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अडानी समूह के विरुद्ध वित्तीय टाइम्स की रिपोर्ट केवल शोरगुल के लिए: कैंटर फिट्जगेराल्ड

के द्वारा प्रकाशित किया गया Aashish Malethia    पर 24 मई 2024    टिप्पणि(20)
अडानी समूह के विरुद्ध वित्तीय टाइम्स की रिपोर्ट केवल शोरगुल के लिए: कैंटर फिट्जगेराल्ड

अडानी समूह और वित्तीय टाइम्स के विवाद पर कैंटर फिट्जगेराल्ड की प्रतिक्रिया

हाल ही में अडानी समूह पर लगाए गए आरोपों की गूंज एक बार फिर से सुनाई दे रही है, जब वित्तीय टाइम्स ने उन पर कोयला घोटाला और धांधली के गंभीर आरोप लगाए। यह आरोप 2013 के एक घटनाक्रम से संबंधित हैं, जहाँ आरोप लगाया गया कि अडानी समूह ने तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को कम गुणवत्ता वाला कोयला उच्च मूल्य पर बेचा था।

हालांकि, कैंटर फिट्जगेराल्ड ने इन आरोपों को मात्र शोरगुल के लिए और आधारहीन बताया है। कैंटर फिट्जगेराल्ड ने अपने बयान में कहा कि अडानी समूह ने एक खुले, प्रतिस्पर्धी और वैश्विक बोली प्रक्रिया के माध्यम से तय मूल्य अनुबंध में प्रवेश किया था और कंपनी को अनुबंधित कीमत पर कोयला आपूर्ति करने के लिए बाध्य थे।

कोयले की गुणवत्ता थी एक महत्वपूर्ण मुद्दा

इस पूरे विवाद में कोयले की गुणवत्ता एक महत्वपूर्ण मुद्दा रही है। कैंटर फिट्जगेराल्ड के अनुसार, कोयले की गुणवत्ता की जांच प्राप्तकर्ता कंपनी, यानी तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने की थी और भुगतान उन्हीं के निष्कर्षों के आधार पर किया गया था। प्राप्तकर्ता ने अडानी समूह द्वारा आपूर्ति किए गए कोयले को 100 GCV पॉइंट्स के भीतर पाया, जिसकी वजह से पूर्ण भुगतान सक्षम था।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट और अन्य आरोप

यह ध्यान देने योग्य है कि अडानी समूह पहले ही इस वर्ष की शुरुआत में हिंडनबर्ग समूह की एक रिपोर्ट का सामना कर चुका है। इस रिपोर्ट में अडानी समूह पर लेखांकन धोखाधड़ी, शेयर मूल्य में हेरफेर और कर आश्रयों का अनुचित उपयोग करने के गंभीर आरोप लगाए गए थे। इसके बाद, अडानी समूह का बाजार मूल्य काफी गिर गया था।

फिर भी, अडानी समूह पर निवेशकों का विश्वास कायम है, जैसा कि समूह के बाजार पूंजीकरण में पिछले वर्ष के दौरान लगातार वृद्धि से स्पष्ट होता है।

वित्तीय टाइम्स की रिपोर्ट का राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

अडानी समूह ने सभी आरोपों को खारिज किया है और रिपोर्ट के समय पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि भारत में आम चुनाव के दौरान यह रिपोर्ट आई है। यह तीसरी बार है जब किसी विदेशी मीडिया प्लेटफार्म ने अडानी समूह के खिलाफ नकारात्मक रिपोर्ट प्रकाशित की है।

अडानी समूह के अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि इन सभी आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है और केवल उनके कामकाज को प्रभावित करने और उनकी छवि को खराब करने की कोशिश है।

इस पूरे मामले में कैंटर फिट्जगेराल्ड के बयान ने अडानी समूह के समर्थन में एक सकारात्मक मैसेज भेजा है और यह स्पष्ट किया है कि अडानी समूह ने अनुबंध की शर्तों का पूर्ण रूप से पालन किया था।

