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ढाका में 5.7 आयाम के भूकंप से छह मरे, पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल में भी झटके

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 22 नव॰ 2025    टिप्पणि(0)
ढाका में 5.7 आयाम के भूकंप से छह मरे, पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल में भी झटके

फ्राइडे, 21 नवंबर, 2025 को सुबह 10:38:26 बीएसटी (04:38:26 यूटीसी) पर, बांग्लादेश के ढाका के पास एक शक्तिशाली भूकंप आया, जिसने कम से कम छह लोगों की जान ले ली और सैकड़ों को घायल कर दिया। इसका केंद्र नरसिंहदी के 14 किमी दक्षिण-पश्चिम में मधबधी में था, जो ढाका विभाग के अंतर्गत आता है। भूकंप की गहराई केवल 10 किमी थी — इतनी कम कि ऊपर की इमारतें बर्बाद हो गईं। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के अनुसार इसकी तीव्रता 5.5 थी, लेकिन बांग्लादेश मौसम विभाग ने इसे 5.7 घोषित किया। यह भूकंप बांग्लादेश के इतिहास में तीस साल का सबसे बड़ा था।

भूकंप का असली नुकसान: ढाका की खराब इमारतें

ढाका के बंगशल क्षेत्र में एक इमारत का बालकनी का रेलिंग अचानक टूटकर तीन लोगों पर गिर गया। डीबीसी टेलीविजन की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से दो बच्चे भी थे। अन्य लोग छतों और दीवारों के गिरने से मारे गए। जहाँ इमारतें अच्छी तरह बनी थीं, वहाँ कोई नुकसान नहीं हुआ। लेकिन ढाका के बहुत सारे क्षेत्र — खासकर गरीब इलाके — में घर लकड़ी और ईंटों के ढीले ढालू ढांचे से बने थे। जब भूकंप आया, तो ये जैसे कागज के घर टूट गए।

एक भूकंप विशेषज्ञ हुमायून अख्तर ने कहा, "इस भूकंप ने हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बमों के बराबर ऊर्जा छोड़ी।" बांग्लादेश भूकंप अनुसंधान केंद्र के अधिकारी ने भी पुष्टि की कि यह तीस साल में सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इतनी छोटी तीव्रता के बावजूद इतना विनाश क्यों? जवाब है — गहराई। 10 किमी की गहराई ने ऊपर की सतह पर झटके को दोगुना कर दिया। अगर यह 50 किमी गहरा होता, तो बस एक तेज़ झटका महसूस होता।

भारत में भी झटके, लेकिन कोई बड़ा नुकसान नहीं

भूकंप के झटके भारत के पश्चिमी बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों तक महसूस हुए। कोलकाता में लोगों ने 10:10 बजे अपने घरों और ऑफिसों में झूलते हुए फर्श महसूस किया। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर किए — जहाँ लाइट्स झूल रही थीं, शीशे चरमरा रहे थे, और लोग बाहर भाग रहे थे। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने पुष्टि की कि भूकंप का केंद्र ढाका से लगभग 50 किमी दूर था।

कोलकाता और असम, मेघालय, त्रिपुरा जैसे राज्यों में कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। लेकिन लोगों में आतंक फैल गया। बहुत से लोगों ने कहा कि उन्हें पहली बार इतना तेज़ झटका महसूस हुआ। कुछ लोगों ने बताया कि वे अपने बच्चों को गोद में उठाकर बाहर भागे। बिना किसी नुकसान के इतना डर क्यों? जवाब है — इतिहास। इस क्षेत्र में पिछले 50 सालों में ऐसा भूकंप नहीं आया। लोग तैयार नहीं थे।

क्रिकेट मैच बीच में रुका, फिर जारी

भूकंप का झटका ढाका के एक प्रसिद्ध स्थान — ढाका क्रिकेट स्टेडियम — पर भी पड़ा। बांग्लादेश और आयरलैंड के बीच चल रहा टेस्ट मैच अचानक रुक गया। खिलाड़ी और दर्शक दोनों ने तुरंत खेल के मैदान से बाहर भागना शुरू कर दिया। कुछ ही मिनटों में अधिकारियों ने जांच की और देखा कि स्टेडियम को कोई नुकसान नहीं हुआ। मैच फिर से शुरू हो गया। लेकिन खिलाड़ियों के चेहरे पर डर अभी भी था। एक बांग्लादेशी बल्लेबाज ने कहा, "मैंने ऐसा कभी नहीं महसूस किया। मुझे लगा जैसे जमीन खुद को निगल रही है।"

मृत्यु संख्या में अंतर: जानकारी का अभाव

मृत्यु संख्या के बारे में अलग-अलग स्रोतों से अलग आंकड़े आ रहे हैं। द ढाका ट्रिब्यून ने तीन मृतकों की बात की, वहीं द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने कम से कम आठ की बात की। डीबीसी टेलीविजन ने दो बच्चों की मृत्यु की पुष्टि की। अधिकारी अभी भी बर्बाद हुई इमारतों के अवशेषों के बीच लोगों की तलाश कर रहे हैं। बांग्लादेश में अक्सर ऐसा होता है — जब तक गांवों और बस्तियों की जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक आंकड़े अपडेट नहीं होते।

भविष्य का डर: अगला भूकंप कब?

