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AI साड़ी ट्रेंड: Google Gemini के नाम पर खेला जा रहा झांसा? पुलिस और विशेषज्ञों ने दी चेतावनी

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 16 सित॰ 2025    टिप्पणि(19)
AI साड़ी ट्रेंड: Google Gemini के नाम पर खेला जा रहा झांसा? पुलिस और विशेषज्ञों ने दी चेतावनी

रिपोर्ट: आशीष

ट्रेंड क्या है और Google Gemini Nano सच में करता क्या है?

पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया पर AI साड़ी ट्रेंड वायरल है। फीड में ऐसे वीडियो और रील्स भरे पड़े हैं जहां लोग एक वेबसाइट या ऐप पर फोटो अपलोड करते हैं और कुछ मिनट में ‘साड़ी’ पहने अपनी एआई जनरेटेड तस्वीर दिखाते हैं। कई पोस्ट इसे “Google Gemini Nano” या “Banana AI saree” जैसे चर्चित नामों से जोड़कर पेश कर रही हैं, ताकि भरोसा बढ़े और क्लिक मिलें।

यहां वास्तविकता साफ कर लें—Google का Gemini एक एआई मॉडल फैमिली है, लेकिन ‘Gemini Nano’ फोन के भीतर चलने वाला छोटा ऑन-डिवाइस मॉडल है। इसका इस्तेमाल चुनिंदा Pixel फोन में रेकॉर्डर समरी जैसे फीचर्स के लिए होता है। यह कोई पब्लिक इमेज-जनरेशन टूल नहीं है, न ही Google ने “साड़ी फिल्टर” जैसा कोई आधिकारिक फीचर जारी किया है। यानी “Gemini Nano से साड़ी फोटो बनाइए” जैसे दावे भ्रामक हैं।

वायरल साइट्स और ऐप्स ज्यादातर थर्ड-पार्टी एआई मॉडल्स का इस्तेमाल करती हैं। इनके सर्वर कहां हैं, डेटा कितने समय तक रखा जाता है, और फोटो किस मकसद से दोबारा इस्तेमाल होंगे—यह सब अस्पष्ट रहता है। कई प्लेटफॉर्म “फ्री ट्रायल” दिखाते हैं पर हाई-रेज़ोल्यूशन डाउनलोड के लिए भुगतान, लॉगिन या व्यापक परमिशन मांगते हैं। यही जगह जोखिम बढ़ाती है।

खतरे कहां हैं, और सुरक्षित कैसे रहें

खतरे कहां हैं, और सुरक्षित कैसे रहें

साइबर यूनिट्स ने हाल के महीनों में वायरल एआई फिल्टर्स को लेकर बार-बार सावधान किया है—खासतौर पर चेहरे की तस्वीरें अपलोड करने पर। वजहें सीधी हैं: एक बार हाई-रेज़ोल्यूशन फोटो चली गई तो वह ट्रेनिंग डेटा बन सकती है, डीपफेक में इस्तेमाल हो सकती है या किसी ठगी रैकेट का टूल बन सकती है। कई मामलों में यूज़र्स से पेमेंट मांगी जाती है, फिर फाइल “प्रोसेसिंग” के नाम पर रोकी जाती है और चैट या कॉल पर अतिरिक्त रकम तक मांगी जाती है—यह क्लासिक पेड-एड-शेम स्कैम पैटर्न है।

डीपफेक का जोखिम वास्तविक है। आपकी फोटो से नकली वीडियो/चित्र तैयार कर ब्लैकमेल करना, सोशल प्रोफाइल बनाकर प्रताड़ित करना, या पहचान चुराकर दूसरे फ्रॉड करना—ये आम तरीके हैं। अगर आपने ऐप को कैमरा/गैलरी/माइक्रोफोन की परमीशन दे दी है तो उससे मेटाडेटा और अन्य निजी जानकारी भी निकल सकती है।

पहचानने के लिए ये रेड फ्लैग देखें:

