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धनुष की 50वीं फिल्म 'रायन': क्या बन पाई प्रभावशाली, जानें समीक्षा

के द्वारा प्रकाशित किया गया आरव शर्मा    पर 26 जुल॰ 2024    टिप्पणि(0)
धनुष की 50वीं फिल्म 'रायन': क्या बन पाई प्रभावशाली, जानें समीक्षा

धनुष की 50वीं फिल्म 'रायन': निर्देशन में दिखी नई प्रतिभा

तमिल सिनेमा के सुपरस्टार धनुष ने अपनी 50वीं फिल्म के साथ एक नई चुनौती स्वीकार की है। 'रायन' फिल्म में, न केवल उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई है, बल्कि इस फिल्म का निर्देशन भी उन्होंने स्वयं किया है। इस फिल्म के जरिये धनुष ने एक नई दिशा में कदम रखा है, जो उनकी क्षमता और बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाती है।

कहानी की पृष्ठभूमि

'रायन' कहानी है कथा वरायण (धनुष) की, जो अपने छोटे भाई-बहनों मुथुवेलरायण (सुंदीप किशन), मणिकावेलरायण (कालिदास जयराम) और दुर्गा (दुशारा विजयन) की देखभाल करता है। उनके माता-पिता के जाने के बाद, कथा वरायण अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाते हैं। फिल्म की कहानी तब मोड़ लेती है जब यह परिवार दो गैंग लीडरों शेखर (सेल्वाराघवन) और सेतू (एसजे सूर्याह) के बीच की लड़ाई में फंस जाता है। इसमें एक चालाक पुलिस अधिकारी (प्रकाश राज) भी शामिल है, जो और अधिक पेचीदगी लाता है।

धनुष का निर्देशन और अभिनय

धनुष की निर्देशन शैली फिल्म में एक नया पैनापन लाती है। उन्होंने कहानी को एक संवेदनशील दृष्टिकोण से पेश किया है, जो दर्शकों को बांधे रखता है। उनके अभिनय के साथ-साथ निर्देशन में भी उनकी प्रतिभा झलकती है। कथा वरायण के किरदार में उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, जो उनके करियर की गहराई को और बढ़ाता है। उनके साथ सहायक कलाकारों ने भी जबरदस्त काम किया है। विशेष रूप से दुशारा विजयन ने दुर्गा के किरदार में भावनाओं की गहराई को दर्शाने में कामयाबी पाई है।

कहानी की कमजोरी

फिल्म का पहला आधा भाग चरित्रों और उनके संबंधों को स्थापित करने में व्यतीत होता है, जो काफी दिलचस्प है। परन्तु फिल्म का दूसरा आधा भाग एक सामान्य बदले की कहानी में बदल जाता है, जो दर्शकों की उम्मीदों पर पूरी तरह खरा नहीं उतरता। कई किरदार पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाए, जिससे एक बेहतरीन कहानी का अंश अधूरा सा लगता है। इस कारण कहानी में गहराई और जटिलता की कमी साफ नजर आती है।

संगीत और छायाचित्रण

फिल्म में एआर रहमान के संगीत ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी धुनों ने फिल्म की भावनात्मक गहराई को और भी उभारा है। इसके साथ ही, ओम प्रकाश की छायाचित्रण ने फिल्म को एक नया आयाम दिया है। हर सीन को उन्होंने बेहतरीन ढंग से कैप्चर किया है, जो दर्शकों को दृश्यात्मक आनंद प्रदान करता है।

समापन शब्द

कुल मिलाकर, 'रायन' फिल्म धनुष के निर्देशन में एक सकारात्मक शुरुआत के रूप में देखी जा सकती है। इसमें फिर भी सुधार की गुंजाइश है, खासकर कहानी के विकास और किरदारों की जटिलता में। लेकिन इसे एक अच्छे प्रयास के रूप में देखा जा सकता है। धनुष ने अपने निर्देशन की क्षमता से यह साबित किया है कि वे इस क्षेत्र में भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। 'रायन' ने उनके करियर में एक नया अध्याय जोड़ा है, जो दर्शकों के लिए रोचक बन सकता है।