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गुरुग्राम में टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की गोली मारकर हत्या, पिता की गिरफ़्तारी के बाद उठा सवाल – बेटी की सफलता ही थी वजह?

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 12 जुल॰ 2025    टिप्पणि(9)
गुरुग्राम में टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की गोली मारकर हत्या, पिता की गिरफ़्तारी के बाद उठा सवाल – बेटी की सफलता ही थी वजह?

राधिका यादव हत्या कांड: सपनों की उड़ान पर लगी गोली

गुरुग्राम के पॉश सेक्टर 57 में, हर कोई उस रहस्यमय खामोशी को याद कर रहा है जो 11 जुलाई की दोपहर टूट गई थी। राधिका यादव, महज 25 साल की पूर्व स्टेट लेवल टेनिस प्लेयर और कोच, अपने ही घर में अपने पिता की गोलियों का शिकार बन गई। जिस घर में कभी उसकी जीत की ट्रॉफियां सजी थी, वहीं उसकी आखिरी सांसें दर्ज हो गईं।

हादसे के वक्त राधिका रसोई में खड़ी थी। उसके पिता, दीपक यादव (49), ने .32 बोर के लाइसेंसी रिवॉल्वर से एक नहीं, पांच बार फायर किया। तीन गोलियां उसकी पीठ में लगीं। राधिका वहीं गिर गई और लहूलुहान हो गई। माता मंजी यादव घर पर तो थीं, लेकिन तेज आवाज सुनकर वह पहले सोच बैठीं कि शायद प्रेशर कूकर फटा है। असलियत तब सामने आई जब राधिका का बड़ा भाई कुलदीप यादव दौड़ता हुआ ऊपर आया। उसने बहन को खून से सना देखा और तुरंत हॉस्पिटल ले गया, मगर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उसी ने पुलिस में घटना की रिपोर्ट लिखवाई।

क्या थी वजह? बेटी की उड़ान से पिता की नाराज़गी

पुलिस जांच की शुरुआत में ही साफ हो गया कि मामला पारिवारिक तनाव का है। स्थानीय लोगों का कहना है कि दीपक, बेटी राधिका की अधिक स्वतंत्रता और उसकी कामयाबी से खुद को दबाव में महसूस करता था। राधिका ने खुद अपनी टेनिस अकादमी शुरू की थी, जिसमें कई बार परिवार के पुरुष सदस्यों की कमाई के मुकाबले उसकी कमाई के चर्चे होते थे। नीमजोर समाज में ऐसी बातें दीपक को चुभने लगी और विवाद बढ़ने लगा। बोलचाल में कटाक्ष, छोटी-बड़ी बातें और यहां तक कि बाहर के ताने – सबने इस तनाव को हवा दी।

इस हत्या ने सिर्फ एक होनहार खिलाड़ी को छीना नहीं, बल्कि समाज के उस चेहरे को उजागर कर दिया है, जिसमें बेटियों की तरक्की कई बार अपने ही घर में खतरा बन जाती है। राधिका कभी अपने पिता की शान थी पर उसकी स्वतंत्रता, उसका आत्मविश्वास और सफलता, उसी पिता के लिए 'अहं' की लड़ाई बन गई।

पुलिस ने दीपक को गिरफ्त में ले लिया है और रिवॉल्वर जब्त कर लिया गया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ चुकी है, जिससे पता चला कि लगातार तीन गोलियां पीठ में दागी गईं। पूछताछ में कई पुराने झगड़े और जलन सामने आई है। अधिकारियों का कहना है कि परिवार में पहले भी घरेलू विवाद होते रहे हैं। जांच के दायरे में परिवार की गतिवधियां, दीपक की सोच व जीवनशैली, और राधिका की दिनचर्या भी है।

बड़ी बात यह है कि राधिका जैसी सफल, आत्मनिर्भर युवती, समाज और परिवार के दोनों स्तरों पर सांस्कृतिक और मानसिक लड़ाई लड़ रही थी। उसकी हत्या ने एक बार फिर सवाल खड़े किए हैं कि आखिर कब बेटी की कामयाबी, पिता के 'इज्जत' के बोझ से आज़ाद होगी? महिला सशक्तिकरण के नारे तभी तक हैं जब वह पुरुष अहंकार को घायल न करें।

  • पुलिस रिवॉल्वर की फोरेंसिक जांच करा रही है
  • आसपास के लोगों से लगातार पूछताछ जारी
  • राधिका की टेनिस अकादमी के स्टाफ की भी होगी पूछताछ
  • परिवार में महिला की स्वतंत्रता पर माहौल कैसा रहा, पुलिस उस पर भी नजर रख रही है