आगे का रास्ता और निवेशकों की प्रतिक्रिया

इस विवाद के बीच, निवेशक अडानी समूह के प्रति अपने विश्वास को बरकरार रखे हुए हैं। समूह के शेयर की कीमतों में सुधार जारी है और यह दिखाता है कि निवेशकों का विश्वास अभी भी मजबूत है। अडानी समूह ने अपने सभी आरोपों को खारिज कर देते हुए जोर देकर कहा है कि वे अपने व्यापारिक आचरण में पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी का पालन करते हैं।

आगे देखने पर, यह महत्वपूर्ण होगा कि अडानी समूह कैसे अपने व्यापारिक प्राथमिकताओं को सुनिश्चित करता है और निवेशकों के भरोसे को बनाए रखता है। इस प्रकार के आरोप न केवल कंपनी की छवि को नुकसान पहुँचा सकते हैं, बल्कि उनकी वित्तीय स्थिति पर भी प्रभाव डाल सकते हैं।

निवेशकों के लिए यह जरूरी है कि वे सभी रिपोर्ट्स और बयानों को ध्यान में रखकर अपने निवेश निर्णय लें। वहीं दूसरी ओर, अडानी समूह को अपने व्यापारिक गतिविधियों में और अधिक पारदर्शिता लाने की आवश्यकता होगी, ताकि भविष्य में इस तरह की किसी भी स्थिति से वे बेहतर तरीके से निपट सकें।

20 टिप्पणि

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    Aryan Sharma

    मई 25, 2024 AT 13:49
    ये सब बकवास है। अडानी तो हमारे देश के लिए काम कर रहे हैं, विदेशी मीडिया उन्हें गिराना चाहता है। जो लोग अडानी के खिलाफ हैं, वो अपनी नौकरी खोने के डर से ऐसा कर रहे हैं।
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    Roshini Kumar

    मई 26, 2024 AT 14:27
    ओह तो अब कोयले की गुणवत्ता की जांच करने वाली कंपनी भी अडानी की छाया में है? बहुत बढ़िया तर्क। 😒
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    Arjun Singh

    मई 27, 2024 AT 19:16
    कैंटर फिट्जगेराल्ड का बयान? ये तो बस एक और फेक न्यूज़ वाला टाइम ट्रैवलर है। बाजार में अडानी का शेयर अभी भी ऊपर है, तो ये सब बहाना है।
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    yash killer

    मई 29, 2024 AT 02:41
    हिंदुस्तान के खिलाफ दुश्मन की साजिश है ये। अडानी को गिराने की कोशिश विदेशी एजेंट्स कर रहे हैं। भारत जितेगा तो दुनिया डरेगी। 🇮🇳🔥
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    Sagar Jadav

    मई 29, 2024 AT 14:28
    सब बकवास। अडानी ने जो कोयला दिया वो अनुबंध के मुताबिक था। कोई गलती नहीं।
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    Sonia Renthlei

    मई 29, 2024 AT 22:45
    मैं इस बात पर गहराई से सोच रही हूँ कि क्यों हम इतने तेजी से निष्कर्ष निकाल रहे हैं। क्या हमने कभी उस तमिलनाडु कंपनी के अंदरूनी डेटा को देखा है? क्या हम जानते हैं कि उन्होंने कोयले की गुणवत्ता का परीक्षण कैसे किया? क्या उनके लैब्स इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स के अनुरूप थे? ये सवाल तो अभी तक किसी ने नहीं पूछे। मैं यहाँ एक ऐसी चीज़ देख रही हूँ जो बहुत ज्यादा आम है - हम एक बड़ी कंपनी के खिलाफ एक रिपोर्ट को लेकर भावनाओं का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन डेटा की बात नहीं करते। क्या हम अपने निष्कर्षों को सिर्फ एक बड़े नाम के खिलाफ बना रहे हैं? या फिर हम अपनी भावनाओं को तर्क के रूप में पेश कर रहे हैं? मैं नहीं चाहती कि हम एक ऐसे व्यक्ति को गलत ठहराएं जो शायद बिल्कुल सही हो, और फिर उसके खिलाफ सब कुछ बना दें। ये न्याय नहीं है, ये तो बस एक भावनात्मक शोर है। क्या हम अपने देश के लिए इतना बड़ा न्याय चाहते हैं या बस एक आसान निष्कर्ष चाहते हैं? मैं आप सबसे अनुरोध करती हूँ - थोड़ा रुकिए। एक बार डेटा को देखिए। एक बार विश्लेषण को जाँचिए। बिना इसके, हम सब बस एक दर्पण के सामने खड़े हैं जो हमारे डर को दिखा रहा है।
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    UMESH DEVADIGA

