राधिका यादव हत्या कांड: सपनों की उड़ान पर लगी गोली
गुरुग्राम के पॉश सेक्टर 57 में, हर कोई उस रहस्यमय खामोशी को याद कर रहा है जो 11 जुलाई की दोपहर टूट गई थी। राधिका यादव, महज 25 साल की पूर्व स्टेट लेवल टेनिस प्लेयर और कोच, अपने ही घर में अपने पिता की गोलियों का शिकार बन गई। जिस घर में कभी उसकी जीत की ट्रॉफियां सजी थी, वहीं उसकी आखिरी सांसें दर्ज हो गईं।
हादसे के वक्त राधिका रसोई में खड़ी थी। उसके पिता, दीपक यादव (49), ने .32 बोर के लाइसेंसी रिवॉल्वर से एक नहीं, पांच बार फायर किया। तीन गोलियां उसकी पीठ में लगीं। राधिका वहीं गिर गई और लहूलुहान हो गई। माता मंजी यादव घर पर तो थीं, लेकिन तेज आवाज सुनकर वह पहले सोच बैठीं कि शायद प्रेशर कूकर फटा है। असलियत तब सामने आई जब राधिका का बड़ा भाई कुलदीप यादव दौड़ता हुआ ऊपर आया। उसने बहन को खून से सना देखा और तुरंत हॉस्पिटल ले गया, मगर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उसी ने पुलिस में घटना की रिपोर्ट लिखवाई।
क्या थी वजह? बेटी की उड़ान से पिता की नाराज़गी
पुलिस जांच की शुरुआत में ही साफ हो गया कि मामला पारिवारिक तनाव का है। स्थानीय लोगों का कहना है कि दीपक, बेटी राधिका की अधिक स्वतंत्रता और उसकी कामयाबी से खुद को दबाव में महसूस करता था। राधिका ने खुद अपनी टेनिस अकादमी शुरू की थी, जिसमें कई बार परिवार के पुरुष सदस्यों की कमाई के मुकाबले उसकी कमाई के चर्चे होते थे। नीमजोर समाज में ऐसी बातें दीपक को चुभने लगी और विवाद बढ़ने लगा। बोलचाल में कटाक्ष, छोटी-बड़ी बातें और यहां तक कि बाहर के ताने – सबने इस तनाव को हवा दी।
इस हत्या ने सिर्फ एक होनहार खिलाड़ी को छीना नहीं, बल्कि समाज के उस चेहरे को उजागर कर दिया है, जिसमें बेटियों की तरक्की कई बार अपने ही घर में खतरा बन जाती है। राधिका कभी अपने पिता की शान थी पर उसकी स्वतंत्रता, उसका आत्मविश्वास और सफलता, उसी पिता के लिए 'अहं' की लड़ाई बन गई।
पुलिस ने दीपक को गिरफ्त में ले लिया है और रिवॉल्वर जब्त कर लिया गया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ चुकी है, जिससे पता चला कि लगातार तीन गोलियां पीठ में दागी गईं। पूछताछ में कई पुराने झगड़े और जलन सामने आई है। अधिकारियों का कहना है कि परिवार में पहले भी घरेलू विवाद होते रहे हैं। जांच के दायरे में परिवार की गतिवधियां, दीपक की सोच व जीवनशैली, और राधिका की दिनचर्या भी है।
बड़ी बात यह है कि राधिका जैसी सफल, आत्मनिर्भर युवती, समाज और परिवार के दोनों स्तरों पर सांस्कृतिक और मानसिक लड़ाई लड़ रही थी। उसकी हत्या ने एक बार फिर सवाल खड़े किए हैं कि आखिर कब बेटी की कामयाबी, पिता के 'इज्जत' के बोझ से आज़ाद होगी? महिला सशक्तिकरण के नारे तभी तक हैं जब वह पुरुष अहंकार को घायल न करें।
- पुलिस रिवॉल्वर की फोरेंसिक जांच करा रही है
- आसपास के लोगों से लगातार पूछताछ जारी
- राधिका की टेनिस अकादमी के स्टाफ की भी होगी पूछताछ
- परिवार में महिला की स्वतंत्रता पर माहौल कैसा रहा, पुलिस उस पर भी नजर रख रही है
यह घटना सिर्फ एक परिवार तक सिमटी नहीं है – यह हर उस लड़की की कहानी है, जो अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष करती है और कई बार अपने ही लोगों के हाथों कुचल दी जाती है। जांच जारी है, लेकिन समाज में जागरूकता – यही इस दर्दनाक कहानी का सबसे बड़ा सवाल है।
Aryan Sharma
जुलाई 13, 2025 AT 14:11Devendra Singh
जुलाई 14, 2025 AT 02:31UMESH DEVADIGA
जुलाई 14, 2025 AT 20:32Roshini Kumar
जुलाई 16, 2025 AT 05:16Siddhesh Salgaonkar
जुलाई 17, 2025 AT 00:47Arjun Singh
जुलाई 17, 2025 AT 04:46yash killer
जुलाई 19, 2025 AT 01:51Ankit khare
जुलाई 19, 2025 AT 09:45Chirag Yadav
जुलाई 20, 2025 AT 03:59