यह घटना सिर्फ एक परिवार तक सिमटी नहीं है – यह हर उस लड़की की कहानी है, जो अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष करती है और कई बार अपने ही लोगों के हाथों कुचल दी जाती है। जांच जारी है, लेकिन समाज में जागरूकता – यही इस दर्दनाक कहानी का सबसे बड़ा सवाल है।

9 टिप्पणि

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    Aryan Sharma

    जुलाई 13, 2025 AT 14:11
    ये सब बकवास है। पिता ने गोली मारी तो क्या हुआ? बेटी ने अपनी कमाई पिता से ज्यादा की तो उसका अहंकार बढ़ गया। घर में बेटी को बाहर घूमने देना ही गलत था। अब ये सब महिला शक्ति का नाटक है।
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    Devendra Singh

    जुलाई 14, 2025 AT 02:31
    अरे भाई, ये सिर्फ एक घरेलू मामला नहीं है। ये भारतीय पुरुष अहंकार का एक और उदाहरण है। जब बेटी अपने पिता की तुलना में सफल होने लगती है, तो पिता का अस्तित्व ही संकट में पड़ जाता है। ये टेनिस अकादमी चलाना, अकाउंटेंट बनना, डॉक्टर बनना - सब उनके लिए अपमान है।
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    UMESH DEVADIGA

    जुलाई 14, 2025 AT 20:32
    मैंने इस घटना को देखकर रो दिया। राधिका जैसी लड़की जो खुद की राह बनाती है, उसे अपने ही घर में मार दिया जाता है। पिता के दिमाग में बेटी की सफलता उसके लिए शर्म की बात थी। ये नहीं समझते कि बेटी की उड़ान उनकी शान होनी चाहिए।
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    Roshini Kumar

    जुलाई 16, 2025 AT 05:16
    क्या आप लोग इसे 'पिता का अहंकार' कह रहे हो? बस इतना ही? क्या राधिका ने कभी अपने पिता को सम्मान दिया? क्या उसने कभी उनकी आय को देखा? ये सब नारीवादी नाटक है। बेटी का भी जिम्मेदारी होती है।
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    Siddhesh Salgaonkar

    जुलाई 17, 2025 AT 00:47
    ये सब लोग बस राधिका के नाम से लहू बहा रहे हैं 😭💔 पर क्या किसी ने पूछा कि उसके पिता को क्या बोलने का मौका मिला? बेटी ने घर के नाम पर अकादमी चलाई, लेकिन घर का नाम तो पिता का था। ये नारी शक्ति का बहाना है। #patriarchy #justice
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    Arjun Singh

    जुलाई 17, 2025 AT 04:46
    सामाजिक प्रेशर + आर्थिक तनाव + अहंकार का मिश्रण = ये त्रासदी। पिता के लिए बेटी की सफलता उसकी असफलता का प्रतीक बन गई। अब ये लोग फिर से लिखेंगे 'महिलाएं अकेली लड़ रही हैं' लेकिन कोई नहीं बताएगा कि घर में भी बातचीत की जरूरत होती है।
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    yash killer

    जुलाई 19, 2025 AT 01:51
    इंडिया में बेटी की सफलता बर्बरता है अगर वो पिता की आय से ज्यादा कमाए। ये देश अभी भी उसी पुराने दिमाग से चल रहा है। गोली मार दी तो क्या हुआ? अब पुलिस लग गई। अगर ये घटना अमेरिका में होती तो पूरा देश जाग उठता। लेकिन हम तो बस लिखते रह जाते हैं
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    Ankit khare

    जुलाई 19, 2025 AT 09:45
    बेटी की सफलता को देखकर पिता का दिल टूट गया। वो जिस घर में जन्मा था वो अब उसके बेटी के नाम से चल रहा था। उसकी कमाई कम थी, बेटी की ज्यादा। लेकिन ये क्या हुआ? एक आदमी अपने बेटे के लिए अपनी जान दे देता है। लेकिन बेटी के लिए? नहीं। ये देश अभी भी बेटी को अपना नहीं मानता।
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    Chirag Yadav

    जुलाई 20, 2025 AT 03:59
    मैं बस ये कहना चाहता हूं कि ये घटना सिर्फ एक बेटी और पिता की नहीं, बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी है। अगर हम लोग बेटियों को उनकी सफलता के लिए नहीं, बल्कि उनकी आज़ादी के लिए खुश होने लगे, तो ऐसी घटनाएं नहीं होतीं। राधिका को याद रखो, लेकिन अब बदलाव शुरू करो।