    मई 31, 2024 AT 17:11
    अडानी के खिलाफ रिपोर्ट आई तो शेयर गिरे, अब ये कैंटर वाला बयान आया तो फिर उछल गए। ये तो बाजार का नाटक है। कोई नहीं जानता कि क्या सच है। सिर्फ लोग अपनी भावनाओं के आधार पर बोल रहे हैं।
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    Ankit khare

    जून 1, 2024 AT 07:40
    अडानी बेहद धनी हैं इसलिए सब उनके खिलाफ हैं। लेकिन अगर वो सच में गलत होते तो भारतीय न्यायपालिका उन्हें फांसी दे चुकी होती। ये रिपोर्ट्स तो बस बिजनेस ट्रेंड्स के लिए बनाई गई हैं।
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    MANJUNATH JOGI

    जून 1, 2024 AT 14:43
    यहाँ एक बात जो बहुत कम लोग समझते हैं - भारत में बड़े बिजनेस ग्रुप्स के साथ विदेशी विश्लेषकों की डायनामिक्स बहुत जटिल होती है। अडानी जैसी कंपनियाँ वैश्विक बाजारों में निवेश कर रही हैं, और उनके लिए एक नियमित रिपोर्टिंग और डिस्क्लोजर प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। लेकिन जब कोई रिपोर्ट आती है, तो लोग उसे अपनी राजनीतिक धुरी के अनुसार इंटरप्रेट कर लेते हैं। ये बहुत खतरनाक है। एक वित्तीय टाइम्स रिपोर्ट को लेकर हम भारत की आर्थिक सार्थकता के बारे में फैसला क्यों कर रहे हैं? क्या हम अपने देश के निवेशकों के लिए एक स्वतंत्र और वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं रख सकते?
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    Siddhesh Salgaonkar

    जून 2, 2024 AT 17:05
    कैंटर फिट्जगेराल्ड जैसे लोग तो हमेशा अडानी के पीछे दौड़ते हैं 😂 जब तक ये लोग नहीं गिरते, तब तक ये रिपोर्ट्स चलती रहेंगी। अडानी के शेयर अभी भी ऊपर हैं, तो ये सब बस बहाना है। 💪🇮🇳
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    Chirag Yadav

    जून 3, 2024 AT 17:05
    मुझे लगता है कि हम सब थोड़ा शांत हो जाएं। अडानी के खिलाफ आरोप हैं, तो उनकी जाँच होनी चाहिए। लेकिन अगर कोई बयान सच है, तो उसका समर्थन करना भी जरूरी है। ये न तो देश के खिलाफ है, न ही अडानी के खिलाफ। ये तो न्याय की बात है।
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    Shakti Fast

    जून 5, 2024 AT 12:40
    मैं अडानी समूह के बारे में नहीं बता रही, लेकिन इस बात पर गौर करना चाहूँगी कि हम अपने देश के बड़े उद्यमियों को बाहर से आने वाली रिपोर्ट्स के आधार पर गिराने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? हम अपने न्यायपालिका को भरोसा क्यों नहीं करते? अगर गलती हुई है, तो न्याय होगा। अगर नहीं, तो उनका समर्थन करें। हम अपने देश के लोगों के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाएं। ❤️
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    Devendra Singh