  • साइट/ऐप Google, Apple या किसी बड़ी कंपनी का नाम लेकर, असल में अनजान डोमेन से चल रही हो।
  • लॉगिन अनिवार्य हो, खासकर Google/Apple/Facebook से, बिना स्पष्ट कारण बताए।
  • पूरी-रेज़ोल्यूशन सेल्फी मांगे, और स्टोरेज/लोकेशन/माइक्रोफोन जैसी व्यापक परमिशन मांग ले।
  • डाउनलोड अनलॉक करने के लिए UPI/QR या गिफ्ट-कोड से पेमेंट दबाव डाले।
  • प्राइवेसी पॉलिसी अस्पष्ट हो, या डेटा डिलीट की प्रक्रिया ही न बताई गई हो।

अगर फिर भी किसी क्रिएटिव प्रयोग के लिए कोशिश करनी ही है, तो नुकसान घटाने के तरीके अपनाएं:

  • चेहरा पहचान योग्य न रखें—या कोई गैर-जरूरी, कम-रेज़ोल्यूशन फोटो इस्तेमाल करें। बच्चों/परिवार की तस्वीरें कभी अपलोड न करें।
  • बिना जरूरत लॉगिन न करें; वेब पर इस्तेमाल करें, ऐप इंस्टॉल से बचें। परमिशन “Allow once” रखें और बाद में सेटिंग्स से रद्द करें।
  • ऐप/साइट की प्राइवेसी पॉलिसी पढ़ें; डेटा रिटेंशन/डिलीट/ऑप्ट-आउट का जिक्र स्पष्ट हो।
  • पेड फीचर्स/सब्सक्रिप्शन से सावधान रहें; तुरंत ऑटो-रिन्यूअल बंद करें।
  • ट्रस्टेड कंपनियों के जनरेटिव टूल भी फोटो के साथ सावधानी से ही इस्तेमाल करें; संवेदनशील सामग्री अपलोड न करें।

पहले ही अपलोड कर दिया? यह करें:

  • जिस ऐप/साइट को परमिशन दी थीं, उन्हें रद्द करें। फोन की सेटिंग्स में जाकर कैमरा/स्टोरेज/माइक्रोफोन एक्सेस बंद करें।
  • अगर अकाउंट से लॉगिन किया था, पासवर्ड बदलें और 2-फैक्टर ऑथेंटिकेशन ऑन करें।
  • प्लेटफॉर्म की डेटा-डिलीट रिक्वेस्ट प्रक्रिया ढूंढें और तस्वीरें हटाने का अनुरोध करें।
  • कहीं आपकी फोटो गलत तरीके से पोस्ट हो जाए तो प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट करें और टेकडाउन का आग्रह करें।
  • पैसे गए हैं या ब्लैकमेल हो रहा है तो हेल्पलाइन 1930 पर तुरंत कॉल करें और राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर शिकायत दर्ज करें। स्क्रीनशॉट/ट्रांजेक्शन आईडी सबूत के तौर पर संभालकर रखें।

कानूनी पहलू भी ध्यान रखें। भारत में अश्लील/छेड़छाड़ वाली सामग्री बनाना/बांटना और निजी छवियों का दुरुपयोग आईटी एक्ट और आईपीसी की अलग-अलग धाराओं के तहत दंडनीय है (जैसे 66E, 67/67A, और महिलाओं की गोपनीयता-उत्पीड़न से जुड़ी धाराएं)। यानी डीपफेक बनाना या शेयर करना “मजाक” नहीं, आपराधिक कृत्य हो सकता है।

तकनीकी तथ्य यह है कि Gemini Nano जैसा ऑन-डिवाइस मॉडल यूज़र की मदद के लिए सीमित, प्राइवेसी-फोकस्ड काम करता है; बड़े विज़ुअल जनरेशन मॉडल क्लाउड पर चलते हैं। जब कोई वायरल पोस्ट दोनों बातों को मिलाकर दिखाती है तो समझ लें कि अधिक संभावना मार्केटिंग या क्लिकबेट की है, न कि किसी भरोसेमंद, आधिकारिक टूल की। ट्रेंड दिखने में मजेदार हो सकता है, पर डेटा और साख—दोनों दांव पर लगते हैं। समझदारी यही है कि सोचे-समझे बिना फोटो अपलोड न करें, और किसी बड़े ब्रांड का नाम देखते ही भरोसा न कर लें।