यह भूकंप केवल एक आपदा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। भारत और बांग्लादेश दोनों ही भूकंपीय क्षेत्रों में स्थित हैं। इंडियन प्लेट और बर्मा प्लेट के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में 7.0 से अधिक का भूकंप आने की संभावना है — जो लाखों लोगों की जान ले सकता है।

लेकिन अभी तक न तो बांग्लादेश में नियमित भूकंप-प्रतिरोधी नियम हैं, न ही भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में निर्माण नियम सख्त हैं। अधिकांश इमारतें बिना इंजीनियरिंग स्वीकृति के बन रही हैं। अगर अगला भूकंप आ जाए, तो शायद इस बार लाखों लोग प्रभावित होंगे।

क्या अगला कदम?

अभी तक बांग्लादेश सरकार ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई है। राष्ट्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम भेजी गई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी सहायता का प्रस्ताव रखा है। लेकिन लंबे समय के लिए, इस क्षेत्र के लिए एक सामान्य भूकंप तैयारी योजना बनाने की जरूरत है।

एक वैज्ञानिक ने कहा, "हम भूकंप को रोक नहीं सकते। लेकिन हम उसके नुकसान को रोक सकते हैं।" यह बात सिर्फ बांग्लादेश नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर भारत के लिए भी लागू होती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

यह भूकंप क्यों इतना विनाशकारी था जबकि इसकी तीव्रता केवल 5.7 थी?

इसकी गहराई केवल 10 किमी थी — जो बहुत ही उथली है। गहरे भूकंप जमीन के नीचे ऊर्जा को फैलाते हैं, लेकिन उथले भूकंप ऊर्जा को सीधे सतह पर छोड़ देते हैं। इसके अलावा, ढाका की ज्यादातर इमारतें अनियमित और गुणवत्ता रहित थीं, जिन्हें भूकंप के झटके से बचाने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया था।

भारत में भी झटके महसूस हुए, लेकिन कोई नुकसान क्यों नहीं हुआ?

कोलकाता और पूर्वोत्तर राज्यों में भूकंप के झटके महसूस हुए, लेकिन वहाँ की इमारतें अधिकांशतः अधिक मजबूत और नियमित निर्माण नियमों के अनुसार बनी हैं। इसके अलावा, भूकंप का केंद्र ढाका के पास था, इसलिए भारत में झटके कमजोर थे। लेकिन अगला भूकंप अधिक निकट हो सकता है।

क्या बांग्लादेश में भूकंप के लिए तैयारी है?

बांग्लादेश में भूकंप प्रतिरोधी नियम मौजूद हैं, लेकिन उनका पालन नहीं होता। ज्यादातर निर्माण अनियमित हैं। अधिकारी अक्सर भूकंप को एक "दुर्लभ घटना" समझते हैं। लेकिन आज का भूकंप साबित करता है कि यह दुर्लभ नहीं, बल्कि आने वाला है।

भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को इस घटना से क्या सबक मिला?

पूर्वोत्तर भारत भूकंपीय क्षेत्र है — असम, मेघालय, मिजोरम जैसे राज्यों में पिछले 100 साल में कई बड़े भूकंप आ चुके हैं। इस घटना से स्पष्ट हुआ कि भारत भी अपने निर्माण नियमों को सख्त करने की जरूरत है। अगर एक बड़ा भूकंप असम में आ जाए, तो नुकसान ढाका से भी ज्यादा हो सकता है।

क्या भविष्य में ऐसा भूकंप दोबारा आ सकता है?

हाँ, बहुत संभावना है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार, इंडियन प्लेट और बर्मा प्लेट के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। यह भूकंप बस एक छोटी छूट थी। अगला भूकंप 7.0 से अधिक का हो सकता है — जो लाखों लोगों को प्रभावित कर सकता है। तैयारी करना अभी शुरू होना चाहिए।

इस भूकंप ने किस तरह से बांग्लादेश की राजनीति को प्रभावित किया?

भूकंप के बाद बांग्लादेश के नेता अब निर्माण नियमों और भूकंप तैयारी पर जोर दे रहे हैं। पहले इसे एक "प्राकृतिक आपदा" के रूप में नजरअंदाज किया जाता था, लेकिन अब इसे एक "मानवीय विफलता" के रूप में देखा जा रहा है। विपक्षी दलों ने आलोचना की है कि सरकार ने भवन नियमों को नजरअंदाज किया।