राजनीतिक नेटवर्क के जरिए उन्हें टिकट और पद दिलाते रहे, भले ही उनके खिलाफ कई शिकायतें आ चुकी हों। अब जब जमानत खारिज हो गई, तो पार्टी ने अपनी बेल उतार दी। यह सिर्फ एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि एक तरह के "करीबी संरक्षण" के खिलाफ संकेत है।
गिरफ्तारी का डर, अदालत का रुख
राहुल पिछले शुक्रवार से फरार हैं। पुलिस ने उनके घर और दो अन्य स्थानों पर छापेमारी की, लेकिन कोई निशान नहीं मिला। उनके वकील शेखर जी. थंपी और सस्थमंगलम एस. अजितकुमार ने जमानत के लिए बहुत कुछ कहा — लेकिन कोर्ट ने डॉक्टरी रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज और दो शिकायतकर्ताओं के बयानों को लेकर कहा: "यह एक आम अपराध नहीं, यह एक संगठित शोषण है।" अब जब वह केरल उच्च न्यायालय में अंतरिम संरक्षण के लिए जा रहे हैं, तो उनकी उम्मीदें बहुत कम हैं। उच्च न्यायालय के लिए यह एक बड़ा मामला है — जिसमें राजनीति और न्याय का टकराव है।
राजनीति का असर: क्या अब विधानसभा सीट खाली होगी?
कांग्रेस नेतृत्व ने राहुल से सीधे आग्रह किया है कि वह अपनी पलक्कड़ विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दें। अगर वह इस्तीफा नहीं देते, तो पार्टी को अगले चुनाव तक उनके खिलाफ चुनाव लड़ना पड़ सकता है — जो उनकी छवि के लिए बहुत नुकसानदेह होगा। अगर वह गिरफ्तार हो गए, तो विधानसभा में उनकी सीट खाली हो जाएगी, और अगले चुनाव तक उनका स्थान अन्य उम्मीदवारों के लिए खुल जाएगा।
क्या अब न्याय का रास्ता खुल गया?
इस मामले में सबसे अहम बात यह है कि आरोपों के बाद जो पहली बार कोर्ट ने जमानत खारिज की, वह एक बड़ा संकेत है। अगर यह मामला आगे बढ़ता है और दस्तावेजों की पुष्टि होती है, तो यह भारत में राजनीतिक नेताओं के खिलाफ यौन अपराधों के लिए एक नया प्रारूप बन सकता है। लोग अब यह नहीं मानेंगे कि "पद" या "पार्टी संरक्षण" अपराध का बचाव है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या राहुल ममकूटाथिल को अभी गिरफ्तार किया जा सकता है?
हाँ, अगर केरल उच्च न्यायालय उनकी अंतरिम संरक्षण याचिका खारिज कर देता है, तो पुलिस तुरंत उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। अभी तक उनका कोई पता नहीं चल पाया है, लेकिन पुलिस ने उनके घर, दोस्तों के घर और विमानक्षेत्र पर निगरानी शुरू कर दी है।
कांग्रेस ने उन्हें निष्कासित क्यों किया?
कांग्रेस ने इस निर्णय को अपनी "नैतिक जिम्मेदारी" के तौर पर बताया है। जमानत खारिज होने के बाद अदालत ने आरोपों को गंभीर मान लिया, जिससे राजनीतिक नुकसान बहुत बड़ा हो गया। अगर वह पार्टी में रहते, तो यह मामला पूरी पार्टी की छवि को नुकसान पहुँचाता।
राहुल के खिलाफ आरोपों की पुष्टि कैसे हुई?
प्रॉसिक्यूशन ने एक डॉक्टर का बयान पेश किया जिसमें एक महिला के गर्भपात की चिकित्सकीय पुष्टि की गई है। साथ ही दोनों शिकायतकर्ताओं के बयान, सीसीटीवी फुटेज और मैसेज रिकॉर्ड्स भी कोर्ट के सामने रखे गए हैं। यह सब एक बहुत मजबूत आधार है।
क्या यह मामला अन्य राजनीतिक नेताओं के लिए एक सबक है?
बिल्कुल। इस मामले ने दिखाया है कि अब न्यायपालिका और समाज दोनों राजनीतिक शक्ति को अपराध के बचाव के लिए नहीं मानते। अगर कोई नेता यौन अपराध का आरोपी है, तो अब उसकी नौकरी, पद या पार्टी संरक्षण उसे बचा नहीं सकता।