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छत्तीसगढ़ के डिप्टी CM विजय शर्मा का दावा: बस्तर में एक साल में खत्म होगा नक्सलवाद

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 21 अप्रैल 2025    टिप्पणि(7)
छत्तीसगढ़ के डिप्टी CM विजय शर्मा का दावा: बस्तर में एक साल में खत्म होगा नक्सलवाद

बस्तर में नक्सल आतंक के खिलाफ निर्णायक लड़ाई

छत्तीसगढ़ के डिप्टी CM विजय शर्मा ने बस्तर से नक्सलवाद खत्म करने के लिए एक साल की कड़ी डेडलाइन तय कर दी है। उनके इस बयान ने इलाके में चर्चा छेड़ दी है। नक्सल प्रभावित बस्तर में दशकों से लोग हिंसा और डर की जिंदगी जी रहे हैं, लेकिन अब सरकार पूरी ताकत के साथ मोर्चा संभाल चुकी है।

विजय शर्मा ने मीडिया से साफ कहा कि सरकार नक्सलियों से बिना किसी शर्त के सीधे संवाद के लिए तैयार है। वह चाहते हैं कि कोई भी प्रतिनिधि ज्यादा औपचारिकता या लिखापढ़ी में समय न गंवाए—ज़रूरत हो तो डिप्टी CM से सीधे संपर्क करे। उनके मुताबिक, अगर कोई एक भी नक्सली सरेंडर करता है या वार्ता करना चाहता है, तो सरकार उसे मौका देगी। इस फैसले के पीछे बस्तर में तेजी से बदलते माहौल का भी हाथ है। आम जनता अब नक्सलियों के खिलाफ खुलकर बोलने लगी है और सभी शांति चाहते हैं।

सरेंडर नीति और सख्ती—साथ-साथ

सरेंडर नीति और सख्ती—साथ-साथ

आखिरी कुछ महीनों में नक्सली संगठनों ने सरकार को चिट्ठियां भेजकर बातचीत की कोशिश की है, लेकिन वे चाहते हैं कि सुरक्षा बल कार्रवाई बंद करें और शिविर न बनाएं। इस पर विजय शर्मा ने दो टूक जवाब दिया—सरकार किसी भी हाल में नक्सली हिंसा सहन नहीं करेगी और सुरक्षाबल की तैनाती जारी रहेगी। यानी नक्सलवादी हथियार छोड़ दें, तभी बिना शर्त बातचीत संभव है।

शासन की रणनीति साफ है—जो हथियार छोड़कर मुख्यधारा में आना चाहता है, उसके लिए राज्य सरकार की पुनर्वास नीति तैयार है। इसमें राहत, रोजगार, और पुनर्वास का वादा किया जाता है। यहां तक कि सरेंडर करने वालों को आर्थिक मदद और सुरक्षा का भरोसा भी दिया जा रहा है।

राज्य सरकार बस्तर में चौतरफा अभियान चला रही है। एक ओर सुरक्षा बल लगातार नक्सली ऑपरेशनों पर नजर बनाए हुए हैं, तो दूसरी ओर गांव-गांव जाकर जनता को भरोसा दिया जा रहा है कि बदलाव मुमकिन है। इस इलाके में हाल के महीनों में कई नए सुरक्षा कैंप खोले गए हैं और सड़कें व अन्य बुनियादी सुविधाएं भी तेजी से बढ़ाई जा रही हैं।

डिप्टी CM के बयान के बाद सियासी माहौल भी गर्माया है। नक्सल प्रभावित गांवों में शराबबंदी, शिक्षा सुधार, स्वास्थ्य सेवाओं जैसी मूलभूत जरूरतों पर भी अब ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।

  • बस्तर में अब आम लोग खुलकर नक्सल हिंसा के खिलाफ हैं।
  • सुरक्षा बलों के ऑपरेशन पहले से ज्यादा तेज और सटीक हुए हैं।
  • सरकार की नई रणनीति में संवाद, विकास और सख्ती तीनों पर जोर है।
  • सरेंडर करने वालों को आर्थिक मदद, पुनर्वास और सुरक्षा की गारंटी दी जा रही है।