19 टिप्पणि

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    Chirag Yadav

    सितंबर 17, 2025 AT 20:34

    ये AI साड़ी वाला ट्रेंड तो बस एक नया फिशिंग टूल निकल गया है। लोग फोटो अपलोड कर रहे हैं, और सोच रहे हैं कि ये बस मज़ाक है। असल में ये डेटा चुरा रहे होते हैं। मैंने एक दोस्त को ऐसा ही फ्रॉड हुआ था-उसकी तस्वीर से एक नकली प्रोफाइल बन गई थी। अब वो ब्लैकमेल का शिकार है। इस ट्रेंड को न तो देखो, न ही शेयर करो।

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    Shakti Fast

    सितंबर 19, 2025 AT 19:57

    मैंने भी एक रील देखी थी-बिल्कुल बहुत सुंदर लग रही थी, लेकिन जब मैंने देखा कि ये Google का नाम ले रही है, तो सीधे बंद कर दिया। क्योंकि मेरी बहन की फोटो भी कहीं ऐसे ही फंस गई थी, और उसके नाम से एक नकली वीडियो बन गया था। अब वो घर से बाहर नहीं निकल पाती। इस तरह के ‘मज़े’ अब बंद हो जाएं।

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    saurabh vishwakarma

    सितंबर 20, 2025 AT 08:50

    अरे भाई! ये सब एक बड़ा धोखा है। जिन लोगों ने ये फोटो अपलोड की है, वो सोचते हैं कि वो ट्रेंड का हिस्सा बन गए। असल में वो अपनी आत्मा का डेटा बेच रहे हैं। Google का नाम लेकर? बस इतना देखो कि डोमेन क्या है-.xyz, .info, .live? अरे यार, ये तो बाजार में बेची जा रही गंदी चीज़ें हैं, और लोग इन्हें ‘आधुनिक टेक’ बता रहे हैं। बेचारे!

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    MANJUNATH JOGI

    सितंबर 22, 2025 AT 02:49

    इस ट्रेंड को समझने के लिए हमें एआई के दो पहलू देखने चाहिए: एक, ऑन-डिवाइस एआई (जैसे Gemini Nano) जो डेटा लेटेंसी कम करता है और प्राइवेसी बनाए रखता है; दूसरा, क्लाउड-बेस्ड जनरेटिव मॉडल्स जो बड़े डेटासेट्स पर ट्रेन होते हैं। ये वायरल ऐप्स दूसरे तरह के हैं-और ये डेटा चुराने के लिए बनाए गए हैं। हमें भारतीय यूज़र्स को डिजिटल साक्षरता बढ़ानी होगी, न कि बस ब्लॉक करना।

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    Sharad Karande

    सितंबर 23, 2025 AT 04:39

    Gemini Nano का उद्देश्य लो-लेटेंसी इंफरेंस है-जैसे ऑन-डिवाइस टेक्स्ट समरी, ऑडियो ट्रांसक्रिप्शन। इमेज जनरेशन के लिए ये बिल्कुल अनुपयुक्त है। वायरल ऐप्स इस्तेमाल कर रहे हैं Stable Diffusion, DALL·E 3 जैसे ओपन-सोर्स मॉडल्स, जो क्लाउड पर चलते हैं। ये ऐप्स यूज़र की फोटो को रिटेन करते हैं और उसे अपने ट्रेनिंग डेटा में डाल देते हैं। ये एक फैक्ट नहीं, एक डिजिटल अपराध है।