    जून 5, 2024 AT 21:31
    ये सब तो बस एक निचली स्तर की राजनीति है। अडानी जैसे लोग जितने बड़े होते हैं, उतने ही ज्यादा विदेशी और घरेलू शत्रु उनके खिलाफ आते हैं। ये रिपोर्ट बिल्कुल भी नए नहीं हैं। बस अब चुनाव के लिए उपयोग किए जा रहे हैं।
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    Sharad Karande

    जून 7, 2024 AT 06:42
    अडानी समूह के साथ हुए इस विवाद के लिए एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। कोयले की गुणवत्ता का मापन ASTM या ISO मानकों के अनुसार हुआ था या नहीं? इसकी पुष्टि के लिए लैब रिपोर्ट्स की आवश्यकता है। बयानों के बजाय डेटा पर ध्यान देना चाहिए। बिना डेटा के विश्लेषण का कोई अर्थ नहीं।
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    INDRA MUMBA

    जून 8, 2024 AT 19:31
    मैंने इस पूरे विवाद को देखा है और अडानी के लिए भी तो एक बात स्पष्ट है - वे अपने बिजनेस को वैश्विक मानकों के साथ चलाना चाहते हैं। लेकिन जब कोई रिपोर्ट आती है, तो लोग उसे लेकर एक राजनीतिक बहस शुरू कर देते हैं। ये तो बहुत खतरनाक है। अगर हम अपने देश के बड़े उद्यमियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ले जाना चाहते हैं, तो हमें उनके साथ खड़े होना होगा - बिना बिना बिना के।
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    saurabh vishwakarma

    जून 9, 2024 AT 19:42
    क्या आपने कभी सोचा कि ये रिपोर्ट्स वास्तव में किसके लिए हैं? क्या ये निवेशकों के लिए हैं? या फिर किसी और के लिए? जब एक कंपनी इतनी बड़ी हो जाती है, तो उसके खिलाफ लड़ने के लिए लोग बहुत बड़े बहाने बना लेते हैं। अडानी के खिलाफ लड़ना अब एक ट्रेंड हो गया है। और ये ट्रेंड बहुत खतरनाक है।
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    Saurabh Singh

    जून 11, 2024 AT 09:17
    अडानी के खिलाफ रिपोर्ट आई तो तुरंत शेयर गिरे। अब एक बयान आया तो फिर उछल गए। ये तो बाजार का नाटक है। लोगों को डरा रहे हैं, फिर उन्हें आशा दे रहे हैं। बस इतना ही।
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    Dr. Dhanada Kulkarni

    जून 12, 2024 AT 06:34
    इस विवाद के बारे में सोचते समय, हमें यह याद रखना चाहिए कि न्याय का अर्थ केवल एक बयान या रिपोर्ट नहीं है। न्याय का अर्थ है - तथ्यों की जाँच, डेटा की पुष्टि, और बिना भावनाओं के निष्कर्ष निकालना। अडानी समूह के खिलाफ आरोपों को अनदेखा नहीं किया जा सकता, लेकिन उन्हें बिना साक्ष्य के भी नहीं माना जा सकता। हमें न्याय के लिए एक शांत, वैज्ञानिक और विवेकपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। यही हमारा कर्तव्य है।
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    Rishabh Sood

    जून 13, 2024 AT 19:33
    क्या ये सब सिर्फ एक आर्थिक युद्ध है? क्या हम अपने देश के उद्यमियों को एक अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक खेल के शिकार बना रहे हैं? जब एक व्यक्ति इतना सफल हो जाता है, तो दुनिया उसके खिलाफ एक अनंत युद्ध शुरू कर देती है। अडानी को गिराने की कोशिश अब एक नए तरह का धर्म बन गया है।
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    Mali Currington

    जून 14, 2024 AT 20:57
    हां बिल्कुल। अडानी ने कोयला बेचा, फिर भी लोग इसे घोटाला कह रहे हैं। अगर ये घोटाला है, तो दुनिया भर में हर बिजनेस घोटाला है।