नक्सल गतिविधियों में कमी और लोगों का बढ़ता भरोसा सरकार को ताकत दे रहा है। अब देखने वाली बात होगी कि अगले 12 महीनों में बस्तर का हाल कितना बदलता है और क्या डिप्टी CM का वादा जमीन पर उतरता है या नहीं।

7 टिप्पणि

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    Ankit khare

    अप्रैल 23, 2025 AT 10:50
    ये सब बकवास है भाई सरकार हर साल कुछ न कुछ वादा करती है पर बस्तर में तो अभी भी बच्चे नक्सलियों के खिलाफ गाने गाते हैं और सैनिकों के लिए फूल चढ़ाते हैं जबकि सरकार का कोई फैसला नहीं होता
    एक साल में खत्म करने का दावा? ये तो चुनावी नारा है
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    Chirag Yadav

    अप्रैल 23, 2025 AT 22:05
    मुझे लगता है अगर सरकार वाकई बातचीत के लिए तैयार है तो ये एक असली मौका है
    नक्सलवाद सिर्फ हथियारों का मुद्दा नहीं ये तो गरीबी और असमानता का नतीजा है
    अगर हम बस्तर के लोगों को शिक्षा और रोजगार देंगे तो वो खुद हथियार छोड़ देंगे
    सुरक्षा बलों की ताकत अच्छी है पर उससे ज्यादा जरूरत है भरोसा बनाने की
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    saurabh vishwakarma

    अप्रैल 25, 2025 AT 13:15
    अरे भाई ये डिप्टी साहब किसके लिए बोल रहे हैं? क्या आप जानते हैं कि बस्तर में एक गांव में 12 साल का बच्चा नक्सली बन गया क्योंकि उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया गया था और मां ने घर छोड़ दिया
    अब आप बातचीत की बात कर रहे हैं?
    बस एक तरफ से निकाल देना आसान है लेकिन दिलों को जीतना तो दूसरी कहानी है
    आप जो बोल रहे हैं वो सिर्फ शो के लिए है जिसमें कैमरे चल रहे हैं
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    MANJUNATH JOGI

    अप्रैल 26, 2025 AT 16:48
    देखिए ये एक ऐसा संक्रमण है जिसमें सामाजिक विकास और सुरक्षा दोनों का समन्वय होना चाहिए
    नक्सलवाद एक राजनीतिक घटना नहीं बल्कि एक असमानता का रूप है जिसे अलग-अलग बुनियादी ढांचे के माध्यम से ही नियंत्रित किया जा सकता है
    जब तक गांवों में पानी, बिजली, स्कूल और डॉक्टर नहीं होंगे तब तक ये समस्या बनी रहेगी
    सरकार के पास अब एक अनूठा अवसर है कि वो इसे सिर्फ एक सुरक्षा अभियान के रूप में नहीं बल्कि एक जन-कल्याण अभियान के रूप में ले
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    Sharad Karande

    अप्रैल 27, 2025 AT 22:57
    सरेंडर नीति के तहत आर्थिक पुनर्वास के लिए वित्तीय वितरण तंत्र की निगरानी के लिए एक अलग नियामक निकाय की आवश्यकता है
    अन्यथा ये पैसा बीच में ही फंस जाएगा
    साथ ही नक्सली सरेंडर करने वालों के लिए आधिकारिक रूप से प्रमाणित आवास और रोजगार कार्यक्रमों की भी व्यवस्था की जानी चाहिए
    यहां तक कि उनके परिवारों के लिए मानसिक स्वास्थ्य समर्थन की भी व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि ये लोग लंबे समय तक एक अलग नियमों के अधीन रहे हैं
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    Sagar Jadav

    अप्रैल 29, 2025 AT 21:37
    वादा करना आसान है पूरा करना मुश्किल
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    Dr. Dhanada Kulkarni

    मई 1, 2025 AT 01:32
    मैं इस बात से सहमत हूं कि बदलाव के लिए सुरक्षा के साथ-साथ विकास की भी जरूरत है
    हर गांव में एक अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा की नींव डालना ही लंबे समय तक शांति की गारंटी है
    जब लोगों को भरोसा होगा कि उनके बच्चों का भविष्य बेहतर होगा तो वो हथियार छोड़ देंगे
    इसलिए ये अभियान न सिर्फ सुरक्षा का होना चाहिए बल्कि आशा का भी