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    Sagar Jadav

    सितंबर 24, 2025 AT 16:26

    फोटो अपलोड करने वाले बेवकूफ हैं।

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    Dr. Dhanada Kulkarni

    सितंबर 25, 2025 AT 03:03

    मैं एक डॉक्टर हूँ, और मैंने अपने मरीजों को इस ट्रेंड के बारे में बताया है। कई युवा लड़कियाँ इसे बस फैशन ट्रेंड समझ रही हैं, लेकिन उनकी फोटो अगर डीपफेक में इस्तेमाल हो गई तो उनकी जिंदगी बर्बाद हो सकती है। आपकी तस्वीर आपकी पहचान है-इसे किसी भी ऐप में न डालें। अगर आप अपने आप को बचाना चाहते हैं, तो इस ट्रेंड से दूर रहें।

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    Rishabh Sood

    सितंबर 26, 2025 AT 13:05

    क्या आपने कभी सोचा है कि ये साड़ियाँ जो AI बना रहा है, वो वास्तव में आपकी आत्मा का प्रतिबिंब है? या फिर ये एक डिजिटल भ्रम है-जहाँ आप खुद को एक आदर्श रूप में देखना चाहते हैं, लेकिन असल में आपकी छवि एक बाहरी सर्वर पर निलंबित हो गई है? यह ट्रेंड हमें याद दिलाता है कि हम अपनी अस्तित्व की जड़ों को भूल चुके हैं।

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    Saurabh Singh

    सितंबर 27, 2025 AT 18:09

    अगर तुम्हारी फोटो एक AI साड़ी बना रही है, तो तुम्हारी आत्मा भी उसी तरह बेच रही है। तुम जो भी कर रहे हो, वो तुम्हारे लिए नहीं, बल्कि एक गैर-भारतीय कंपनी के लिए है। तुम्हारी तस्वीर अब एक डेटा पॉइंट है। तुम एक गुलाम हो।

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    Mali Currington

    सितंबर 28, 2025 AT 01:48

    अरे भाई, ये ट्रेंड तो बस इसलिए वायरल हुआ क्योंकि लोगों को अपनी तस्वीर में साड़ी दिखनी है। अगर ये एक AI नकली शराब की बोतल बना रहा होता, तो क्या लोग इतने जोश में होते? नहीं। क्योंकि ये साड़ी है-भारत का सिंबल। और अब ये सिंबल भी ट्रेंड में आ गया। बहुत बढ़िया।

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    INDRA MUMBA

    सितंबर 28, 2025 AT 14:00

    मैंने इस ट्रेंड को एक एआई फेस्टिवल में देखा था-ये असल में एक आधुनिक कला प्रयोग है, जो भारतीय संस्कृति को डिजिटल रूप दे रहा है। लेकिन जब ये फ्रॉड ऐप्स में बदल जाता है, तो ये एक ट्रैजेडी बन जाता है। हमें इसे बचाना होगा-न कि इसे बर्बाद करना। अगर आप एआई के साथ क्रिएटिव रहना चाहते हैं, तो ट्रस्टेड प्लेटफॉर्म जैसे Canva AI या Adobe Firefly का इस्तेमाल करें। ये सब जानकारी उनकी प्राइवेसी पॉलिसी में स्पष्ट है।

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    Anand Bhardwaj

    सितंबर 29, 2025 AT 01:24

    मैंने एक बार इस ऐप को ट्राई किया था। फोटो अपलोड की, 30 सेकंड में साड़ी आ गई। फिर बोला-‘डाउनलोड के लिए ₹199’। मैंने रुककर सोचा-अरे, मैंने तो बस मज़ाक करना था। इतने पैसे देकर? नहीं भाई, ये ट्रेंड तो बस एक अनुभव है-जो आपकी जेब खाली कर देता है।

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    RAJIV PATHAK

    सितंबर 30, 2025 AT 06:54

    ये सब बेवकूफों के लिए है। जो लोग Google के नाम पर भरोसा करते हैं, वो तो अपनी आँखें बंद करके दौड़ रहे हैं। एआई का नाम लेकर कोई भी बेवकूफ एक ऐप बना सकता है। आपको लगता है कि आप टेक्नोलॉजी के आगे हैं? नहीं, आप उसके पीछे हैं।

