चिराग पासवान, बिहार के मशहूर दलित नेता and लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख, ने खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया है। यह चिराग पासवान के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक वापसी है और उन्हें इस नई जिम्मेदारी से किसानों को बड़ा लाभ पहुंचाने की उम्मीद है। पासवान ने इस क्षेत्र के विशाल संभावनाओं का उपयोग करने की प्रतिबद्धता जताई है और कहा कि वह देश में प्रसंस्करण इकाइयों को बढ़ावा देंगे, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो कृषि क्षेत्र पर निर्भर हैं।
पासवान ने हामी भरी कि भारत की खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में प्रदर्शन अन्य विकसित देशों की तुलना में कमजोर है और उन्होंने इस अंतर को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने की योजना बनाई है। इसके लिए, वे मंत्रालय के अधिकारियों के साथ संवाद कर शुरुआती 100 दिनों के लिए एक कार्य योजना बनाएंगे। इस योजना का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को नई ऊँचाइयों तक ले जाना और किसानों की आय को बढ़ाना है।
चिराग पासवान की इस नियुक्ति को नरेंद्र मोदी सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, खासकर जब लोक जनशक्ति पार्टी ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में सभी पांच सीटें जीतने के बाद अपनी ताकत दिखा दी है। इस जीत ने पासवान को बिहार की राजनीति में नया दलित आइकन बना दिया है।
चिराग पासवान ने कहा, 'हमारा उद्देश्य सिर्फ मंत्रालय का प्रबंधन करना नहीं है, बल्कि हम इस क्षेत्र को नई दिशा देने का संकल्प लेते हैं।' उन्होंने यह भी बताया कि खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में निवेश सुनिश्चित करने और गांवों तक उनकी पहुंच बनाने के लिए नीतियां बनाई जाएंगी।
भारत में, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में रोजगार के अवसर बढ़ने की संभावना है, खासकर ग्रामीण इलाकों में। इस पहल के तहत अनेक युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्राप्त हो सकते हैं। एक समर्पित नीति और विस्तारित नेटवर्क के माध्यम से यह क्षेत्र किसानों की आय को कईगुना बढ़ा सकता है।
चिराग पासवान का मानना है कि यदि ठोस कदम उठाए जाएं तो अगले कुछ वर्षों में भारत इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकता है। इस दिशा में उन्होंने मंत्री बनने के तुरंत बाद अधिकारियों के साथ बैठकें भी शुरू कर दी हैं। उनका कहना है कि वे जमीनी स्तर से लेकर उच्च स्तर तक सभी मुद्दों पर ध्यान देंगे ताकि सभी को लाभ पहुंच सके।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के समक्ष चुनौतियां
भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें प्रौद्योगिकी की कमी, अवसंरचना की कमी और लागत की उच्च दरें प्रमुख हैं। पासवान ने बताया कि इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए एक व्यापक योजना बनाई जाएगी जोकि सभी पहलुओं को कवर करेगी।
उन्हें यकीन है कि नई योजनाएं और नीतियां इन समस्याओं का समाधान करेंगी और इस क्षेत्र को नई ऊँचाइयों तक ले जाएंगी। इस दिशा में उन्होंने मंत्रालय के अधिकारियों से सुझाव मांगे हैं और एक समर्पित टीम भी गठित की है जोकि इन सभी पहलुओं पर काम करेगी।
किसानों के लिए नया अवसर
खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के नए योजनाओं का उद्देश्य किसानों को सीधे लाभ पहुंचाना है। प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना से किसानों की उपज का सीधा बाजार मिलेगा और उन्हें अच्छी कीमत मिल सकेगी। इससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी और उन्हें आर्थिक मजबूती मिलेगी।
इसके अलावा, पासवान का फोकस किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण देने पर भी होगा ताकि वे अपनी उपज की गुणवत्ता को और बढ़ा सके और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। इस दिशा में सरकार के विभिन्न योजनाओं को भी समेकित किया जाएगा।
सरकार की प्राथमिकताएं
नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को प्राथमिकता देने के साथ-साथ इस बात पर भी जोर है कि किसानों की आय को दोगुना किया जाए। इस लक्ष्य को पूरा करने में चिराग पासवान की भूमिका अहम साबित हो सकती है।
पासवान का कहना है कि यह समय की मांग है कि हम अपनी योजनाओं को सुदृढ़ करें और उन्हें तेजी से लागू करें। उन्होंने यह भी वादा किया कि मंत्रालय के सभी संबंधित अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक सशक्त और व्यापक योजना बनाई जाएगी जोकि न सिर्फ किसानों बल्कि पूरे देश को लाभ पहुंचाएगी।
खाद्य प्रसंस्करण में सरकार की भूमिका
सरकार का मुख्य उद्देश्य किसानों को बढ़ती महंगाई और बाजार में अस्थिरता से बचाना है। इसके लिए, प्रसंस्करण इकाइयों के माध्यम से एक स्थिर बाजार का निर्माण किया जाएगा जहां किसानों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य मिल सके।
इस दिशा में, सरकार विशेष पैकेज और सब्सिडी की भी योजना बना रही है ताकि प्रारंभिक निवेश के बोझ से किसान और छोटे उद्यमी बच सकें। चिराग पासवान का मानना है कि यदि प्राथमिक चरण में ही किसानों को मदद मिल जाए तो वे आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा सकते हैं।
पासवान ने शपथ ग्रहण के कुछ ही दिन बाद यह संकेत भी दिया कि वे इस क्षेत्र में वाणिज्यिकरण और प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देंगे ताकि भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सके।
इस सबके बीच, लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों में भी खुशी की लहर देखी जा रही है। पार्टी के नेताओं का मानना है कि चिराग पासवान की यह नई जिम्मेदारी एक नए युग की शुरुआत करेगी और बिहार की राजनीति में एक नई दिशा तय करेगी।
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