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    Nalini Singh

    अक्तूबर 1, 2025 AT 21:08

    यह ट्रेंड भारतीय संस्कृति के एक अंग को डिजिटल रूपांतरण के द्वारा प्रस्तुत करता है, लेकिन इसके निहित जोखिमों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा और आत्मीयता के संरक्षण के लिए, एक स्पष्ट नीति की आवश्यकता है। इस तरह के ऐप्स के विकास में नैतिकता का समावेश अत्यंत आवश्यक है।

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    Sonia Renthlei

    अक्तूबर 2, 2025 AT 10:12

    मैंने इस ट्रेंड के बारे में बहुत सारी बातें पढ़ी हैं, और मुझे लगता है कि इसके पीछे का वास्तविक मुद्दा ये है कि हम अपनी आत्मा को डिजिटल दुनिया में कैसे छिपाते हैं। क्या आपने कभी सोचा कि जब आप अपनी फोटो अपलोड करते हैं, तो आप अपने चेहरे के साथ-साथ अपने भाव, अपनी आदतों, अपने जीवन के छोटे-छोटे पल भी छोड़ देते हैं? एक ऐप उन सब को एकत्रित कर लेता है-आपकी आँखों की चमक, आपके होंठों का आकार, आपकी त्वचा का रंग। ये सब बाद में एक डीपफेक में इस्तेमाल हो सकता है। और जब आपको लगता है कि आप बस एक साड़ी पहन रहे हैं, तो असल में आप अपने आप को एक मशीन के लिए खोल रहे हैं।

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    Aryan Sharma

    अक्तूबर 2, 2025 AT 16:15

    ये सब एक गुप्त साजिश है। Google ने ये ऐप नहीं बनाया, लेकिन ये सब उनके लिए है। वो आपकी फोटो चुरा रहे हैं, और फिर आपकी आँखों को ट्रैक करके आपकी भावनाएँ पढ़ रहे हैं। ये ट्रेंड बस एक बायोमेट्रिक डेटा कलेक्शन का ढंग है। अगर आप अपनी फोटो डालते हैं, तो आप अपने जीवन की एक नकल बना रहे हैं। और ये नकल बाद में आपके खिलाफ इस्तेमाल होगी।

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    Devendra Singh

    अक्तूबर 4, 2025 AT 00:36

    ये साड़ी वाला ट्रेंड बहुत बेवकूफी है। क्या आपको लगता है कि आपकी तस्वीर को एक ऐप बना रहा है? नहीं। वो आपकी तस्वीर को एक डेटाबेस में डाल रहा है। और फिर वो डेटाबेस एक अमेरिकी कंपनी को बेच दिया जाएगा। आपकी आँखें, आपका चेहरा, आपकी त्वचा-सब कुछ एक बाजार में बेचा जा रहा है। आप बस एक प्रोडक्ट हैं।

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    UMESH DEVADIGA

    अक्तूबर 5, 2025 AT 02:18

    मैंने इस ट्रेंड को ट्राई किया। फोटो अपलोड की, फिर बोला-‘आपकी फोटो बहुत अच्छी है, लेकिन इसे डाउनलोड करने के लिए आपको अपने फोन का पासकोड देना होगा।’ मैंने तुरंत बंद कर दिया। ये ट्रेंड बस एक बड़ा फ्रॉड है। और लोग इसे शेयर कर रहे हैं। ये तो बस एक डिजिटल दुनिया का अंधेरा है।

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    Roshini Kumar

    अक्तूबर 6, 2025 AT 17:50

    ai sadi trend? yrr maine ek baar try kiya tha... phir dekha ki site ka domain .xyz tha... aur google ke naam se kuch nahi... toh maine apni photo delete kar di... par abhi bhi meri photo kahi pehle se hi upload hogi... ab kya kare? 😭